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बोले गोंडा..स्नातक में दाखिला

Gonda News - गोंडा जिले में 12वीं के परिणाम के बाद लगभग 40,000 छात्रों की आगे की पढ़ाई को लेकर चिंता बढ़ गई है। जिले में 90 डिग्री कॉलेज हैं, लेकिन पेशेवर पाठ्यक्रमों की कमी से छात्रों को विकल्पों की तलाश करनी पड़...

Newswrap हिन्दुस्तान, गोंडाSat, 14 June 2025 05:00 PM
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बोले गोंडा..स्नातक में दाखिला

डिग्री कॉलेजों में पर्याप्त सीटें, व्यवसायिक शिक्षा को बाहर जा रहे बच्चे बीते दिनों 12वीं का परिणाम घोषित होने के बाद आगे दाखिले को लेकर छात्र-छात्राओं के साथ अभिभावकों की उधेड़बुन बढ़ गई है। जिले के तमाम बच्चों ने इंजीनयरिंग और मेडिकल में प्रवेश के लिए कोचिंग का सहारा लिया है। वहीं, सेल्फ स्टडी के दम पर तमाम छात्र-छात्राएं बीए या बीएससी की पढ़ाई के साथ मेडिकल और इंजीनियरिंग में प्रवेश परीक्षा में बैठने की बात कह रहे हैं। इनमें तमाम बच्चे इस साल ही नीट की परीक्षा में शामिल भी हुए। जिले में स्थित 85 डिग्री कॉलेजों में स्नातक स्तर की पढ़ाई के लिए पर्याप्त सीटें हैं।

हालांकि, अनुदानित और सरकारी कॉलेजों में पांच वर्षीय विधि पाठ्यक्रम समेत कई अन्य व्यवसायिक कोर्स उपलब्ध नहीं है, जो कोर्स उपलब्ध हैं वह सेल्फ फाइनेंस हैं। ऐसे में कमजोर परिवार के बच्चों को इन कोर्सों में पढ़ाई करना किसी सपने से कम नहीं होता है। बालिका शिक्षा की बात करें तो जिला मुख्यालय पर सिर्फ एक निजी पीजी कॉलेज हैं जिसमें लड़कियां शिक्षा ग्रहण कर सकती हैं। जिले के मनकापुर और सदर तहसील को छोड़कर बाकी दो अन्य तहसील क्षेत्रों में कोई अनुदानित या सरकारी डिग्री कॉलेज नहीं हैं। गोण्डा। अप्रैल के अंतिम हफ्ते के बाद विभिन्न बोर्डों की ओर से घोषित 12 वीं के नतीजों के बाद जिले के करीब 40 हजार छात्र-छात्राओं की उधेड़बुन आगे की राह तय करने के लिए शुरू हो गई थी। जिले में प्रमुख रूप से व्यवसायिक संस्थानों की बात करें तो स्वशासी राजकीय मेडिकल कॉलेज में बीते साल से प्रवेश शुरू हुआ है। वहीं जिला मुख्यालय पर स्थापित राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज के जुलाई से शुरू होने की उम्मीद है। हालांकि दोनों संस्थानों में प्रवेश नीट और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा के जरिए ही होगा। इसके अलावा जिले में दो राजकीय पालीटेक्निक और आईटीआई संस्थान मौजूद हैं। पॉलीटेक्निक में भी दाखिला प्रवेश परीक्षा के आधार पर होता है। हिन्दुस्तान ने बोले गोंडा मुहिम के तहत प्रवेश को लेकर अभिभावकों और बच्चों से बात की उनके सामने कई असमंजस दिखा। तमाम लोगों का कहना है कि जिले में डिग्री स्तर के संस्थान तो हैं लेकिन इनमें उच्च व्यवसायिक दक्षता वाले पाठ्यक्रमों का अभाव है। निजी संस्थानों में प्रवेश के लिए मोटी फीस चुकानी पड़ती है जो आम आदमी के बस की बात नहीं है। ऐसे में बच्चों को लखनऊ, प्रयागराज और दिल्ली से बड़े शहरों में भेजना अभिभावक बेहतर समझते हैं। मां पाटेश्वरी विवि से संबद्ध हुए जिले के कॉलेज: मौजूदा सत्र से जिले के सभी डिग्री कॉलेज बलरामपुर जिले स्थित मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय से संबद्ध हो गए हैं। इस साल विश्वविद्यालय के समर्थ पोर्टल के जरिए ही कॉलेजों में प्रवेश प्रक्रिया होगी। विवि की ओर जारी अधिसूचना के मुताबिक सभी महाविद्यालयों में शैक्षिक सत्र 2025-26 में स्नातक व परास्नातक के पहले सेमेस्टर में प्रवेश के आवेदन 27 मई से शुरू हो गए हैं। स्नातक/परास्नातक, बीएड, एमएड, बीपीएड, एमपीएड और एलएलबी सहित अन्य संचालित पाठ्यक्रमों के प्रथम सेमेस्टर में प्रवेश के लिए विद्यार्थियों को सबसे पहले मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय के समर्थ पोर्टल के लिंक पर जाकर ऑनलाइन पंजीकरण कराना होगा। ऑनलाइन पंजीकरण प्रकिया 30 जून तक चलेगी। एक जुलाई से सभी कॉलेजों में प्रवेश लिए जाएंगे। जिले में कुल 90 डिग्री कॉलेज: गोंडा जनपद में कुल 90 डिग्री कॉलेज हैं। इनमें एक राजकीय डिग्री कॉलेज और दो अनुदानित कॉलेजों के साथ 87 निजी डिग्री कॉलेज हैं। एलबीएस पीजी कॉलेज के प्रो. जितेंद्र सिंह ने कहा कि परिणाम निकलने के बाद 12वीं पास बच्चों के सामने यह सवाल उठता है कि आगे क्या किया जाए। उन्होंने बताया कि जिले में एक राजकीय और दो अनुदानित डिग्री कॉलेज सहित कुल 90 डिग्री कॉलेज संचालित हो रहे हैं। एलबीएस में बीए, बीएससी और बीकॉम में लगभग तीन हजार सीटों पर इस बार प्रवेश लिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि कई छात्र उच्च शिक्षण संस्थानों और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के इच्छुक छात्र-छात्राएं पहले ही कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) के फॉर्म भर चुके हैं। प्रो. जितेंद्र सिंह के मुताबिक 12वीं पास होने के बाद विद्यार्थियों के सामने ढेरों विकल्प हैं। बच्चों को चाहिए वह अपना लक्ष्य खुद तय करें किसी की देखादेखी कोर्स का चयन न करें। उन्होंने कहा कि पांच वर्षीय एलएलबी, डीफॉर्मा, बीफार्मा, आईआईटी, फैशन डिजाइनिंग सहित अन्य क्षेत्र में कॅरियर के बेहतरीन अवसर मिल सके हैं। एलबीएस और एएनडी में चलते हैं ये पाठ्यक्रम: जिले के एलबीएस पीजी कॉलेज में बीएससी कृषि, बीसीए, बीबीए जैसे व्यवसायिक पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। हालांकि ये कोर्स सेल्फ फाइनेंस स्कीम के तहत चलाए जा रहे हैं। प्राचार्य प्रो. रवींद्र कुमार पांडेय ने बताया कि एलबीएस पीजी कॉलेज में बीए की 1450, बीएससी की 600 और बीकॉम 300 सीटें उपलब्ध हैं। कॉलेज में सेल्फ फाइनेंस स्कीम के तहत बीएससी एजी में 300, बीसीए में 60 और बीबीए में 60 सीटों पर प्रवेश लिए जाएंगे। प्रो. पांडेय के मुताबिक कॉलेज में स्वीकृत 66 पदों के सापेक्ष 44 शिक्षक कार्यरत हैं। यहां रिक्त 22 पदों को भरने के लिए अधियाचन भेजा गया है। वहीं, बभनान स्थित आचार्य नरेंद्र देव पीजी कॉलेज में भी विभिन्न व्यवसायिक पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं। बभनान स्थित आर्चाय नरेंद्र देव किसान पीजी कॉलेज के प्राचार्य प्रो. धर्मेंद्र कुमार शुक्ल ने बताया कि कॉलेज में फैशन डिजायनिंग, पीजीडीसीए कोर्स के साथ परंपरागत बीएससी, बीए, बीकॉम, बीपीएड और बीएड कोर्स उपलब्ध हैं। कॉलेज में बीए की 1920, बीएससी की 480 और बी. कॉम 300 (सेल्फ फाइनेंस) की सीटें हैं। प्राचार्य ने बताया कि हमारे कॉलेज में 100 से ज्यादा शिक्षक और कर्मचारी हैं। फिलहाल शिक्षकों की कमी नहीं है। अनुदानित कॉलेज होने की वजह से यहां बच्चे प्रवेश लेना ज्यादा पसंद करते हैं। प्रस्तुति: रंजीत तिवारी/सच्चिदानंद शुक्ल सुझाव: 1- जिले में संचालित हो रहे डिग्री कॉलेज में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाए। 2- स्नातक परास्नातक स्तर में बीते कुछ सालों में विद्यार्थियों की संख्या में कमी आई है। इस दिशा में ध्यान देना जरूरी है। 3- बीए, बीएससी बीकॉम के मेधावियों को सरकार रोजगार देने की व्यवस्था करे। 4- स्नातक व अन्य ऑनलाइन आवेदन के लिए लोकवाणी केंद्रों के लिए आवेदन शुल्क की कीमत फीस तय हो। 5- जिले में सरकारी महिला डिग्री कॉलेज और कृषि डिग्री कॉलेज की स्थापना हो। शिकायत 1-जिले के तमाम स्कूलों में करियर काउंसलिंग नहीं होती है, इससे बच्चों के सामने कई बार भ्रम की स्थिति होती है। 2-ग्रामीण क्षेत्र में छात्राओं को अभिभावक मनचाहे कोर्स में दाखिला न दिलाकर पास के कॉलेज में भर्ती करा देते हैं। 3-सेमेस्टेर परीक्षा प्रणाली लागू होने के बाद बच्चों को काफी दिक्कत हो रही है। 4-जिले में छात्राओं के लिए राजकीय डिग्री कॉलेज नहीं होने से परेशानी होती है। बोले लोग जिले में लगभग 90 डिग्री कॉलेज संचालित है। एलबीएस पीजी कॉलेज में पहले की अपेक्षा एडमिशन में मारामारी कम हो गई। आखिर क्या वजह है कि बच्चों का मोह इस कॉलेज से भंग हो रहा है। छात्र अब रोजगारपरक शिक्षा की तरफ भाग रहे हैं इससे कॉलजों के समक्ष सीटें भरना मुश्किल हो रहा है। -शिवम पांडे, राष्ट्रीय अध्यक्ष छात्र पंचायत डिग्री कॉलेज में प्रवेश के लिए छात्र-छात्राएं ऑनलाइन आवेदन कर रहे हैं। अब तक करीब 100 से ज्यादा छात्राओं ने हमारे लोकवाणी केंद्र पर ऑनलाइन आवेदन किया है। आने वाले दिनों में यह संख्या बढ़ने का अनुमान है। -अर्जुन नौकरी नहीं मिलने की वजह से बहुत सारी छात्राएं स्नातक की पढ़ाई के बजाय टेक्निकल पढ़ाई करने में अधिक रुचि दिखा रहे हैं। हमारे घर के बच्चों ने पॉलीटेक्निक और आईटीआई के फॉर्म भरे हैं। - राजेश जायसवाल पिछले साल शहर के प्रतिष्ठित डिग्री कॉलेज में एडमिशन के लिए छात्र-छात्राओं का बाकायदा इंतजार किया जा रहा था क्योंकि सीटें ज्यादा थी लेकिन छात्र एडमिशन कराने कम संख्या में आ रहे थे जो भी आया उसका एडमिशन हो गया। - राकेश जिले में हजारों छात्र-छात्राओं यूपी बोर्ड की परीक्षा में सफलता हासिल की है। लेकिन इस लिहाज से डिग्री कॉलेज में एडमिशन के लिए छात्र कम संख्या में ही आते हैं। -कौशलेंद्र प्रताप स्नातक सहित और विषयों की प्रवेश के लिए विश्वविद्यालय की ओर से पोर्टल पर आवेदन मांगे जा रहे हैं छात्र और छात्राएं ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन करने लगे हैं जुलाई से एडमिशन की प्रक्रिया शुरू होगी। -राज बहादुर जिले के कई प्राइवेट डिग्री कॉलेज छात्र-छात्राओं को आकर्षित करने के लिए बड़े-बड़े होर्डिंग भी लगाए जा रहे हैं। क्योंकि मौजूदा वक्त में युवा टेक्निकल पढ़ाई में ही रुचि दिखा रहे हैं। -नरसिंह प्रसाद कनौजिया मैंने इस साल 12वीं की परीक्षा पास की है। मां पाटेश्वरी देवी विश्वविद्यालय के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन किया गया है। जुलाई में प्रवेश प्रकिया शुरू होने पर एडमिशन लूंगी। -अल्फिया अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी बड़ी संख्या में डिग्री कॉलेज खुल गए हैं। इसलिए शहर के एलबीएस पीजी कॉलेज में बच्चे दाखिला लेना कम पसंद करते हैं। पहले एलबीएस के सिवा कोई दूसरा विकल्प नहीं था। -अतुल मिश्रा मेरे जैसे सामान्य घरों की छात्राओं के सामने स्थानीय कॉलेजों में पढ़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है। हम लोगों की पहली पसंद जिला मुख्यालय स्थित एलबीएस पीजी कॉलेज है। यहां से पढ़कर भी तमाम लोग अच्छे पदों पर हैं। -महक एलबीएस कॉलेज में प्रवेश पाने के लिए मैंने ऑनलाइन आवेदन कराया है। सुना है पहले मेरिट सूची के आधार पर प्रवेश होता था। लेकिन मौजूदा समय में मुझे कॉलेज में मनचाहे कोर्स में दाखिला मिल जाएगा। शिक्षा की गिरती गुणवत्ता की वजह से छात्र-छात्राएं अब दूसरे राज्यों के प्रतिष्ठित कॉलेज में एडमिशन लेना पसंद कर रहे हैं। क्योंकि बीते कुछ सालों में शिक्षा का स्तर काफी नीचे आ चुका है। -शुभांशु श्रीवास्तव इंटरमीडिएट पास होने के बाद तमाम बच्चे प्राइवेट रूप से स्नातक की पढ़ाई करना मुनासिब समझते हैं। मौजूदा समय में बहुत सारे बच्चे प्राइवेट नौकरियों के साथ ही पढ़ाई कर रहे हैं। -घनश्याम विश्वकर्मा सेमेस्टर प्रणाली लागू होने के बाद पढ़ाई-लिखाई को लेकर ज्यादा संजीदगी नहीं देखने को मिलती है। पूरे साल सिर्फ एडमिशन, फार्म भरने और इम्तहान देने में बच्चों का वक्त बीत जाता है। इससे बहुत सारे छात्र-छात्राएं परेशान रहते हैं। -सानू तिवारी बोले जिम्मेदार वर्तमान परिवेश में शिक्षा में कोचिंग का दखल बढ़ गया है। बच्चों और अभिभावकों में बड़े शहरों में अच्छी शिक्षा को लेकर एक तरह का औरा बन गया है। हर व्यक्ति मान बैठा है कि बिना कोचिंग के बच्चा सफल नहीं होगा। एलबीएस पीजी कॉलेज से पढ़कर तमाम लोग आज उच्च पदों पर बैठे हैं। कॉलेज में डिग्री स्तर के कई पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। इसके लिए ऑनलाइन पंजीकरण विवि के समर्थ पोर्टल पर चल रही है। -प्रो. रवींद्र कुमार पांडेय, एलबीएस पीजी कॉलेज गोंडा आचार्य नरेंद्र देव किसान पीजी कॉलेज में डिग्री स्तर पर 27 सौ सीटें उपलब्ध हैं। कॉलेज में पर्याप्त संख्या में शिक्षकों की तैनाती है। अनुदानित कॉलेज होने की वजह से यहां प्रवेश के लिए बच्चे ज्यादा इच्छुक रहते हैं क्योंकि निजी कॉलेजों के मुकाबले फीस कम होती है। -प्रो. धर्मेद्र कुमार शुक्ल, प्राचार्य,एएनडी किसान पीजी कॉलेज बभनान

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