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वसुंधरा व लोहिया एन्क्लेव में तीन दिन में यूटिलिटी रूम से कब्जा हटाएं, जीडीए ने नोटिस चस्पा किया

Gorakhpur News - गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने वसुंधरा और लोहिया एन्क्लेव में 30 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के यूटिलिटी कक्षों से अवैध कब्जा हटाने की कार्रवाई शुरू की। जीडीए ने नोटिस जारी कर तीन दिन में कब्जा...

Newswrap हिन्दुस्तान, गोरखपुरThu, 26 June 2025 09:03 AM
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वसुंधरा व लोहिया एन्क्लेव में तीन दिन में यूटिलिटी रूम से कब्जा हटाएं, जीडीए ने नोटिस चस्पा किया

गोरखपुर। मुख्य संवाददाता गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने वसुंधरा एन्क्लेव और लोहिया एन्क्लेव की ग्रुप हाउसिंग परियोजनाओं में 30 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य वाले यूटिलिटी कक्षों से अवैध कब्जा हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी है। बुधवार को जीडीए के प्रवर्तन दल ने दोनों आवासीय परियोजनाओं में नोटिस चस्पा कर तीन दिन के भीतर कब्जा हटाने की चेतावनी दी है। नोटिस में कहा गया है कि निर्धारित समय में सामान न हटाए जाने पर जीडीए ताला तोड़कर कब्जा ले लेगा। यह कार्रवाई जीडीए उपाध्यक्ष आनंद वर्द्धन के निर्देश पर की गई जिससे कब्जेदारों में हड़कंप मच गया है। वहीं, कई आवंटियों ने प्राधिकरण की इस सख्ती का स्वागत किया है।

वसुंधरा एन्क्लेव (फेज 1 व 2) और लोहिया एन्क्लेव में कुल 324 यूटिलिटी कक्ष बनाए गए हैं, जिनमें से केवल 22 का ही आवंटन हुआ है। शेष कक्षों पर अवैध कब्जा है। बुधवार को प्रभारी मुख्य अभियंता किशन सिंह के निर्देश पर अधिशासी अभियंता नरेंद्र कुमार, सहायक अभियंता ज्योति राय और अवर अभियंता प्रवीण गुप्ता ने इन कब्जों का भौतिक सत्यापन किया। इसके बाद अवैध कब्जाधारियों को तीन दिन के भीतर स्थान खाली करने के लिए सभी यूटिलिटी कक्षों पर नोटिस चस्पा किए गए। कब्जाधारियों में स्थानीय दबंगों के साथ-साथ बाहरी लोग भी शामिल हैं। कुछ ने इन कमरों को आवासीय रूप में तब्दील कर लिया है, तो कई ने कार्यालय, बैठक स्थल या स्टोर के रूप में उपयोग में ले रखा है। कुछ लोगों ने सिर्फ ताला लगाकर अपने कब्जे का दावा कर रखा है। गौरतलब है कि वर्ष 2023 में भी यह मुद्दा उठा था, लेकिन प्रभावी कार्रवाई न होने से अवैध कब्जा जारी रहा। अब जीडीए की सख्ती से इन कमरों को कब्जा मुक्त कराने की उम्मीद जगी है। सपा सरकार में बनाए गए थे यूटिलिटी रूम करीब एक दशक पहले समाजवादी सरकार के कार्यकाल में जीडीए ने मध्यम वर्ग की आवासीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुए 'समाजवादी एफोर्डेबल हाउसिंग' योजना के तहत ग्रुप हाउसिंग परियोजनाओं में यूटिलिटी कक्षों का निर्माण कराया। इस योजना का उद्देश्य था कि इन कक्षों की बिक्री से प्राप्त धनराशि से फ्लैटों की कीमतें किफायती रखी जा सके। हालांकि, समय पर आवंटन न हो पाने के कारण कई यूटिलिटी कक्षों पर लोगों ने अवैध रूप से कब्जा जमा लिया। 13 लाख रुपये यूटिलिटी रूम की कीमत वसुंधरा एनक्लेव फेज एक व दो में 160 यूटिलिटी रूम हैं, जिनमें से 22 का आवंटन किया गया है। वहीं, लोहिया एन्क्लेव में 164 यूटिलिटी रूम बनाए गए हैं। आवंटन के लिए विज्ञापन निकाला गया था, लेकिन सिर्फ 12 लोगों ने पंजीकरण कराया। एक ने धनराशि वापस ले ली। मामला हाईकोर्ट से लंबित होने के कारण आवंटन नहीं हो सका। आवंटन में आवंटियों को प्राथमिकता मिली थी ताकि लोग आवंटन करा स्टोर रूम, सर्वेंट क्वार्टर या अन्य कार्यों के लिए उपयोग कर सके। लांचिंग के समय प्रत्येक यूटिलिटी रूम की कीमत करीब 13 लाख रुपये निर्धारित थी। आवंटियों ने ध्वस्तीकरण की मांग की बुधवार को लोहिया आवंटी संघर्ष समिति के अध्यक्ष अरुण कुमार सिंह और सोसाइटी के उपाध्यक्ष अजय मद्धेशिया के नेतृत्व में लोहिया एन्क्लेव फेज एक के आवंटियों के प्रतिनिधिमंडल ने जीडीए से यूटिलिटी रूम ध्वस्त कराने की मांग की। उनका कहना था कि यूटिलिटी रूम का निर्माण ही अवैध है। यह आवंटियों को फ्री होल्ड हो चुकी पार्किंग वाली जगह पर बना है। प्रतिनिधिमंडल में कुंवर भगत सिंह, राजेंद्र गुप्ता, राजन सिंह, भानु प्रताप सिंह, राकेश सिंह, रमेश सिंह, सुरेश शाह, देवेश्वर चन्द, असित सिंह समेत कई अन्य आवंटी शामिल थे।

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