बोले फिरोजाबाद: अपनी ‘बेनूरी पर रो रहा नूर नगर
Firozabad News - वार्ड संख्या 59 के मौहल्ला नूर नगर में नगर निगम की अनदेखी के कारण लोग परेशान हैं। यहाँ की गलियाँ ऊबड़-खाबड़ हैं और बारिश के दिनों में जलभराव से क्षेत्र टापू में बदल जाता है। गंदगी के ढेरों से बीमारियों...

वार्ड संख्या 59 कश्मीरी गेट का मौहल्ला नूर नगर नगर निगम प्रशासन की मनमानी का शिकार बन रहा है। शहर के पुराने एवं नए बाईपास के बीच बसा यह मोहल्ला घनी आबादी वाला है। जिसकी आबादी करीब तीन हजार है। पुरुषों एवं महिलाओं की संख्या लगभग बराबर है। अधिकांश लोग गरीब तबके के हैं, जो रोजाना कमाते हैं और खाते हैं। लोगों को इतना समय नहीं मिलता कि वह समस्याओं के समाधान के लिए कुछ समय निकालें। परेशानी जब बढ़ती है तो वह क्षेत्रीय पार्षद से ही गुहार लगाते हैं। नाम के अनुरूप यह क्षेत्र पूरी तरह मुस्लिम बहुल है। कश्मीरी गेट की कुल आबादी लगभग 12 हजार के आसपास है जिसमें नूर नगर की आबादी लगभग तीन हजार आंकी गई है।
इतनी बड़ी आबादी होने के बाद भी यहां अभी तक लोगों को जीवन की महत्वपूर्ण सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई जिसमें सड़क, लाइट एवं गंदगी के साथ-साथ प्रकाश शामिल है। यहां पर लोगों की सबसे बड़ी समस्या ऊबड़-खाबड़ गालियां हैं जो यहां से लोगों के लिए मौत की डगर से कम नहीं है। इसके कारण सबसे अधिक परेशानी क्षेत्र की महिलाओं के अलावा छोटे-छोटे बच्चों को होती है। इन गलियों में अक्सर जलभराव देखा जा सकता है। बारिश के दिनों में यह क्षेत्र टापू में तब्दील हो जाता है। पानी भरने के कारण लोग अपने-अपने घरों में कैद होकर रह जाते हैं। हिन्दुस्तान के बोले फिरोजाबाद के तहत जब यहां रहने वालों से संवाद किया तो लोगों ने गलियों में लगे गंदगी के ढेर दिखाते हुए कहा कि कूड़े के ढेर से उठती दुर्गंध जीना हराम कर देती है। क्षतिग्रस्त गालियों के कारण सफाई व्यवस्था की पूरी तरह लचर है। महिलाओं के साथ पुरुष भी बरसात के दिनों में जहां हम लोग घरों में कैद होकर रह जाते हैं तो इससे उनकी रोजी-रोटी भी प्रभावित होती है। यहां से अधिकांश लोग कांच कारखानों में मजदूरी का कार्य करते हैं जिनके पास इतना समय नहीं होता कि वह समस्याओं से नगर निगम जाकर अधिकारियों को अवगत करा सके। अधिक परेशानी होने पर वह केवल पार्षद से ही समस्याओं के निराकरण की गुहार लगाते हैं। लोगों का कहना है उन्होंने समस्याओं को लेकर कई बार धरना प्रदर्शन भी किया तथा नगर निगम के चक्कर भी काटे लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। ऐसा लगता है कि नगर निगम हमारे क्षेत्र के साथ सौतेला व्यवहार कर रहा है। ऊबड़-खाबड़ गालियों में जल निकासी न होने के कारण हर समय जलभराव की स्थिति बनी रहती है तथा बरसात के दिनों में क्षेत्र की लगभग आधा दर्जन गलियां टापू में तब्दील हो जाती हैं। जलभराव के कारण कई दिनों तक लोगों का घरों से निकलना भी मुश्किल हो जाता है। आवश्यक कार्य होने पर लोग जब घर से बाहर निकलते हैं तो उन्हें हर समय दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। गलियों में लगे गंदगी के ढेर महामारी को दे रहे निमंत्रण मौहल्ले की लगभग चार गलियों में गंदगी के ऊंचे ऊंचे ढेर क्षेत्र में बीमारियों को निमंत्रण दे रहे हैं। डेंगू, संचारी रोग एवं अन्य बीमारियों की आशंका क्षेत्र के लोगों को हर वक्त सताती रहती है। सबसे अधिक परेशानी बरसात के दिनों में होती है जब यहां से उठती दुर्गंध के कारण लोगों का सांस लेना भी दूभर हो जाता है। गंदगी के ढेरों को देखकर ऐसा लगता है कि यह नगर निगम का डलाबघर हो। शाम होते ही अंधेरे में डूब जाती हैं गलियां अधिकांश गलियों में स्ट्रीट लाइट का अभाव है। विद्युत पोल तो लगे हैं लेकिन उन पर कहीं स्ट्रीट लाइट नजर नहीं आती। अंधेरा होने के कारण अधिकांश लोग उजाला रहने से पहले ही अपने सभी कार्य पूरा करना चाहते हैं। अंधेरे में इन गलियों से निकलना भी मुश्किल हो जाता है। इस संबंध में भी लोगों द्वारा क्षेत्रीय पार्षद से कई बार शिकायत की लेकिन अभी तक समस्या का कोई समाधान नहीं निकला। मन की बात हमारी गली से निकलना भी मुश्किल हो जाता है। ऊबड़-खाबड़ गलियां देख हमारे रिश्तेदार भी घर आने से कतराते हैं। कच्ची गलियां होने से यहां सफाई व्यवस्था लचर है। नगर निगम अधिकारी भी हमारी नहीं सुनते तो आखिरकार हम कहां जाएं। -शब्बो ऐसा प्रतीत होता है कि हमारा क्षेत्र नगर निगम की सीमा में नहीं आता यही कारण है कि नगर निगम का ध्यान गालियों के निर्माण की ओर कतई नहीं है। पिछले कई वर्ष से हम नारकीय जीवन जी रहे हैं लेकिन निगम के अधिकारियों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए। -तलत बानो वैसे तो हमारी गली में हर समय गंदा पानी भरा रहता है लेकिन जिस समय बरसात आती है उस समय के हालात बेहद गंभीर एवं परेशानी भरे होते हैं। बरसात के दिनों में इन गलियों में होकर गुजरना भी बेहद मुश्किल हो जाता है। -उजमा दर्द पुराना है जिसको सहना उनकी आदत में आ गया है। हमारे क्षेत्र को नगर निगम ने लावारिस छोड़ दिया है। मदरसे के सामने जो स्थिति बनी हुई है उसे देखकर हर कोई हैरान है और छोटे-छोटे बच्चे आए दिन हादसे का शिकार बन जाते हैं। -राजदा गली टूटी पड़ी है तथा बरसात का मौसम आने वाला है। लगता है। इस वर्ष भी हमें उसका सामना करना पड़ेगा। सबसे बड़ी दिक्कत उसे समय होती है जब शाम के समय लाइट की व्यवस्था नहीं होती तो समूचा क्षेत्र अंधेरे में डूब जाता है। -खुशनसीब हमारे क्षेत्र में गली बनाना तो छोड़िए यहां पर नालियां भी नहीं है जिससे कि घरों का गंदा पानी बाहर जा सके। यह गंदा पानी वापस घरों में ही लौटता है जिसके लिए हम लोगों द्वारा दरवाजे के बाहर गड्ढे खोदकर उसमें पानी भरने को मजबूर है। -नायदा गली में बिना बरसात के ही हर समय पानी भरा रहता है जिसके कारण हम महिलाओं एवं बच्चों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हमारी समस्या की ओर न तो जनप्रतिनिधि का ध्यान है और न ही निगम के अधिकारियों का। -अलमता नगर निगम की अनदेखी से अब हमने अपने आप को अल्लाह के भरोसे छोड़ रखा है। उनके जो करम में होगा वही भुगतेंगे। पिछले कई वर्ष से नलकूप खराब पड़ा है तथा पाइप लाइन में गंगाजल नहाने के कारण हम काफी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। -महजबी
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