बोले बुलंदशहर: बिजली कटौती से प्रभावित फसलों की सिंचाई
Bulandsehar News - प्रचंड गर्मी और अघोषित बिजली कटौती से किसानों की फसलें प्रभावित हो रही हैं। किसानों का कहना है कि बिजली की कमी से फसलों को समय पर पानी नहीं मिल पा रहा है, जिससे सूखने का खतरा है। यदि स्थिति में सुधार...
प्रचंड गर्मी और अघोषित बिजली कटौती ने किसानों की फसल पर भी प्रभाव डालना शुरू कर दिया है। किसानों का कहना है कि बिजली कटौती से खेती पर काफी गहरा प्रभाव है। फसलों को समय से पानी नहीं मिलने के कारण सूखने के कगार पर पहुंच रही हैं। ऐसे में यदि जल्द ही बिजली आपूर्ति में सुधार नहीं हुआ तो किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। गांवों में कई-कई दिनों तक जर्जर तारों को ठीक नहीं किया जाता। इससे भी किसानों को काफी असुविधा होती है। बुलंदशहर जिले में सात तहसीलों में 946 ग्राम पंचायत हैं। जिले में किसानों की संख्या करीब साढ़े चार लाख है।
अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिले की अधिकांश आबादी कृषि क्षेत्र से जुड़ी हुई है। किसानों को समय से खाद, बीज और बिजली मिलेगी तो फसल पर्याप्त और बेहतर होगी। इससे किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी। लेकिन, इन दिनों प्रचंड गर्मी पड़ रही है। तापमान 35-40 डिग्री से अधिक पहुंच रहा है। बिजली की बात करें तो शहर से लेकर देहात तक अघोषित कटौती ने लोगों का हाल-बेहाल कर रखा है। ग्रामीण क्षेत्रों में 18 घंटे बिजली मिलने का प्रावधान है। जबकि शहरी क्षेत्रों में 24 घंटे बिजली के निर्देश हैं। इसके अलावा किसानों की ट्यूबवेल को 10 घंटे बिजली मिलने का आदेश सरकार की तरफ से हैं। गर्मी के दिनों में ट्रांसफार्मर से लेकर बिजली लाइन तक हांफ रही है। ऐसे में जगह-जगह कट लगने की वजह से किसानों की फसल पर असर पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि देहात क्षेत्र में बमुश्किल 08-10 घंटे ही बिजली मिल रही है। जबकि ट्यूबवेल के लिए सिर्फ चार से छह घंटे ही बिजली मिल पा रही है। वर्तमान में खेतों में धान, गन्ना, मक्का, बाजरा, दलहन के साथ-साथ सब्जी की फसल खड़ी हुई है। इन सभी फसलों को पर्याप्त मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है। यदि फसलों को पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिलेगा तो किसानों का काफी नुकसान होगा। जब से प्रचंड गर्मी का दौर शुरू हुआ है, तब से बिजली की आंख-मिचौली शुरू हो गई है। किसान बिजली आने पर खेतों में पानी देने के लिए जाता है तो खेतों पर पहुंचते ही बिजली गायब हो जाती है। इस संबंध में कई बार ऊर्जा निगम के अधिकारियों से गुहार लगाई जा चुकी है कि बिजली की समस्या का समाधान करें। लेकिन उसके बाद भी अभी तक ना तो लाइनों में सुधार हो सका है और ना ही देहात क्षेत्र की बिजली आपूर्ति में कोई सुधार हो सका है। ऐसे में किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यदि जल्द ही हालत में सुधार नहीं होगा तो किसानों को आर्थिक रूप से काफी नुकसान उठाना पड़ेगा। ------- कम से कम 12 घंटे तो बिजली मिले किसानों ने कहा कि प्रदेश सरकार के निर्देश हैं कि देहात क्षेत्रों में कम से कम 18 घंटे बिजली मिले। लेकिन पावर कारपोरेशन के अधिकारियों की लापरवाही के कारण देहात क्षेत्र में सिर्फ आठ-दस घंटे ही बिजली मिल पा रही है। यदि देहात क्षेत्र को 12 घंटे बिजली मिलने लगेगी तो किसान इससे अपनी फसलों की सिंचाई आसानी से कर सकेंगे। पावर कारपोरेशन के अधिकारियों को किसानों की समस्याओं की तरफ ध्यान देना चाहिए। ताकि किसानों को आर्थिक संकट से ना जूझना पड़े। ट्यूबवेल के लिए भी कम से कम पांच घंटे निर्बाध आपूर्ति मिलनी चाहिए। क्योंकि धान की फसल को सबसे ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है। ऐसे में यदि धान की फसल को समय से पानी नहीं मिलेगा तो फसल के खराब होने के ज्यादा आसार रहते हैं। ---------- लाइन लॉस के चक्कर में भी काट देते हैं बिजली किसानों का आरोप है कि जब किसान बिजली गायब होने पर संबंधित बिजलीघर पर जाते हैं तो वहां पता लगता है कि बिजली को उच्चाधिकारियों के निर्देश पर काटा गया है। अधिकारी बिना एंट्री के ही सप्लाई को बाधित कर देते हैं। थ्रू रेट मैनटेन करने के लिए अधिकारी अपनी मर्जी से ही बिजली आपूर्ति को बाधित कर देते हैं। इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ता है। बिल देने की जब बारी आती है तो अधिकारी बिल जमा नहीं करने वाले किसानों के बिजली कनेक्शन को काटने का काम करते हैं। कुल मिलाकर किसानों का शोषण करने पर विभाग उतारू है। इसका खामियाजा भोले-भाले किसानों को उठाना पड़ता है। कई-कई दिनों तक गांवों में बिजली के तारों को ठीक नहीं किया जाता है। इससे भी किसानों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। -------- सिंचाई में होती दिक्कत, फार्मर आईडी के लिए हर गांव में लगे शिविर किसानों का कहना है कि कहने के लिए किसानों को निशुल्क पानी उपलब्ध करवाया जाता है पर जब खेतों में सिंचाई की जरूरत होती है तो कभी नहर में पानी नहीं तो कभी ट्यूबवेल चलाने के लिए बिजली नहीं। औसतन हर महीने 15 से ज्यादा सरकारी ट्यूबवेलों के खराब होने से भी सिंचाई में दिक्कत होती है। सरकार का गो आधारित खेती पर जोर है पर जब सुविधाओं की बात आती है तो उसका लाभ सिर्फ गंगा किनारे के किसानों को मिलता है। यूपी डास्प उन किसानों को भी सब्सिडी दे जो रसायन मुक्त, प्राकृतिक और गो आधारित खेती करते हैं। फार्मर आईडी बनाने के लिए हर गांव में कैंप लगें। जनसेवा केंद्रों पर इसे मुफ्त बनवाया जाए। रियल टाइम खतौनी में त्रुटियों को ठीक करने के लिए हर तहसील में अलग से स्टाफ की तैनाती हो। ग्राम पंचायत भवन में लेखपाल, सचिव आदि कर्मचारियों की गैर-हाजिरी पर अंकुश लगाया जाए। जो भी जनसेवा केंद्र बने हैं, उन्हें नियमित रूप से खुलवाया जाए। ------- जानिए किसानों की पीड़ा देहात क्षेत्र में बिजली आपूर्ति पूरी तरह से गड़बड़ा रही है। इसका असर खेती पर पड़ रहा है। यदि समय रहते ही बिजली आपूर्ति में सुधार नहीं हुआ तो किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा। -पूनम पंडित पावर कारपोरेशन के अधिकारी किसानों का शोषण करने पर उतारू हैं। जब प्रदेश सरकार देहात क्षेत्र के लिए 18 घंटे बिजली का निर्देश जारी कर चुकी है तो फिर कटौती क्यों की जा रही है। -चौधरी जबर सिंह धान की फसल को सबसे ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है। जब किसान खेतों में पानी देने के लिए पहुंचता है तो पता लगता है कि बिजली नहीं आ रही है। ऐसे में किसान वापस अपने घर आ जाता है। -आजाद सिरोही प्रचंड गर्मी के दौर में बिजली सबसे ज्यादा काम आती है। लेकिन जब से गर्मी का मौसम शुरू हुआ है तब से किसानों को खेती करने में परेशानी उठानी पड़ रही है। -अमरपाल सिंह ट्यूबवेल के लिए दस घंटे बिजली मिलने का निर्देश है। यदि पांच घंटे भी बिजली ठीक प्रकार से मिलने लगेगी तो सिंचाई पर प्रभाव नहीं पड़ेगा। लेकिन ट्यूबवेल बमुश्किल दो घंटे ही चल पा रही है। -ब्रजपाल सिंह खेतों में पकी हुई फसल खड़ी हैं। इनमें पानी की पर्याप्त मात्रा में आवश्यकता है। समय से बिजली नहीं मिलने की वजह से किसानों की फसलों पर असर पड़ रहा है। -हसरत रात के समय बिजली आती है। ऐसे में जब किसान खेतों पर पानी देने जाते हैं तो जंगली जानवरों के हमले का अंदेशा लगा रहता है। दिन के समय बिजली मिलनी चाहिए। -ब्रह्मपाल सिंह किसान पहले से ही कई प्रकार की समस्याओं से जूझ रहा है। बिजली नहीं मिलने की वजह से जब किसान की फसल खराब होगी तो उसे और आर्थिक संकट से दो-चार होना पड़ेगा। -डाक्टर कृष्णवीर पावर कारपोरेशन के अधिकारी लाइन लांस मैनटेन करने के लिए आपूर्ति को बाधित कर देते हैं। जब किसान बिजलीघर पर शिकायत लेकर जाता है तो उसे उच्चाधिकारियों के निर्देश पर बिजली काटने की बात कहकर टरका दिया जाता है। -बेगराज सिंह नागर जिले में कई गांव ऐसे है जहां पर रजवाहे दूर-दूर तक नहीं है। ऐसे किसान सिर्फ ट्यूबवेल से ही अपनी फसलों की सिंचाई करते हैं। कम से कम किसानों को समय से तो बिजली मिलनी चाहिए। ताकि किसान परेशान ना हो। -विजयवीर सिरोही ------- सुझाव: 1.किसानों को कम से कम 12 घंटे बिजली मिलने का हो प्रावधान। 2.देहात क्षेत्र में कम से कम 18 घंटे बिजली आपूर्ति का हो प्रावधान। 3.खेतों के ऊपर से गुजरने वाली लाइन को खराब होने पर तत्काल कराया जाए ठीक। 4.रात के बजाय दिन में किसानों के लिए बिजली हो उपलब्ध। 5.किसानों के लिए सस्ते बीज उपलब्ध कराए जाएं। शिकायत: 1.खेती करने के लिए बिजली सप्लाई का समय होना चाहिए निर्धारित। 2.देहात क्षेत्र में कम से कम होनी चाहिए बिजली कटौती। 3.खेतों के ऊपर से गुजरने वाली लाइन को ठीक करने की हो व्यवस्था। 4.रात के बजाय दिन के समय किसानों को उपलब्ध होनी चाहिए बिजली आपूर्ति। 5.सस्ते दामों पर खाद व बीज मिलने का हो प्रावधान। -------- कोट: किसानों की समस्याओं को हल कराना जनप्रतिनिधियों की पहली प्राथमिकता रहती है। क्षेत्र के किसानों के साथ वार्ता कर उनकी दिक्कतों को जानने का काम किया जाएगा। बिजली की दिक्कत को दूर कराने के लिए पावर कारपोरेशन के अधिकारियों से वार्ता कर हल निकाला जाएगा। -प्रदीप चौधरी, विधायक सदर
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