तबादलों में गड़बड़ी पर सीएम योगी का बड़ा एक्शन, इन वरिष्ठ IAS अफसरों से छीना काम
तबादलों में गड़बड़ी पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ा एक्शन लिया है। तबादले में गड़बड़ी पर वरिष्ठ आईएएस अफसरों से काम छीनकर उन्हें प्रतीक्षारत कर दिया है। उनके काम दूसरे आईएएस अधिकारियों को अतिरिक्त प्रभार के रूप में सौंप दिए हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तबादलों में गड़बड़ी पर सख्त रुख अपनाते हुए दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों से काम छीन लिया है। उन्हें पद से हटाकर प्रतीक्षारत कर दिया है। दोनों अधिकारियों के काम दो अन्य अधिकारियों को अतिरिक्त प्रभार के रूप में दे दिए हैं। सीएम योगी ने महानिरीक्षक निबंधन समीर वर्मा व निदेशक प्रशासन चिकित्सा एवं स्वास्थय सेवाएं भवानी सिंह खंगारौत से काम छीनकर वेटिंग में डाल दिया है। इससे ठीक पहले सीएम योगी ने स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग में तबादलों में गड़बड़ी को देखते हुए 200 उपनिबंधकों व निबंधन लिपिकों के तबादलों पर रोक लगा दी। नियमों को दरकिनार कर किए गए तबादलों की जांच कराने का आदेश भी दिया है।
आईएएस समीर वर्मा के पास महानिरीक्षक निबंधन के पद पर थे। अब आईएएस अधिकारी प्रमुख सचिव स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन व परिवहन अमित गुप्ता को महानिरीक्षक निबंधन का अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया है। इसी तरह भवानी सिंह अभी तक निदेशक प्रशासन चिकित्सा व स्वास्थ्य सेवाएं थे। अब विशेष सचिव चिकित्सा श्रीमति आर्यका अखारी को निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं का अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया है।
इससे पहले स्टांप एवं पंजीयन विभाग के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवींद्र जायसवाल ने महानिरीक्षक निबंधन समीर वर्मा के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर मांग की थी कि महानिरीक्षक निबंधन (आईजी स्टांप) का दूसरी जगह तबादला करने या लंबी छुट्टी पर भेजने का आग्रह किया था। साथ ही पूरे मामले की एसटीएफ से जांच करने का अनुरोध किया है।
आईजी स्टांप पर लगाए गंभीर आरोप
मंत्री ने 18 जून को मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि महानिरीक्षक निबंधन के खिलाफ भ्रष्टाचार की काफी शिकायतें मिली हैं। उनके द्वारा कई बार शिकायतों व जांच के दौर से गुजरे दागदार भ्रष्ट अधिकारियों को उनकी मनमाफिक तैनाती कर दी गई। इसमें लाखों रुपये के लेन-देन की शिकायतें मिल रही हैं। उनकी खुद की भूमिका भी संदिग्ध दिख रही है। मंत्री ने कहा कि तबादलों को लेकर महानिरीक्षक निबंधन ने मुझसे सतही चर्चा की और बाद में कहा कि उप निबंधकों व निबंधन सहायकों का तबादला मेरा अधिकार है, आपसे पुन: चर्चा का कोई औचित्य नहीं है।
इसके बाद उन्होंने अपना मोबाइल स्विच आफ कर लिया। उनके बारे में पता करने पर उनकी स्टाफ ने उनकी उपलब्धता की सही जानकारी नहीं दी। उप निबंधकों व निबंधन सहायकों की तबादला सूची देखने से पता चलता है कि इसमें घोर लापरवाही की गई। दागदार अधिकारियों की महत्वपूर्ण तैनाती की गई। सीधी भर्ती के अधिकारियों को अपेक्षाकृत कम महत्वपूर्ण कार्यालयों में तैनाती दी गई। इसमें स्पष्ट रूप से भ्रष्टाचार दिख रहा है।
बुधवार को ही प्रमुख सचिव अमित गुप्ता ने 59 उपनिबंधक व जिला अधिष्ठान के कुल 114 कनिष्ठ सहायक निबंधन के स्थानांतरण पर अगले आदेश तक रोक लगा दी। इसके साथ ही 29 नव प्रोन्नत उपनिबंधक के तबादले भी रुक गए।
हमने मुख्यमंत्री से मिलकर गड़बड़ियों के बारे में बताया : रवींद्र जयसवाल
मंत्री रवींद्र जायसवाल ने गुरुवार को लखनऊ में पत्रकारों से कहा कि हमने मुख्यमंत्री से 18 जून को मुलाकात की और अपने स्तर से जांच कराने में मिले तथ्यों के दस्तावेज उन्हें दिए। मुख्यमंत्री को बताया कि अधिकारियों ने लापरवाही बरती। मेरिट का पालन नहीं हुआ। जब हमारे पास लिस्ट आई तो हमें गड़बड़ी मिली। मुख्यमंत्री ने इसकी जांच कराने को कहा है। अब दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी। जांच मुख्यमंत्री कार्यालय स्तर से तय होगी। इस बीच माना जा रहा है कि महानिरीक्षक निबंधन पर कार्रवाई हो सकती है।