बोले मथुरा: क्षीर सागर की पीर को कम करो ‘प्रभु
Etah News - मथुरा के बलदेव में स्थित ऐतिहासिक क्षीर सागर कुंड, जो ठाकुर श्री दाऊजी महाराज की जन्मस्थली है, अव्यवस्थाओं से जूझ रहा है। भक्त यहाँ स्नान और पूजा करते हैं, लेकिन कुंड के विकास के लिए स्थानीय लोगों ने...

मथुरा। योगीराज भगवान श्रीकृष्ण के अग्रज ठाकुर श्री दाऊजी महाराज की जन्मस्थली बलदेव के ऐतिहासिक व पौराणिक महत्व का क्षीर सागर कुंड अव्यवस्थाओं से घिरा हुआ है। क्षीर सागर की परिक्रमा काफी छोटी है। मंदिर में आने वाले भक्त बच्चों का मुंडन कराने वाले इस कुंड पर आते हैं। साथ ही आचमन लेकर भक्ति भाव से स्नान कर रहे हैं। ऐसी मान्यता है कि ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा के बाद अगर दाऊजी महाराज के दर्शन न किए तो ब्रज भ्रमण पूरा नहीं माना जाता है। ब्रज के कण-कण में जहां श्रीकृष्ण का वास है, वहीं दाऊजी की भी विशेष कृपा भक्तों पर बरसती है।
मथुरा में यह वल्लभ सम्प्रदाय का बहुत प्राचीन मंदिर है। मंदिर के चारों ओर सर्प की कुंडली की तरह परिक्रमा मार्ग में एक पूर्ण पल्लवित बाजार है। मंदिर के पीछे एक विशाल कुंड भी है, जो बलभद्र कुंड के नाम से जाना जाता है। इसे क्षीर सागर के नाम से भी पुकारा जाता है। धर्माचार्यों में वल्लभाचार्य जी के वंश की तो बात ही पृथक हैं। निम्बार्क, माध्व, गौड़ीय, रामानुज, शंकर का्ष्णिण, उदासीन आदि समस्त धर्माचार्यों में बलदेव जी की मान्यताएँ हैं। सभी नियमित रूप से बलदेवजी के दर्शनार्थ पधारते रहे हैं और यह क्रम आज भी जारी है। हिन्दुस्तान समाचार-पत्र द्वारा आयोजित मथुरा बोले में स्थानीय लोगों ने बताया कि क्षीरसागर तालाब करीब 80 गज़ चौड़ा 80 गज लम्बा है, जिसके चारों ओर पक्के घाट बने हुए हैं। क्षीर सागर में छह घाट पक्के हैं। साथ ही एक गऊ घाट भी है, जिसमें पहले गाय पानी पीने के लिए आया करती थीं। शाम को क्षीर सागर की नित्यप्रति आरती होती है। बलदेव के नागरिकों की काफी समय से क्षीर सागर में भगवान विष्णु की मूर्ति लगवाने की मांग है। साथ ही बीच में फाउंटेन के साथ बिजली की लाइटिंग की मांग भी प्रशासन से की जा चुकी है। बीच बीच तीर्थ विकास परिषद के द्वारा विकास कार्य होता भी रहा है। वर्ष में बड़े त्योहारों बलदेव छठ, विश्व प्रसिद्ध हुरंगा, गुरु पूर्णिमा, सावन भादो में चलने वाली ब्रज चौरासी परिक्रमा के साथ प्रत्येक पूर्णिमा को यहां हजारों की संख्या में दशनार्थी इस सरोवर में स्नान आचमन करते हैं। इसके पश्चात श्री दाऊजी महाराज के दर्शन को जाते हैं। समय समय पर शासन द्वारा विकास कराया जाता रहा है। नगर पंचायत द्वारा भी समय समय पर विकास का खाका खींचा गया है। परंतु इस समय सभी का ध्यान कुंड के विकास पर होना चाहिए। कुंड के सभी घाटों पर विभिन्न स्वरूपों की प्रतिमा के साथ लाइटिग कराई जाए। -नीलेश मित्तल श्री दाऊजी महाराज की नगरी का ऐतिहासिक क्षीर सागर करीब 500 वर्ष पुराना है, जिसको भरतपुर के राजा जवाहर सिंह ने इसकी खुदाई कराके बनवाया था। जिसका ग्रंथों में अलग अलग लेख है। इस को खीर कुंड भी बोला गया है। -प्रदीप कुमार क्षीर सागर का परिक्रमा मार्ग काफी संकरा है, जिसको चौड़ा किया जाना बेहद आवश्यक है। मार्ग छोटा होने की वजह से दो पहिया वाहन भी फंस जाते हैं। इससे लोगों के साथ साथ परिक्रमार्थियों को काफी परेशानी होती है। -गोबिंदी व्यास क्षीर सागर की परिक्रमा में विराजमान है कई मंदिर। लोग सुबह शाम लगाते हैं परिक्रमा, जिसमें महामाया देवी, युगल जोड़ी श्री दाऊजी महाराज, रेवती मईया, गणेश जी महाराज, श्री राम दरबार आदि अनेक मंदिर स्थापित है, जिनके विकास के बारे में भी सोचना चाहिए। -भोला गुरु घाटों पर मुंडन संस्कार के दौरान सिर से उतरने वाले बालों की कोई व्यवस्था नहीं है, मुंडन करने के बाद बालों को वहीं छोड़ देते हैं। क्षीर सागर पर घाटों के किनारे लोहे के बक्शे रखने चाहिए, जिससे बालों को उसमें डाला जा सकें। या मुंडन घर बनवाया जाएं। -राज कुमार तेहरिया क्षीर सागर में हमेशा ही जल भराव रहता है। तीर्थ विकास परिषद द्वारा अगर क्षीर सागर के मध्य में एक सुंदर सा फव्वारा लगवा दिया जाएगा तो इसकी सुंदरता और बाढ़ जाएगी। साथ ही पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। इससे क्षेत्र का भी विकास होगा। -छुट्टन तिवारी श्री दाऊजी महाराज की परिक्रमा के साथ ही क्षीर सागर की परिक्रमा मार्ग में गणेश मंदिर के पास लगे बिजली खंभे को शीघ्र बदलवाया जाए ,साथ ही गली में लगी ब्रेकटी को उखाड़कर दूसरी जगह लगाया गए। छोटी गली होने के कारण उसमें हर समय बिजली के करंट का डर रहता है। -ओमप्रकाश व्यास घाटों का सौंदर्यीकरण हो। क्षीर सागर के चारों तरफ पर्यटकों के बैठने की व्यवस्था की जाए। क्षीर सागर की आज भी मान्यता है कि इस कुंड पर सच्चे मन से जो भी कोई मनोकामना मांगता है, वह अवश्य ही पूर्ण होती, क्योंकि भगवान विष्णु क्षीर सागर में निवास करते हैं। -बाल किशन उपाध्याय क्षीर सागर के समीप सुलभ शौचालय बनवाया जाना चाहिए, बाहर से आने वाले तीर्थयात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। खास करके महिलाओं को। पूरे परिक्रमा मार्ग में इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं है। -विजय रावत क्षीर सागर में से पानी निकासी की स्थाई व्यवस्था होनी चाहिए। वर्ष भर में आयोजित होने वाले पर्वों पर जल निकासी कर उसमें स्वच्छ जल भरवाया जा सके। स्वच्छ जल के साथ पानी में केमिकल का प्रयोग न हो। -राहुल तेहरिया ठाकुर श्री दाऊजी महाराज मंदिर के समीप स्थिति क्षीर सागर में महिलाओं के स्नान के बाद कपड़े बदलने की व्यवस्था नहीं है। स्नान के बाद वह अपने आप को बहुत असहज महसूस करती हैं। क्षीर सागर पर अन्य स्थानों की तरह प्रत्येक घाट पर फाइबर के रूम बनवाए जाएं। -अमित भारद्वाज
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।