फ़िज़ाओं में गूंजी या हुसैन या हुसैन की सदायें
Bijnor News - नजीबाबाद में मोहर्रम का चाँद नज़र आते ही जोगीरमपुरी के इमामबाड़ों में सजावट हो गई। देर रात तक नोहों और मजलिसों का सिलसिला जारी रहा। मौलाना गोहर अली रिज़वी ने इमाम हुसैन की क़ुर्बानी का महत्व बताया और...

नजीबाबाद। मोहर्रम का चाँद नज़र आते ही जोगीरमपुरी के सभी इमामबाड़े सज गये औऱ मजलिसों का दौर शुरू हो गया। देर रात तक नोख्वानी व मजलिसो मातम का सिलसिला जारी रहा। मोहर्रम का चाँद नज़र आते ही जोगीरमपुरी के सभी इमामबाड़े सज गये औऱ मजलिसों का दौर शुरू हो गया। इमामबाड़ा दरबारे हुसैनी, जोगीपुरा में इमामबाड़ा हैदरी, इमामबाड़ा अबुतालिब, इमामबाड़ा काज़मिया, इमामबाड़ा ज़ेनबया में देर रात तक नोहों मजलिसो मातम का सिलसिला जारी रहा। इमामबाड़ा दरबारे हुसैनी में मौलाना गोहर अली रिज़वी ने ख़िताब करते हुये कहा कि कर्बला में इमाम हुसैन की क़ुर्बानी का मक़सद ज़ुल्म के खिलाफ मज़बूती से खड़े हो जाओ चाहे तुम अकेले ही क्यों ना रह जाओ ज़ुल्म का मुक़ाबला करो।
जिन्होंने अपना पूरा भरा घर क़ुर्बान कर दिया और अपना सिद्धांत नहीं छोड़ा और अपने छह माह के बेटे से ले कर 18 साल के बेटे तक क़ुर्बान कर दिये और पूरा परिवार दीन पर न्योछावर कर दिया। मजलिस से पहले मरसिया खानी जमाल अहमद, क़ुदरत हुसैन, ज़िया अब्बास, रहबर अब्बास आदि ने पढ़ा और नोहा खानी हसन अब्बास, वाजिद रज़ा, साजिद रज़ा ने की देर रात तक फिज़ाओ में या हुसैन या हुसैन की सदाये गूंजती रही। फ़िज़ा सोगवार हो गई।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।