बोले बुलंदशहर : गोताखोरों को चाहिए सुविधाओं की ऑक्सीजन
Bulandsehar News - गंगा के किनारे लगभग 300 गोताखोर डूबते लोगों की जान बचाने में लगे रहते हैं। इन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। गोताखोरों की आर्थिक स्थिति खराब है, और उन्हें आधुनिक उपकरणों की आवश्यकता है।...
उफनती गंगा की धारा के बीच जब कोई डूब रहा हो तो गोताखोर जान हथेली पर रखकर उन्हें बचाने के लिए अपनी जान की बाजी तक लगा देते हैं। डूबने वाले के लिए गोताखोर देवदूत बन गंगा में छलांग लगाकर काल के ग्रास से सकुशल बचा लेते हैं। पीड़ित परिवार इन्हें धनराशि इनाम स्वरूप देते हैं उसे से ये अपने परिवार का लालन पोषण करते हैं। अनूपशहर से निकल रही गंगा नदी के घाट पर करीब 300 गोताखोर तैनात हैं। इसके बाद भी इन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। सरकार द्वारा गोताखोरों को आधुनिक उपकरण लाइफ जैकेट, ऑक्सीजन सिलेंडर देने चाहिए।
जनपद बुलंदशहर में अनूपशहर को धार्मिक नगरी के रूप में जाना जाता है। क्योंकि यहां पर पतित पावनी गंगा निकल रही है। जहां पर हर महीने की अमावस्या और पूर्णिमा पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु गंगा स्नान करने के साथ-साथ दान-पुण्य करने के लिए आते हैं। गंगा किनारे स्थित मांडू आश्रम, आहार, अवंतिका देवी, अनूपशहर, कर्णवास, राजघाट, नरोरा, रामघाट में लगभग 200 से 300 लोग गोताखोरी का कार्य करते है। गंगा में होने वाले हादसों के बाद प्रशासन आसपास के गोताखोरों को बुलाकर कार्य कराता है। गोताखोर बताते हैं कि बचपन से गंगा की गोद में रहकर अपने पूर्वजों से सीखते आए गोताखोरी के हुनर आने वाली पीड़ियों में अंकुरित करते हैं। गोताखोरों का मानना है कि जो व्यक्ति अधिक देर तक पानी में सांस रोक सकता है। वही पारंगत गोताखोर माना जाता है। प्रचलन है कि देशी परीक्षण के दौरान गोताखोर को गंगा के गहरे जल में गोता लगवाकर गंगा की तलहटी से एक मुट्ठी रेट मंगवाया जाता है। जो युवक यह कार्य करता है उसे अच्छा गोताखोर घोषित किया जाता है। पूर्वजों से विरासत में मिली इस जोखिम भरी कला के यह महारथी वर्तमान में सरकार और समाज की उपेक्षित जिंदगी जीने को मजबूर है। सदियों से स्नान के दौरान आए दिन गंगा में होने वाली डूबने की घटनाओ में यह गोताखोर अपनी भूमिका कुशलता पूर्वक निभाते आ रहे हैं। डूबने की घटना के समय गंगा के यह महारथी अपना कर्तव्य समझकर चंद रुपयों के लिए अपनी जान को जोखिम में डालकर बिना उपकरण की सहायता से गंगा की धारा में गहरा गोता लगाकर डूबे लोगों को काल के गाल से निकाल लाते है। लोगों की बेमोल जिंदगी को बचाने वाले गोताखोरों की जिंदगी आज बेमोल हो गई है। अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहे हैं गोताखोर जोखिमों से भारी गोताखोरों की जिंदगी किसी से छिपी नहीं है। चंद पैसों के लिए अपनी जान हथेली पर रखकर गंगा में डूबे लोगों को सुरक्षित बाहर निकलवाना हो या लापता शवों को निकालने का कार्य करने से जो इनाम स्वरूप धनराशि मिलती है। उसी से यह आपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। घर से सुबह काम की जुगत में गोतखोर गंगा तट पर पहुंचते हैं। काम न मिलने पर मायूस होकर शाम को खाली हाथ घर वापस चले आते हैं। कुछ गोताखोर आटा, दाल खरीदने के लिए श्रद्धालुओं द्वारा गंगा मैया में चढ़ाए गए सिक्कों को गंगा की तलहेटी से निकाल कर अपना गुजार बसर करते हैं। गंगा में दुर्घटना होने पर प्रशासन को आती है गोतखोरों की याद जनपद या अन्यत्र कहीं नदियों में नाव पलटने, लोगों के डूबने, लापता शवों को ढूंढना हो या बाढ़ के समय लोगों की जान बचाने की बात हो तो उस समय प्रशासन द्वारा गोताखोरों को याद किया जाता है। दूर दराज क्षेत्रों में जब नदियों में बाढ़ आती है, तो शासन के आदेश पर स्थानीय प्रशासन गोताखोरों की सूची बनाकर चंद रुपयों का लालच देकर बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में लोगों की जान बचाने के लिए भेजा जाता है। जीवन में सैकड़ों लोगों को काल के गाल से छुड़ाने वाला पानी के इस योद्धा की अब कोई सुध लेने वाला नहीं है। आर्थिक तंगी से जूझते गोताखोर, सुध नहीं ले रही सरकार दूसरों की जिंदगी बचाने वाले गोताखोरों की आर्थिक स्थिति किसी से छिपी नहीं है। गोताखोरी की कला से दूसरों की जिंदगी बचाने वाले गोताखोरों को इस महंगाई के दौर में परिवार के लिए दो वक्त की रोटी जुटाना मुश्किल होता है। आर्थिक तंगी से निपटने के लिए परिवार के अन्य सदस्य मेहनत-मजदूरी करने के बाद भी कुपोषित जीवन जीने को मजबूर हैं। मुख्य धारा से कोसों दूर आर्थिक तंगी में जीवन व्यतीत करने वाले गोताखोर को मुख्य धारा में लाने के लिए सरकार द्वारा कोई योजना अभी तक नहीं बनाई गई। गोताखोरों को चाहिए प्रशिक्षण व आधुनिक उपकरण गोताखोरी खतरनाक कार्य है। इसमें अक्सर गंभीर या घातक दुर्घटना हो जाती है, दुर्घटनाओं से बचने के लिए प्रशासन द्वारा स्थानीय अप्रशिक्षित गोताखोरों को चिन्हित कर विभाग द्वारा समय-समय पर गोतखोरी का प्रशिक्षण देकर पारंगत किया जाना चाहिए। गोताखोरी के दौरान काम आने वाले लाइफ जैकेट, पानी में देखने वाले चश्मा, ऑक्सीजन सिलेंडर आदि उपकरण मुहैया इन गोताखोरों को कराए जाने चाहिए। जिससे वह अपने जीवन को सुरक्षित करते हुए घटना के दौरान पानी के अंदर से डूबे व्यक्ति को तत्काल बाहर निकाल सकें। जिंदगी मोल, शव अनमोल गंगा स्नान करते समय आए दिन डूबने की घटनाएं होती हैं। गोताखोर बताते हैं कि जब वह डूबते व्यक्ति को सुरक्षित गंगा से बाहर निकलते हैं, तो उसके परिजनों द्वारा गोतखोरों को बेमोल जान बचाने की कीमती मात्र 200 या 500 रुपये ही दी जाती है। किन्तु जब गंगा में लापता शव को तलाश करने की बात होती है तो परिजन इसकी मोटी कीमत देने को तैयार होते जाते हैं। वहीं जब पुलिस प्रशाशन द्वारा किसी लावारिस शव को गंगा से बाहर निकलवाने की बात आती है, तो पुलिस वाले ना कुछ मेहनताना देकर उनसे जबरन कार्य करवाते हैं। गंगा सेवा समिति की मांग गंगा सेवा समिति के अध्यक्ष अखिलेश पालीवाल का कहना है कि विश्व भर में गोताखोरी रोमांचों से भरा लोकप्रिय व महत्वपूर्ण कार्य है। जरुरत है कि स्थानीय गोतोखोरों की छिपी प्रतिभाओं को प्रशिक्षण के माध्यम से उनकी प्रतिभा को विकसित कर आधुनिक बनाने की। इस कार्य में देश ही नहीं विदेश पटल पर रोजगार की अपार संभावनाएं है। इस कार्य में पानी में होने वाली दुर्घटनाओं के अलावा पानी के अंदर महत्वपूर्ण खोजें तथा जलीय जीवों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए गोताखोर की अहम भूमिका होती है। सरकार को चाहिए गोताखोरों का मानदेय तय कर इन्हे प्रशिक्षित करें। गोताखोरी के दौरान काम आने वाले आधुनिक उपकारणों से इन्हें सुसज्जित किया जाए। ताकि देश के किसी भी हिस्से में आने वाली आपदा के समय इनसे कुशलता पूर्वक कार्य लिया जा सके। गोताखोरों के मन की बात जानिएं विलुप्त होती गोताखोरी की कला को जीवित रखने के लिए गौतखोरों के आर्थिक विकास के लिए सरकार को योजनाएं बनानी चाहिए। वर्तमान में चल रही विभिन्न योजनाओं का बिना देरी की लाभ दिया जाने की आवश्यकता है। -विजय कुमार गोताखोरी के इस जोखिम कार्य में कभी भी कोई हादसा हो सकता है, जिसमें गोताखोरों की जान भी जा सकती है। सरकार को चाहिए गोताखोरों को चिन्हित कर उनको अपनी ओर से जीवन बीमा किया जाये। जिससे उसके परिवार को भुखमरी का सामना न करना पड़े। -विकास सभी अप्रशिक्षित गोताखोरों को सरकार की ओर से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। ताकि वे कुशलता से कार्य का निर्वहन कर सके। -हिमांशु गंगा तट पर लगने वाले पूर्णिमा, अमावस्या, दशहरा आदि स्नान मेलो पर स्थानीय प्रशासन को गोताखोरों की याद आती है। मजदूरी के हिसाब से 2-3 दिन काम लिया जाता है, नगर पंचायत नगर पालिका द्वारा मानदेय मिलना चाहिए। -अमर गंगा में कोई हादसा होने पर स्थानीय प्रशासन, पुलिस से दबाव बनाकर कार्य करा लेते हैं। मेहनताना देने के नाम पर कार्यालय के महीनो चक्कर कटवाने के बाद उनका भुगतान होता है। -अजय गोताखोरी जोखिमों से भरा कार्य है, कुशलता पूर्वक कार्य करने के लिए सरकार द्वारा गोताखोरों को आधुनिक उपकरण लाइफ जैकेट, ऑक्सीजन सिलेंडर, पानी में देखने का चश्मा उपलब्ध करना चाहिए। ताकि डूबने वाले को समय से बचाया जा सके। -रवि गोताखोरों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए सरकार को शिक्षित गोताखोर या उसके परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरियों में आरक्षण देना चाहिए। -सौरव गोताखोरों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए सरकार को गोताखोरों के लिए लकड़ी और मोटर बोट खरीदने के लिए बैंक से सस्ता ऋण दिलाना चाहिए। जिससेवे स्नानर्थियों को नौका विहार कराकर अपनी कमाई कर सके। -कृष्णा गोताखोरों को कई तरह की शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। शारीरिक समस्याओं में कान, नाक, साइनस, फेफड़े और हृदय से संबंधित समस्याएं शामिल हैं। समस्याओं से निजात दिलाने के लिए प्रत्येक को आयुष्मान कार्ड बनवाने तथा निशुल्क स्वास्थ्य जांच कराई जाए। -हर्ष गोताखोर आपने बच्चों को अच्छे स्कूलों में पढ़ाना चाहते है किन्तु आर्थिक तंगी के चलते बच्चों का एडमिशन नहीं हो पता। सरकार को बच्चों की पढ़ाई के लिए इंग्लिश मीडियम स्कूलों में पढ़ाई कि व्यवस्था कि जानी चाहिए। ताकि बच्चें पढ़ लिखकर सरकारी नौकरीयां प्राप्त कर सके। -मलखान सुझाव: 1.गोताखोरों को लाइफ जैकेट सहित हर वह उपकरण मिलना चाहिए। जिसकी उन्हें आवश्यकता है। 2.गोताखोरों की आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए उनके बच्चों को निशुल्क शिक्षा का हो प्रावधान। 3.गोताखोरों को विशेष प्रशिक्षण दिलाने की जिम्मेदारी को उठाए जिला प्रशाासन। 4.गोताखोरों के बनाए जाएं आयुष्मान कार्ड और समय-समय पर हो स्वास्थ्य जांच। 5.लकड़ी और मोटर वोट खरीदने के लिए सस्ते ऋण की हो व्यवस्था। शिकायत: 1.बिना उपकरण के गोताखोर हर वक्त अपनी जान जोखिम में डालता है। इसका उपाय होना चाहिए। 2.आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए बच्चों की निशुल्क शिक्षा हो अनिवार्य। 3.विशेष प्रशिक्षण दिलाने का काम किया जाए। इसके लिए संबंधित विभाग की जिम्मेदारी हो तय। 4.आयुष्मान कार्ड और समय-समय पर जांच से गोताखोरों को होगा फायदा। 5.सस्ते ऋण की सुविधा मिलने पर गोताखोर अपने जीवन को बना सकते हैं सरल। कोट: गोताखोरों की समस्याओं को दूर करने के लिए जल्द ही शासन स्तर पर वार्ता की जाएगी। गोताखोरों को सस्ते ऋण और आयुष्मान योजना का लाभ मिलें, इसके लिए प्रयास किए जाएंगे। -संजय शर्मा, विधायक, अनूपशहर
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।