समूह की महिलाओं को जैविक खेती के लिए किया प्रेरित
Barabanki News - बाराबंकी में प्रणाम उत्तर प्रदेश परियोजना के तहत किसान संगोष्ठी का आयोजन हुआ। इसका उद्देश्य रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कम करना और किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर प्रेरित करना है। कार्यक्रम में कृषि...

बाराबंकी। प्रणाम उत्तर प्रदेश परियोजना के तहत वर्टिवर और आयोरा संस्थानों द्वारा मंगलवार को रजईपुर गांव में किसान संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस परियोजना का प्रमुख उद्देश्य रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करना और किसानों को प्राकृतिक और सतत खेती की ओर प्रेरित करना है। कार्यक्रम में अधिकारियों और कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को कई महत्वपूर्ण तकनीकों के बारे में जानकारी दी। मसौली ब्लॉक के ग्राम रजईपुर निवासी प्रगतिशील किसान विपिन वर्मा के कृषि फार्म पर आयोजित कार्यक्रम में स्थानीय किसानों ने प्रतिभाग किया। खासकर समूह से जुड़ी वह महिलाएं जो खेती करती हैं शामिल हुई। शिविर में मौजूद किसानों से वर्टिवर संस्था की सीईओ छाया भांती ने उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती केवल एक तकनीक नहीं है, यह एक सोच है जो हमें धरती से फिर से जोड़ती है।
मिट्टी की जाँच, जैविक उपचार और महिला भागीदारी के ज़रिए हम गांवों में परिवर्तन की इस नई कड़ी की शुरुआत कर रहे हैं। आयोरा और वर्टिवर संस्थान की टीम ने डेढ़ महीने पहले क्षेत्र का सर्वेक्षण किया और प्रगतिशील किसान आनंद मौर्य एवं रासायनिक उर्वरक आघारित खेती करने वाले कुछ किसानों की मिट्टी की जांच कराई। जांच में प्राकृतिक कृषि वाले खेत की भूमि में पांच गुना अधिक जैविक तत्व पाए गए। उपायुक्त एनआरएलएम बीके मोहन ने कहा कि समूह की महिलाएं अब केवल सहायक नहीं, नेतृत्वकर्ता बन रही हैं। ‘जीवामृत, ‘घनजीवामृत और जैविक विधियों के प्रयोग से वे नई खेती का नेतृत्व कर रही हैं। आने वाले वर्षों में ये महिलाएं क्षेत्र में जैविक कृषि का चेहरा बनेंगी। प्रणाम उत्तर प्रदेश परियोजना में भी उनका पूरा सहयोग रहेगा। प्रगतिशील किसान श्री आनंद मौर्य, जो पांच वर्षों से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं उन्होंने किसानों को जैविक कीटनाशक और उर्वरक खुद बनाने की विधियां बताईं। सहफसली खेती और प्राकृतिक तरीकों से न केवल मिट्टी की उर्वरता बढ़ाई, बल्कि अपनी आय में भी वृद्धि की। कृषि विकास अधिकारी प्रीतम सिंह ने ज़िले में रसायनिक उर्वरकों की अधिकता पर चिंता ज़ाहिर करते हुए कहा कि क्षेत्र में रसायन उपयोग सीमा से पार जा चुका है। यह गौरव की नहीं, चिंता की बात है। निमित कुमार सिंह मधुमक्खी पालन और जैविक तकनीकों को जोड़कर कैसे आजीविका और पर्यावरण संरक्षण दोनों को साथ लाया जा सकता है, इस पर विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम का संयोजन करने वाले विपिन वर्मा ने भी सभी किसानों को शिविर में आने के लिए सराहा और धन्यवाद दिया। इन्होंने कहा हमें अब यह तय करना होगा कि हम अपने मेहनत की कमाई बीज, खाद, कीटनाशक और मशीन बेचने वालों पर बर्बाद करें या खुद आत्मनिर्भर बनें।
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