बोले बिजनौर : सिटीजन चार्टर लागू हो तो तेजी से सुलझें समस्याएं
Bijnor News - माध्यमिक शिक्षा विभाग के शिक्षक अपनी समस्याओं के समाधान के लिए लगातार आंदोलन कर रहे हैं। 5 मार्च को लागू सिटीजन चार्टर के बावजूद, चार महीने बीतने के बाद भी इसे लागू नहीं किया गया है। शिक्षक पदोन्नत...

माध्यमिक शिक्षा विभाग में काम करने वाले शिक्षक अपनी समस्याओं के समाधान के लिए जिले से लेकर प्रदेश स्तर तक आए दिन आंदोलन करते रहते हैं। इसके बावजूद उनकी मांगें समय पर पूरी नहीं होतीं। इन समस्याओं को तय समय में निपटाने के लिए विभाग ने 5 मार्च को एक सिटीजन चार्टर लागू किया था, जिसमें सभी कामों के लिए एक समय-सीमा तय की गई थी। हालांकि, चार माह बीतने के बाद भी बिजनौर के शिक्षा विभाग के दफ्तरों में यह चार्टर अभी तक लागू नहीं किया गया है। इससे शिक्षक नाराज हैं। उनकी मांग है कि इस सिटीजन चार्टर को तुरंत लागू किया जाए, ताकि पदोन्नत वेतनमान, चयन वेतनमान, बकाया वेतन, जीपीएफ का भुगतान और पदोन्नति जैसे ज़रूरी मुद्दों को जल्द से जल्द सुलझाया जा सके।
माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक लंबे समय से कई मुद्दों पर संघर्ष कर रहे हैं, जिनमें पुरानी पेंशन योजना की बहाली, एनपीएस में राज्य के हिस्से का अद्यतन, संविदा शिक्षकों को स्थायी करना, वित्तविहीन शिक्षकों को मानदेय दिलाना, बिना एनओसी के तबादले और बेहतर चिकित्सा सुविधाएं शामिल हैं। इन प्रांतीय स्तर के मुद्दों के अलावा, स्थानीय स्तर पर भी शिक्षक प्रोन्नत वेतनमान, चयन वेतनमान, बकाया राशि, जीपीएफ का भुगतान और पदोन्नति जैसे मामलों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। शिक्षकों का सबसे बड़ा दु:ख यह है कि उनकी समस्याओं का समाधान समय पर नहीं होता। अपनी वाजिब मांगों के लिए भी उन्हें बार-बार दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। अधिकारी और कर्मचारी एक के बाद एक कमियां निकालकर कागज़ात मांगते रहते हैं। जब सारे दस्तावेज़ पूरे हो जाते हैं, तब भी काम नहीं होता। इस समस्या से निपटने के लिए, 5 मार्च 2025 को ‘सिटीजन चार्टर लागू किया गया, ताकि काम तय समय पर पूरे हों। हालांकि, यह चार्टर केवल कागजों पर ही लागू हुआ है और शिक्षकों को इसका कोई ज़मीनी फायदा नहीं मिला है। हिन्दुस्तान के ‘बोले बिजनौर अभियान के दौरान बातचीत में शिक्षकों का यह दर्द उभरकर सामने आया। शिक्षकों ने बताया कि माध्यमिक शिक्षा विभाग के तहत आने वाले सरकारी और सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में काम करने वाले शिक्षकों और शिक्षणेतर कर्मचारियों की समस्याओं को सुलझाने के लिए सिटीजन चार्टर लागू किया गया। इस साल 5 मार्च को, माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने इसे लागू करने का आदेश जारी किया था। यह आदेश सभी संयुक्त निदेशकों (जेडी), उप निदेशकों (डीडीआर) और जिला विद्यालय निरीक्षकों (डीआईओएस) को भेजा गया था। आदेश में यह भी कहा गया था कि 15 दिनों के भीतर कार्यालयों के मुख्य दरवाज़ों पर बड़े अक्षरों में, समस्याओं के समाधान के लिए बनाई गई समिति के पहले और दूसरे अपीलीय अधिकारी का पूरा विवरण पेंट कराया जाए। यहाँ तक कि सूचना पट्ट का एक प्रारूप भी भेजा गया था। लेकिन, दुख की बात यह है कि चार महीने बीत जाने के बाद भी किसी भी कार्यालय में इसे पेंट नहीं करवाया गया है। नाराज़ शिक्षकों का मानना है कि अधिकारियों की इसे लागू करने की नीयत ही नहीं है। उन्हें लगता है कि अगर यह पेंट करवा दिया गया तो लोग जागरूक हो जाएंगे और चार्टर में दिए गए नियमों को लेकर सवाल पूछेंगे, जिनका जवाब न तो अधिकारियों के पास होगा और न ही कर्मचारियों के पास। शिक्षकों का कहना है कि अगर माध्यमिक शिक्षा के सभी विभागों में सिटीजन चार्टर को सही मायनों में लागू कर दिया जाए, तो उनकी आधी से ज्यादा समस्याएं अपने आप ही खत्म हो जाएंगी। कार्यों के निपटारे को तय है समय-सीमा शिक्षकों ने बताया कि सिटीजन चार्टर में सभी मामलों के निपटारे के लिए एक समय-सीमा तय की गई है। इसके लागू होने से कोई भी मामला रोका या लटकाया नहीं जा सकेगा। उदाहरण के लिए, सरकारी स्कूलों के लिए पेंशन की मंज़ूरी पर 60 दिनों में, जीपीएफ की मंज़ूरी पर 30 दिनों में, जीपीएफ से अग्रिम भुगतान पर 15 दिनों में, नए नियुक्त शिक्षकों के शैक्षिक दस्तावेज़ों के सत्यापन पर 60 दिनों में, प्रोविज़नल पेंशन की मंज़ूरी पर 30 दिनों में, और वेतन भुगतान पर 15 दिनों में निर्णय लेना ज़रूरी है। शिक्षकों का कहना है कि अगर इस समय-सीमा का पालन किया जाए, तो उन्हें बहुत राहत मिलेगी। शिकायतें 1. स्पष्ट आदेश होने पर भी सिटीजन चार्टर लागू नहीं होने से प्रकरण लंबित हैं। 2. शिक्षकों की ऑनलाइन तथा ऑफलाइन ट्रांसफर प्रक्रिया बेहद जटिल और भ्रष्टाचार युक्त है। 3. शिक्षकों को शिक्षा से इतर विभिन्न कार्य कलाप में प्रतिदिन व्यस्त रखा जाता है। 4. अल्पसंख्यक विद्यालयों में लंबे समय से नियुक्ति पर रोक लगी हुई है। 5. तदर्थ शिक्षकों को पुरानी पेंशन तथा चयन/ प्रोन्नत वेतनमान नहीं दिए गए हैं। सुझाव 1. प्रकरणों के निस्तारण को शिक्षा विभाग में अविलंब सिटीजन चार्टर लागू होना चाहिए। 2. शिक्षकों की ऑनलाइन तथा ऑफलाइन ट्रांसफर प्रक्रिया को सरल बनाया जाए। 3. शिक्षकों से पठन पाठन के अतिरिक्त कोई अन्य कार्य न कराया जाए। 4. अल्पसंख्यक संस्थाओं में नियुक्ति प्रक्रिया का बहाल किया जाए। 5. तदर्थ शिक्षकों की सेवाअवधि के अनुसार उचित वेतनमान मिले व पुरानी पेंशन का पात्र रहे। -------- हमारी भी सुनिए सिटीजन चार्टर, भ्रष्टाचार पर सटीक अंकुश है, किंतु जिम्मेदारों का इसके क्रियान्वयन और अनुपालन से दूरी बनाए रखना अत्यंत खेदजनक है। कार्यालयों में विशेष रूप से शिक्षा विभाग में अविलंब सिटीजन चार्टर लागू होना चाहिए। -गय्यूर आसि़फ, जिलाध्यक्ष, उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ मार्च के महीने में सिटीजन चार्टर जारी कर तत्काल इसका अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे, किंतु चार माह बीतने के बाद भी कार्यालयों ने न तो दीवार पर लिखवाया है और न ही इसका अनुपालन हो रहा है। -मनोज यादव शिक्षकों की ऑनलाइन तथा ऑफलाइन ट्रांसफर प्रक्रिया बेहद जटिल और भ्रष्टाचार युक्त है। दूरदराज के क्षेत्र में नौकरी करने वाले शिक्षक शिक्षकाएं बेहद आहत हैं। स्थानांतरण प्रक्रिया को सरल बनाया जाना चाहिए। -भूपेन्द्र सिंह शिक्षकों को शिक्षा से इतर विभिन्न कार्य कलाप में प्रतिदिन व्यस्त रखा जाता है जिससे शिक्षण प्रभावित होता है। हमारी शासन से मांग है कि शिक्षकों से पठन पाठन के अतिरिक्त कोई कार्य न कराया जाए। -विनीत गहलौत वर्षों से शिक्षकों के विभिन्न अवशेष भुगतान के प्रकरण जिला विद्यालय अथवा ऊपर के स्तर पर लंबित हैं। जिन अवशेष भुगतान बिल के साथ सेवा शुल्क नहीं होता उनकी फाइल दफ्तर में कहीं खो जाती है। -ले. तेजपाल सिंह तदर्थ शिक्षकों को शासन द्वारा 22 मार्च 2016 को विनियमित किया गया था किंतु उन्हें पुरानी पेंशन तथा चयन/ प्रोन्नत वेतनमान नहीं दिए गए। सेवा अवधि के अनुसार उन्हें उचित वेतनमान स्वीकृत करते हुए पुरानी पेंशन से आच्छादित किया जाए। -चंद्रहास सिंह, प्रांतीय उपाध्यक्ष अटेवा माध्यमिक शिक्षकों की सबसे ज्वलंत और प्रमुख समस्या उनकी सेवा सुरक्षा संबंधी धाराओं का विलोपन है। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन आयोग की समाप्ति के बाद से सेवा सुरक्षा की धारा 12, धारा 18 और धारा 21 समाप्त हो गई है। ये बहाल होनी चाहिए। -छोटे सिंह वर्तमान समय में ग्रेच्युटी की राशि 20 लाख है जो बहुत कम है। सेवा निवृति पर मिलने वाली ग्रेच्युटी की राशि को 20 लाख से बढ़ाकर 25 लाख किया जाए। -वसीम बानो शिक्षकों को 60 वर्ष की आयु में सेवा निवृत होने पर ग्रेच्युटी दी जाती है, किंतु 62 वर्ष के विकल्प पर नहीं दी जाती। मांग है कि 62 वर्ष में सेवानिवृत होने वाले शिक्षकों को भी ग्रेच्युटी मिले। -मुजफ्फर इस्लाम अल्पसंख्यक विद्यालयों में लंबे समय से नियुक्ति पर रोक लगी है। कई विद्यालयों में स्टाफ नाममात्र को रह जाने से विद्यालय बंद होने की कगार पर हैं। शासन से गुहार है तुरंत संज्ञान लेकर अल्पसंख्यक संस्थाओं में नियुक्ति प्रक्रिया बहाल करें। -मो. इरफान सिटीजन चार्टर कागजों में नहीं हकीकत में लागू होना चाहिए, ताकि शिक्षकों को अपनी समस्याओं के लिए भटकना न पड़े। अधिकारियों को इस ओर ध्यान देना चाहिए। -कौशल गौतम सिटीजन चार्टर में सभी मामलों के निपटारे के लिए एक समय-सीमा तय की गई है। अगर यह लागू हो तो शिक्षकों को अपने कार्यों के निस्तारण के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। -सुभाष चंद्र बोले जिम्मेदार विभाग के द्वारा जारी किए गए सिटीजन चार्टर के अनुसार ही शिक्षकों के प्राप्त हो रहे प्रकरणों का निस्तारण किया जा रहा है। शिक्षकों के जो भी मामले आ रहे हैं उनका सिटीजन चार्टर के अनुसार ही निस्तारण किया जा रहा है। शिक्षकों की सभी समस्याओं के गंभीरतापूर्वक समयबद्ध निस्तारण को प्राथमिकता दे रहे हैं। -जयकरन यादव, जिला विद्यालय निरीक्षक, बिजनौर
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