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बोले बिजनौर : नगीना की छड़ी पर महंगाई की मार, फीका पड़ने लगा कारोबार

Bijnor News - नगीना के कुशल कारीगरों द्वारा बनाई गई छड़ियाँ देश और विदेशों में प्रसिद्ध हैं, लेकिन महंगाई और 12 प्रतिशत जीएसटी के कारण यह कारोबार संकट में है। कारीगरों का कहना है कि उन्हें कच्चा माल समय पर नहीं मिल...

Newswrap हिन्दुस्तान, बिजनौरTue, 24 June 2025 12:51 AM
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बोले बिजनौर : नगीना की छड़ी पर महंगाई की मार, फीका पड़ने लगा कारोबार

नगीना के कुशल कारीगरों द्वारा बनाई गई छड़ी देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी चमक बिखेर रही है। मगर आज के समय में छड़ी का यह कारोबार बंदी की कगार पर पहुंच गया है। हालात ऐसे है कि कारीगर और मजदूर अपने पुश्तैनी काम को छोड़कर रोजी के लिए अन्य काम की तलाश कर रहे हैं। कारीगरों का कहना है कि आज युवाओं को प्रशिक्षण की जरूरत है तो महंगाई के इस दौर में कच्चा माल समय पर उपलब्ध नहीं हो पाता है। जीएसटी कम होनी चाहिए। महंगाई के दौर में आज छड़ी का कारोबार फीका पड़ रहा है। छड़ी की जहां चमक फीकी पड़ रही है तो वहीं कारोबारी भी उम्मीद की एक ऐसी किरन का इंतजार कर रहे हैं जिससे छड़ी का कारोबार ऊंचाई तक पहुंचे।

नगीना विश्व प्रसिद्ध काष्ठ कला उद्योग का प्रमुख अंग छड़ी ( वॉकिंग स्टिक) का कारोबार सरकार की उदासीनता तथा 12 प्रतिशत जीएसटी लगने के कारण धीरे-धीरे बंदी के कगार पर पहुंचता जा रहा है। महंगाई के दौर में छड़ी वाकिंग स्टिक मुख्य रूप से वृद्धों तथा बीमार आदमियों के चलना का सहारा है, लेकिन उस पर जीएसटी लगने के कारण इस कारोबार की चमक फीकी पड़ रही है। जीएसटी ही नहीं कच्चा माल लकड़ी, लाख दान, थिनर, स्पिरिट, उपकरण आदि की उपलब्धता की व्यवस्था सरकार द्वारा न कराए जाने के कारण छड़ियों को बनाने की लागत बढ़ती जा रही है और न केवल अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तर तथा प्रादेशिक स्तर पर यहां का छड़ी बनाने का कारोबार लगातार पिछड़ता जा रहा है। कारीगरों को कच्चा माल समय पर उपलब्ध होना चाहिए। अत्यधिक स्पर्धा के कारण सैकड़ों इकाइयां बंद होने जाने के कारण इस काम में लगे हजारों कारीगर, मजदूर, अपना पुश्तैनी काम छोड़कर परिवार अपने के लिए ई- रिक्शा आदि चलाने के लिए मजबूर हो गए हैं। नगीना में आज भी छड़ियाँ बनाने का काम लगभग 400 कारीगर कर रहे हैं और उनके परिवार के ढाई तीन हजार सदस्यों परिवार की रोजी-रोटी चलती है। इस काम में आने वाले युवा घरेलू स्तर पर ही अपने बुजुर्गों से छड़ियाँ बनाने का काम सीख कर इस धंधे में लग जाते हैं। सरकारी या प्राइवेट स्तर पर इनको सीखने के लिए कोई भी प्रशिक्षण केंद्र नहीं है। कारीगरों का कहना है कि जीएटी कम होनी चाहिए और छड़ी बनाने का सामान उपलब्ध कराया जाना चाहिए। अगर महंगाई के दौर में यह सहुलियत मिली तो छड़ी बनाने वाले कारीगरों को बड़ी राहत मिलेगी। नगीना की बनी छड़ी पूरे देश में होती है सप्लाई नगीना में बनी छड़ी गुजरात, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब ,उत्तराखंड आदि राज्यों में सप्लाई होती है। उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद, सहारनपुर, आगरा आदि शहरों में माल सप्लाई किया जाता है। नगीना की बनी छड़ी की चमक कई राज्यों में फैल रही है। विदेशों में युद्ध के कारण डिमांड हुई कम जिले के नहीं अन्य राज्यों के बड़े-बड़े ट्रांसपोर्टर इनको विदेश जैसे अमेरिका, इंग्लैंड, तुर्की, ईरान ,इराक, समेत 50 से अधिक देश में निर्यात करते हैं। जिससे विदेशी मुद्रा भी प्राप्त होती है लेकिन पिछले काफी समय से चल रहे रूस ,यूक्रेन युद्ध तथा वर्तमान में ईरान व इजरायल के बीच चल रहे युद्ध के कारण विदेश में छड़ियाँ की डिमांड कम हुई है। जिसका प्रत्यक्ष असर छड़ियाँ बनाने के कारोबार पर पड़ रहा है। इसके अलावा चीन, ताइवान आदि देशों के मुकाबला नगीना की छड़ियों की मांग कीमत अधिक होने के कारण कम होती जा रही है। उन देशों में सरकार की तरफ से इस उद्योग को कच्चे माल समेत तमाम सुविधाएं और उपलब्ध कराई जा रही है और टैक्स का बोझ भी ना के बराबर है। नगीना में काबिल कारीगरों द्वारा औजारों से बनाई जाने वाली डिजाइनिंग कार्विंग लकड़ी, बीरास, फैंसी, बरस हैंडल की तैयार हाई क्लास हाई क्वालिटी छड़ी को देश और विदेशों में सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। ई-रिक्शा चलाने को मजबूर हो रहे कारीगर छड़ी बनाने वाले कारीगर और मजदूर इस काम से दूरी बनाकर ई-रिक्शा चलाने को मजबूर हो रहे हैं ताकि घर का चूल्हा आसानी से जलता रहे और बच्चों का पेट भरता रहे। कारीगरों का कहना है कि अगर ऐसे ही चलता रहा तो बहुत जल्द यह काम विलुप्त हो जाएगा। कारीगरों के लिए चले सरकारी योजना, मिले लाभ सरकार छड़ी के कारीगरों के लिए योजना चलाए, जिससे उसका लाभ मिले। सरकारी आवास मिले और समय समय पर मेडिकल कैंप लगाकर कारीगरों का उपचार किया जाए। कोई भी कारीगर और छड़ी के कारोबार से जुड़ा मजदूर इस काम से वंचित न रहें। सुझाव 1. सरकार सस्ती दरों पर लकड़ी हुआ कच्चा माल उपलब्ध कराए। 2. सरकार जीएसटी आधी करें। 3. छड़ियों के कारोबार में लगे कारीगरों व उनके परिवारों को निशुल्क मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराए। 4. माल भेजने के लिए सस्ती दरों पर ट्रांसपोर्ट की सुविधा उपलब्ध कराए। 5. लकड़ी का डिपो सीजनिंग प्लांट व प्रशिक्षण केंद्र खुलवाए। शिकायतें 1. 12 प्रतिशत जीएसटी लगने से बढ़ रही कारोबार में समस्या। 2. कच्चे माल की पर्याप्त सुविधा नहीं है। 3. युवाओं को प्रशिक्षण देने के लिए सरकारी व निजी स्तर पर कोई प्रशिक्षण केंद्र नहीं है। 4. कच्चे माल को सीजन करने के लिए कोई प्लांट नहीं है। 5. तैयार माल को बाहर भेजने के लिए ट्रांसपोर्ट की कोई सुविधा नहीं है। हमारी बात सुनो हमारा काम हुनर मंडी और मेहनत का है लेकिन इसके बदले मजदूरी सही नहीं मिलती है। काम के बदले उचित दाम मिलना चाहिए। - मसरुफ कम मजदूरी मिलने के कारण हम अपने परिवार का पालन पोषण अच्छे स्तर पर नहीं करा सकते हैं। कारोबार अच्छा चलेगा तो कमाई भी अच्छी होगी। - मोहम्मद नफीस छड़ी का प्रयोग बूढ़ों आदि के लिए होने के कारण लोग ज्यादा खरीदारी नहीं करते हैं। कच्चा माल समय पर उपलब्ध होना चाहिए। - नूर अहमद सरकार की तरफ से हमारे परिवार के आयुष्मान कार्ड बनने चाहिए। कारीगर से लेकर मजदूरों का आयुष्मान कार्ड बनना चाहिए। - मोहम्मद नासिर हमारे परिवारों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है जबकि सभी पात्र लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए। - मोहम्मद गुलजार हमारे परिवार के बच्चों को इंग्लिश मीडियम स्कूलों में शिक्षा मिलनी चाहिए। समय समय पर स्वास्थ्य कैम्प लगकर बीमारियों का इलाज निशुल्क होना चाहिए। - अनीस अहमद सरकार की तरफ से प्रशिक्षण ना मिलने के कारण हुनर और प्रतिभा समाप्ति की ओर है। सरकार द्वारा छड़ी बनाने का प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाए। - मकसूद अहमद छड़ी के कारीगरों को मेडिकल सुविधा मिलनी चाहिए। समय समय पर आंखों की जांच के लिए मेडिकल कैम्प का आयोजन होना चाहिए।- मोहम्मद सुहैल। अपना कारोबार खड़ा करने के लिए बैंकों से लोन नहीं मिलता है । कारीगरों को बैंकों से लोन की सुविधा मिलनी चाहिए। लोन लेने की प्रक्रिया सरल होनी चाहिए। - मोहम्मद गुफरान मजदूरी कम होने के कारण नए युवा काम करने को तैयार नहीं होते हैं। अधिक से अधिक ऑर्डन विदेशों से मिलने चालिए। ऐसा होगा तो काम मिलेगा और आमदनी बढे़गी। - शमीम अहमद सरकार सहयोग करें कच्चा माल थिनर स्पिरिट आदि के लिए सब्सिडी मिलनी चाहिए। कच्चा माल कारीगरों को समय पर उपलब्ध होना चाहिए।- मोहम्मद नदीम सरकार कच्चे माल का डिपो बनवाएं और सस्ती दरों पर लकड़ी आदि उपलब्ध काराए। ऐसा होने से बड़ी राहत मिलेगी और कारोबार को संजीवनी मिलेगी। - अबुजर सरकार नए युवाओं के लिए प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करें। अधिक से अधिक युवाओं को प्रशिक्षण दिलाया जाए। सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाया जाए। - मोहम्मद आबिद इलेक्ट्रॉनिक मशीनों का भी युवाओं को प्रशिक्षण लेने का केंद्र होना चाहिए। इस पहल पर काम करने की जरूरत है। कारोबार को जिंदा रखने के लिए काम होना चाहिए। - शेख अंजार छड़ी बनाने वाले कारीगरों का कहना है सरकार छड़ी के कारीगरों के लिए योजना चलाए और लाभ मिले। सरकारी आवास मिले और समय समय पर मेडिकल कैम्प लगाकर कारीगरों का उपचार किया जाए। कोई भी कारीगर और छड़ी के कारोबार से जुड़ा मजदूर इस काम से वंचित न रहें।- मोहम्मद तसलीम।

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