30% महंगी बिजली के झटके को तैयार नहीं उपभोक्ता, लगाई आपत्तियों की झड़ी; 7 जुलाई से होगी सुनवाई
पावर कॉरपोरेशन ने बिजली कंपनियों की आय और बिजली आपूर्ति करने में आ रहे खर्च के बीच 19,600 करोड़ रुपये से अधिक का अंतर दिखाया है। कॉरपोरेशन ने कहा कि इस अंतर की भरपाई के लिए मौजूदा बिजली दरों में 30 प्रतिशत का इजाफा करना होगा।

यूपी में बिजली को 30 प्रतिशत तक महंगा करने के प्रस्ताव के खिलाफ जिस तरह की आपत्तियां नियामक आयोग में आनी शुरू हुई हैं, उसे देखकर कॉरपोरेशन की राह आसान नहीं दिख रही है। उपभोक्ताओं ने साफ कर दिया है कि वे बिजली के मामले में महंगाई के इतने बड़े झटके लिए फिलहाल तैयार नहीं हैं। बिजली की नई दरें तय करने के लिए नियामक आयोग ने सुनवाई की तारीखें तय कर दी हैं। सात जुलाई से बिजली कंपनियों के दावों पर सुनवाई होगी।
पावर कॉरपोरेशन ने बिजली कंपनियों की आय और बिजली आपूर्ति करने में आ रहे खर्च के बीच 19,600 करोड़ रुपये से ज्यादा का अंतर दिखाया है। कॉरपोरेशन ने कहा कि इस अंतर की भरपाई के लिए मौजूदा बिजली दरों में 30 प्रतिशत का इजाफा करना होगा। हालांकि, कॉरपोरेशन के प्रस्ताव के बाद ही उपभोक्ता परिषद ने उसके विरोध में नियामक आयोग में याचिका दाखिल करके बिजली की मौजूदा दरों में 40-45 प्रतिशत कमी करने की मांग की है। जब 7 जुलाई से दावों पर सुनवाई होगी तब न केवल उपभोक्ता परिषद बल्कि कई और उपभोक्ता भी दरों के इजाफे का विरोध करेंगे।
उपभोक्ता परिषद समेत सभी उपभोक्ताओं को पावर कॉरपोरेशन के उस दावे पर दिक्कत है, जिसमें उसने सकल तकनीकी और वाणिज्यिक (एटीएंडसी) हानियों को बढ़ाकर दिखाया है। उपभोक्ताओं ने बिजली कंपनियों द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं पर भी सवाल खड़े किए हैं। कनेक्शन के दौरान पोल के लिए जमा करवाई गई रकम से पोल न लगवाने, लोकल फॉल्ट के नाम पर बिजली कटने, मासिक तौर पर बिजली बिलों पर ईंधन अधिभार लगाने जैसी आपत्तियां आई हैं। उपभोक्ताओं ने तर्क दिए हैं कि जब बिजली सुविधाएं बेहतर नहीं की जा रही हैं तो बिजली की दरों में इजाफा क्यों होना चाहिए?
उपभोक्ता परिषद ने उठाए सवाल
- उपभोक्ता परिषद ने भी एटीएंडसी हानियों को तय मानकों से ज्यादा बताया है
- बिजली बिल वसूली के आंकड़ों पर भी सवाल उठाए हैं
- नियामक आयोग के पिछले टैरिफ आदेशों पर अमल नहीं
- बिजली दरें बढ़ाने का प्रस्ताव निजीकरण में औद्योगिक समूहों को बुलाने के लिए