पीडब्ल्यूडी में ढाई करोड़ के फर्जी भुगतान के प्रयास का खुलासा
Deoria News - देवरिया में लोक निर्माण विभाग में ढाई करोड़ के फर्जी भुगतान का प्रयास उजागर हुआ है। आपूर्ति आदेश पर कोई भी अधिकारी का हस्ताक्षर नहीं है। तत्कालीन अधिशासी अभियंता के फर्जी हस्ताक्षर से भुगतान कराने का...

देवरिया। पीडब्ल्यूडी के निर्माण खण्ड में ढाई करोड़ के फर्जी भुगतान के प्रयास का खुलासा हुआ है। आपूर्ति आदेश पर किसी लिपिक, लेखाधिकारी और सहायक अभियंता तक का हस्ताक्षर नहीं है। तत्कालीन अधिशासी अभियंता के फर्जी हस्ताक्षर से भुगतान कराने का प्रयास किया गया। अधिशासी अभियंता के तत्कालीन अधिशासी अभियंता को पत्र लिखने के बाद फर्जीवाड़े की पोल खुली है। सिद्धार्थनगर में तैनात तत्कालीन एक्सियन ने प्रमुख, मुख्य अभियंता और एक्सियन को कूटरचना और फर्जीवाड़े की जानकारी दी है। उन्होंने उच्च स्तरीय जांच कर फर्जीवाड़े में शामिल दोषियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की मांग की है। पथरदेवा में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के 17 अक्तूबर-21 को पथरदेवा के नरेन्द्र देव इण्टर कालेज में प्रस्तावित आगमन के अवसर पर स्विस कार्टेज, सुरक्षा कार्य, बैरिकेटिंग एवं मंच पाण्डाल आदि की व्यवस्था की गयी थी।
उक्त सामानों की आपूर्ति करने वाली फर्म ने इस पर 427.62 लाख का बिल बनाया। उक्त कार्य का अधिकांश बिल का पहले ही भुगतान हो गया है। इसके बाद भी संबंधित फर्म ने उक्त कार्य के नाम पर भुगतान करने को लोक निर्माण विभाग के निर्माण खण्ड में 2 करोड़, 50 लाख 20 हजार 971 रूपये का बिल प्रस्तुत किया। संदेह होने पर लोक निर्माण विभाग, निर्माण खण्ड के अधिशासी अभियंता ने इसकी सत्यायता और आदेश आदि की जानकारी को वर्तमान में सिद्धार्थनगर में तैनात लोनिवि के तत्कालीन अधिशासी अभियंता को पत्र लिख ब्योरा मांगा। सिद्धार्थनगर में लोक निर्माण विभाग के प्रांतीय खण्ड के अधिशासी अभियंता ने 21 जून को जिले के अधिशासी अभियंता को पत्र भेज फर्जीवाड़ा कर ढ़ाई करोड़ के भुगतान के प्रयास करने का भंडाफोड़ किया। इसमें लिखा है कि 2 करोड़, 50 लाख 20 हजार 971 रूपये का 34 अदद आपूर्ति आदेशों में अधीक्षण अभियंता द्वारा न्यूनतम दर अनुमोदित तथा आपूर्ति आदेश उनके द्वारा नहीं किया गया है। इसमें न किसी लिपिक, न खण्डीय लेखाधिकारी और न ही किसी सहायक अभियंता का हस्ताक्षर है। इससे साबित होता है कि यह पूरी तरफ से फर्जी तरीके से उनके हस्ताक्षर बनाकर निर्गत कर कूटरचित प्रयास किया गया है। इसकी उच्च स्तरीय जांच की आवश्यकता है।, जिससे जो भी कर्मचारी संलिप्त हैं उनके विरूद्ध सख्त दण्डात्मक कार्यवाही हो सके।
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