हत्या के आरोपी को बड़ी राहत, हाईकोर्ट ने पलटा ट्रायल कोर्ट का फैसला, रद्द की उम्रकैद की सजा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा पाए मेरठ के पंकज को सजा से बरी कर दिया है। 14 वर्षों की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद हाईकोर्ट ने पंकज के पक्ष में फैसला सुनाया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा पाए मेरठ के पंकज को सजा से बरी कर दिया है। 14 वर्षों की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद हाईकोर्ट ने पंकज के पक्ष में फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता और न्यायमूर्ति हरवीर सिंह की खंडपीठ ने 9 मार्च 2015 को दिए गए ट्रायल कोर्ट के आजीवन कारावास के आदेश को रद्द कर दिया। वर्ष 2009 में मेरठ के सरूरपुर थाने में पंकज के खिलाफ हत्या और आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमे दर्ज किया गया था।
अभियोजन पक्ष का आरोप था कि 24 नवंबर 2009 को शाम पारुल नामक महिला पर दो अज्ञात हमलावरों ने चाकू से हमला किया था, जिससे उसकी मृत्यु हो गई थी। इस मामले में पंकज पर आरोप था युवती ने शादी से इन्कार किया तो पंकज सह आरोपी के साथ मिलकर चाकू से हमला कर हत्या कर दी। ट्रायल कोर्ट ने उसे दोषी ठहराकर सजा सुनाई थी, जिसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट में अपील की।
हाईकोर्ट ने इस मामले में प्रस्तुत साक्ष्यों की गहन समीक्षा की और पाया कि अभियोजन के गवाहों की गवाही व बरामदगी संदेहास्पद हैं। अदालत ने विशेष रूप से भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 के तहत दिए गए प्रकटीकरण बयान और गन्ने के खेत से हुई बरामदगी की वैधता पर सवाल उठाए। अदालत ने यह भी पाया कि बरामदगी के समय पुलिस के अलावा कोई स्वतंत्र गवाह मौजूद नहीं था, जिससे साक्ष्य की विश्वसनीयता और कमजोर हो गई। कोर्ट ने माना कि पंकज के खिलाफ आरोप संदेह के परे साबित नहीं हो सके। इसके साथ ही अपील स्वीकार करते हुए उसे सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया। सह आरोपी की पहले ही मृत्यु हो चुकी है, इसलिए अपील समाप्त कर दी गई थी।