शुरू हुआ हजरत इमाम हुसैन के शहादत की यादगार मोहर्रम का महीना
Deoria News - मोहर्रम का महीना शुक्रवार से शुरू हो गया है। यह इस्लामी संवत का पहला महीना है, जिसमें हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद किया जाता है। इस महीने में मुस्लिम समाज इबादत, रोजा और कुरान खानी में लिप्त होता...

रामपुर कारखाना/देवरिया, हिन्दुस्तान टीम। मुस्लिम समुदाय के लिए इबादत और सब्र का महीना माने जाने वाला मोहर्रम शुक्रवार से शुरू हो गया। माहे मोहर्रम इस्लामी संवत का पहला महीना है। यह महीना इस्लाम धर्म के हिफाजत के लिए हजरत इमाम हुसैन की शहादत का यादगार है। इस महीने में ताजिए बनते हैं तो वहीं अखाड़े के खिलाड़ी अपने करतब दिखाते हैं। माह-ए-मुहर्रम का चांद गुरुवार की शाम दिखते ही मुस्लिम भाइयों के लिए सब्र का महीना शुरू हो गया। माहे मुहर्रम का चांद दिखते ही नए इस्लामी साल का आगाज़ हो जाता है। सब्र का महीना माने जाने वाले मोहर्रम में इबादत करने के बेशुमार फायदे हैं।
पेश इमाम हाफिज मोहम्मद इरफान खान कहते हैं कि इस महीने में रोजे रखना, कुरान खानी करना और नफिल नमाज पढ़ना चाहिए। विभिन्न अखाड़ों के खिलाड़ियों ने सातवीं, आठवीं, नौवीं और दसवीं के जुलूस में करतब दिखाने की तैयारी शुरू कर दी। इस्लाम के हिफाजत के लिए माहे मोहर्रम में शहीद हो गए थे हजरत इमाम हुसैन मोहर्रम के महीने में यानी दसवीं तारीख को इस्लाम की वका के लिए हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन कर्बला के रेतीले मैदान में शहीद हो गए थे। हफीज खान कहते हैं कि मुहर्रम की पहली तारीख को इस्लाम धर्म के दूसरे खलीफा अमीरुल मोमिनीन हज़रत सैयदना उमर रदियल्लाहु अन्हु की शहादत हुई। वहीं, पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के प्यारे नवासे हज़रत सैयदना इमाम हुसैन रजियल्लाहु अन्हु व उनके साथियों को माहे मुहर्रम में जालिमों ने शहीद किया था। इमाम हुसैन ने इस्लाम की हिफाजत के लिए शहीद होना मुनासिब समझा। मुहर्रम में उस अज़ीम कुर्बानी को शिद्दत से याद कर अकीदत का नज़राना पेश किया जाता है। हजरत इमाम हुसैन की याद में मुस्लिम समाज मजलिस व महफिल आयोजित कर जुलूस निकालता है। उलमा-ए-कराम ने मुस्लिम भाइयों से किया अपील पेश इमाम हाफिज मोहम्मद इरफान खान कहते हैं कि हज़रत इमाम हुसैन ने मैदाने कर्बला में अपनी और अपने भूखे प्यासे बच्चों, जानिसारों की कुर्बानी पेश कर दिया, लेकिन यजीद जैसे बातिल के सामने कभी झुकना गवारा नहीं किया। जो गलत है, उसे गलत कहना चाहिए। माहे मुहर्रम में मस्जिद व घरों में इबादत करें। रोजा रखें। कर्बला के शहीदों की याद में महफ़िल सजाएं। अमनो अमान बरकरार रखने में प्रशासन की हरसंभव मदद करें। मदीना मस्जिद के पेश इमाम मोहम्मद आदिल ने कहा कि हज़रत इमाम हुसैन व उनके साथियों ने बेमिसाल कुर्बानी पेश की। मुहर्रम हमें सब्र का पैग़ाम देता है। कर्बला के शहीदों की याद में कुरआन ख्वानी, फातिहा ख्वानी व दुआ ख्वानी करें। गरीबों व फकीरों की हाजत पूरी करें, उनको खिलाना सवाब है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।