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बोले बाराबंकी-अंडरपास में जलभराव से सुविधा कम परेशानी ज्यादा

Barabanki News - बाराबंकी में फ्लाईओवर और रेलवे अंडरपास की स्थिति बेहद खराब है। इन संरचनाओं के आसपास जलभराव, टूटी सड़कें और अतिक्रमण समस्याएं बनी हुई हैं। प्रशासन की लापरवाही से यह सुविधाएं अब परेशानी का कारण बन गई...

Newswrap हिन्दुस्तान, बाराबंकीSat, 28 June 2025 05:22 PM
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बोले बाराबंकी-अंडरपास में जलभराव से सुविधा कम परेशानी ज्यादा

बाराबंकी। शहर और तहसील मुख्यालयों को जोड़ने वाले फ्लाईओवर और रेलवे अंडरपास इस समय जर्जर हालत में हैं। ये संरचनाएं जहां एक ओर ट्रैफिक को नियंत्रित करने और सफर को सुगम बनाने के लिए बनाई गई थीं, वहीं अब देखरेख के अभाव और जलनिकासी जैसी मूलभूत व्यवस्था न होने से यह खुद समस्या बनती जा रही हैं। शहर के प्रमुख फ्लाईओवरों और अंडरपास के आसपास जलभराव, टूटी सड़कें और अतिक्रमण आम समस्या बन गई है। लखनऊ-अयोध्या रोड पर छह फ्लाई ओवर शहरी क्षेत्र में बने है। जबकि देवा मार्ग पर एक रेलवे फ्लाईओवर बना है। इसमें रेलिंगें कई जगह से टूटी हैं।

कहीं पेंट पूरी तरह उड़ चुका है तो कहीं लोहे की सरिया दिख रही है। सड़क की स्थिति भी अच्छी नहीं है। इल फ्लाईओवर से प्रतिदिन लगभग 25 से 30 हजार वाहन इन गुजरते हैं। ये जाम की समस्या से निपटने और रेलवे फाटकों से मुक्ति के लिहाज से बेहद जरूरी हैं। शहर के फ्लाईओवरों के नीचे जगह-जगह फुटपाथी दुकानों और ठेलेवालों ने कब्जा जमा रखा है। देवा रोड फ्लाईओवर के नीचे अतिक्रमण इतना बढ़ चुका है कि पैदल चलने की भी जगह नहीं बची। कूड़ा फेंकने की भी आदत ने स्थिति और गंभीर बना दी है। यहां नगर पंचायत बंकी की ओर से कोई नियमित अभियान नहीं चलाया जाता, जिससे हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं। इसके साथ ही रेलवे अंडरपासों की स्थिति और भी खराब है। जैसे ही बारिश होती है,अंडरपास में घुटनों तक पानी भर जाता है। यह जलभराव कई बार वाहन बंद होने और दुर्घटनाओं का कारण भी बन चुका है। खासकर दोपहिया वाहन चालक और स्कूल जाने वाले छात्र इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। फ्लाईओवर और अंडरपास जैसे आधारभूत ढांचे किसी भी शहर की यातायात व्यवस्था की रीढ़ होते हैं। यदि समय रहते मरम्मत, साफ-सफाई और विस्तार की कार्ययोजना नहीं बनी, तो यह जनसुविधा की जगह जनविपत्ति बन सकती है। फ्लाईओवर के नीचे की सड़कें कई बाजारों को जोड़ती हैं, जिससे यहां दिनभर वाहनों की आवाजाही बनी रहती है। लेकिन अतिक्रमण और खराब सड़कों के चलते जाम लगना आम बात हो गई है। नगर निकायों की लापरवाही का यह आलम है कि कई बार शिकायतें दर्ज होने के बावजूद इस क्षेत्र में न नियमित सफाई होती है, न ही सड़क की मरम्मत। रेलवे व हाईवे फ्लाईओवर जैसी बड़ी परियोजनाएं तब तक सफल नहीं मानी जा सकतीं जब तक उनके नीचे की व्यवस्था भी सुव्यवस्थित न हो। बाराबंकी शहर में फ्लाईओवर के नीचे की जगहों को सुधारना अब प्रशासन के लिए चुनौती नहीं बल्कि प्राथमिकता होनी चाहिए। यदि शीघ्र ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह स्थान दुर्घटना और अराजकता के स्थायी अड्डे बन सकते हैं। अयोध्या हाईवे पर फ्लाईओवरों के पास जर्जर सड़कें और जलभराव:अयोध्या हाईवे पर स्थित जैदपुर, सतरिख, हैदरगढ़ और असेनी फ्लाईओवर के पास की सड़कें बदहाल हैं। जगह-जगह गहरे गड्ढे, बरसात में जलभराव और टूटी किनारियां न सिर्फ वाहन चालकों के लिए मुसीबत बनी हुई हैं, बल्कि आए दिन हादसों की वजह भी बन रही हैं। इन क्षेत्रों से गुजरने वाले राहगीर और स्थानीय लोग लंबे समय से समस्या झेल रहे हैं, लेकिन अब तक राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण या जिला प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। फ्लाईओवर के पास की सड़कें तेज रफ्तार वाहनों के कारण अत्यधिक क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। खासकर जैदपुर और सतरिख फ्लाईओवर के नीचे, सड़कें बड़ी-बड़ी दरारों और उखड़े तारकोल की शक्ल में दिखाई देती हैं। टूटी हुई सड़कें बारिश में और भी खतरनाक हो जाती हैं। पानी भर जाने के बाद गड्ढे नजर नहीं आते, जिससे बाइक सवार अक्सर असंतुलित होकर गिर पड़ते हैं। हैदरगढ़ और असेनी फ्लाईओवर के पास तो हालात और भी बुरे हैं। बारिश के समय यहां इतना पानी भर जाता है कि चारपहिया वाहन भी रुक जाते हैं। नाले और जलनिकासी की समुचित व्यवस्था न होने के कारण पानी घंटों जमा रहता है। कई बार यात्रियों को वाहन रोककर दूसरे रास्ते से जाना पड़ता है। इन फ्लाईओवरों के पास न केवल सड़कें खराब हैं, बल्कि कई जगहों पर फुटपाथ क्षतिग्रस्त हैं और सड़क किनारे की रेलिंगें उखड़ चुकी हैं। इससे रात के समय हादसों की संभावना और बढ़ जाती है। स्ट्रीट लाइट की भी समुचित व्यवस्था नहीं है, जिससे अंधेरे में चलना जोखिम भरा हो जाता है। अयोध्या हाईवे पर फ्लाईओवरों के पास की सड़कें विकास की नहीं, प्रशासनिक लापरवाही की तस्वीर बन गई हैं। जहां रोज हजारों वाहन गुजरते हैं, वहां की यह स्थिति केवल दुर्घटनाओं को न्योता दे रही है। जनप्रतिनिधियों और लोक निर्माण विभाग को चाहिए कि वे तत्काल हस्तक्षेप करें और इन मार्गों की मरम्मत व जलनिकासी की ठोस व्यवस्था सुनिश्चित कराएं। बहराइच और सुल्तानपुर हाईवे पर फ्लाईओवर के नीचे जर्जर सड़कें:जनपद से होकर गुजरने वाले बहराइच और सुल्तानपुर राष्ट्रीय राजमार्गों पर बने फ्लाईओवरों के नीचे की सड़कें इन दिनों बदहाल स्थिति में हैं। जगह-जगह गड्ढे, टूटी परतें और बारिश के दौरान भारी जलभराव के कारण ये मार्ग जानलेवा साबित हो रहे हैं। दोपहिया वाहन चालक और पैदल राहगीरों को यहां रोजाना मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। फ्लाईओवर के नीचे जलनिकासी की कोई समुचित व्यवस्था नहीं होने से थोड़ी सी बारिश में पानी भर जाता है। यह पानी कई-कई घंटे जमा रहता है जिससे यातायात बाधित होता है। न तो नगर पालिका द्वारा नियमित सफाई की जाती है, और न ही जलनिकासी के लिए कोई पाइपलाइन या पंपिंग सिस्टम मौजूद है। इन मार्गों से रोजाना हजारों की संख्या में वाहन गुजरते हैं। भारी वाहनों और ट्रकों के चलने से फ्लाईओवर के नीचे की सड़कों की स्थिति और तेजी से बिगड़ती जा रही है। रेलवे अंडरपास बने राहगीरों के लिए मुसीबत, बारिश में चलना होता है मुश्किल:शहर और आसपास के क्षेत्रों में बनाए गए रेलवे अंडरपास, जो लोगों की सुविधा के लिए बनाए गए थे, अब बारिश के मौसम में सबसे बड़ी परेशानी का कारण बन गए हैं। कहीं जलभराव, कहीं कीचड़, तो कहीं अंधेरे में गड्ढों से भरे रास्ते झ्र इन समस्याओं ने राहगीरों और दोपहिया वाहन चालकों का सफर जोखिम भरा बना दिया है। जैसे ही हल्की बारिश भी होती है, कलेक्ट्रेट अंडरपास, त्रिवेणीगंज अंडरपास, चांदपुर रेलवे अंडरपास और जहांगीराबाद के पास बना अंडरपास पानी से लबालब भर जाते हैं। घुटनों तक भरे पानी और कीचड़ के कारण न पैदल चलना संभव होता है, न बाइक से निकलना। इन अंडरपासों में जलनिकासी की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। कई स्थानों पर नालियां बंद पड़ी हैं, या सफाई महीनों से नहीं हुई है। जहां कहीं पानी निकालने के लिए मोटर पंप लगाए भी गए हैं, वे या तो खराब पड़े हैं या कभी चलाए ही नहीं जाते। कई अंडरपासों में स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था नहीं है। बारिश के दौरान रात को निकलना जान जोखिम में डालने जैसा होता है। उपर से अंडरपास की सड़कों पर गड्ढे हैं, जो जलभराव में छिप जाते हैं और वाहन चालक या पैदल राहगीर गिर जाते हैं। रेलवे अंडरपास लोगों के आवागमन को सरल बनाने के लिए बनाए गए थे, लेकिन देखरेख के अभाव में यह सुविधा अब दुर्भाग्य बनती जा रही है। बारिश के समय ये अंडरपास राहगीरों के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं। अब जरूरत है कि रेलवे और नगर प्रशासन मिलकर स्थायी समाधान सुनिश्चित करें, ताकि आम लोगों को हर मौसम में सुरक्षित आवागमन मिल सके। रेलवे अंडरपास और हाईवे फ्लाईओवर के आसपास सुधारी जाए व्यवस्था बाराबंकी। शहर और आस-पास के क्षेत्रों में बने रेलवे अंडरपास और हाईवे फ्लाईओवर आजकल लोगों की सुविधा के बजाय परेशानी का कारण बनते जा रहे हैं। खराब सड़कों, जलभराव, अंधेरे और अतिक्रमण जैसी समस्याओं से जूझ रहे राहगीरों और वाहन चालकों ने अब जिला प्रशासन और संबंधित विभागों से मांग की है कि इन स्थानों की व्यवस्था को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। अयोध्या, सुल्तानपुर और बहराइच हाईवे पर बने फ्लाईओवरों के नीचे की जगहों पर फुटपाथी दुकानों, ठेले और कूड़े के ढेर ने कब्जा कर लिया है। इससे न केवल सफाई व्यवस्था चरमरा गई है, बल्कि ट्रैफिक और जाम की स्थिति भी बनी रहती है। स्थानीय नागरिकों, व्यापारियों, छात्रों और सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से अपील की है कि शहर की मूलभूत संरचनाओं की मरम्मत व सफाई को प्राथमिकता में रखा जाए। खासकर उन स्थानों को चिन्हित कर तत्काल कार्य शुरू किया जाए जहां प्रतिदिन हजारों लोग गुजरते हैं। यातायात और सफाई व्यवस्था प्रभावित:शहर और प्रमुख मार्गों पर बने फ्लाईओवरों के नीचे अतिक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है। चाहे वह रेलवे स्टेशन के पास का फ्लाईओवर हो, लखनऊ-बहराइच हाईवे का जैदपुर और सतरिख फ्लाईओवर हो या असेनी हो। यहां खाली जगहों को अवैध कब्जेदारों ने अपना अड्डा बना लिया है। यह अतिक्रमण अब यातायात, सफाई व्यवस्था और आमजन के आवागमन में गंभीर बाधा बन गया है। लेकिन इसके बावजूद प्रशासन की ओर से न तो कोई नियमित अभियान चल रहा है और न ही स्थायी समाधान की योजना दिख रही है। यहां अवैध रूप से कूड़ा डालना और गंदगी फैलाना आम बात हो गई है। इससे आसपास बदबू और मच्छरों का प्रकोप बना रहता है। सफाईकर्मियों की नियमित उपस्थिति नहीं होने से यह स्थान बीमारियों के केंद्र बनते जा रहे हैं। हालांकि नगर पालिका और जिला प्रशासन द्वारा समय-समय पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जाती है, लेकिन ये सिर्फ कुछ घंटों की खानापूरी बनकर रह जाती हैं। दो-तीन दिन में फिर से वही ठेले, दुकानें और कब्जेदार लौट आते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब तक प्रशासन स्थायी ढांचा, जैसे फुटपाथ दुकानों के लिए तय क्षेत्र, निगरानी और स्थायी बैरिकेडिंग जैसी व्यवस्था नहीं करेगा, तब तक समस्या खत्म नहीं होगी। शहर को मिला दूसरा फ्लाईओवर, रेलवे फाटक पर लंबा इंतजार होगा खत्म:लंबे समय से यातायात जाम और रेलवे फाटकों पर घंटों इंतजार से जूझ रहे बाराबंकी शहरवासियों के लिए बड़ी राहत की खबर आई है। नगर के देवा मार्ग क्रॉसिंग पर पहले से मौजूद फ्लाईओवर के बाद, अब बंकी क्रांसिग पर एक और फ्लाईओवर को रेलवे और परिवहन विभाग से मंजूरी मिल गई है। यह प्रस्तावित फ्लाईओवर शहर के तेजी से बढ़ते ट्रैफिक और बार-बार बंद होने वाले रेलवे क्रॉसिंग की समस्याओं को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। नया फ्लाईओवर शहर के उस हिस्से में बनेगा जहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में वाहन रेलवे फाटक बंद होने के कारण घंटों तक रुके रहते हैं। इससे शहर के पूर्वी और दक्षिणी हिस्सों को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी और दर्जनों कॉलोनियों व मोहल्लों के लोगों को फायदा होगा। शहर के नाका सतरिख चौराहे पर फ्लाईओवर की उठी मांग:शहर के नाका सतरिख चौराहा अब जाम और अव्यवस्था का पर्याय बनता जा रहा है। इस व्यस्ततम चौराहे से हर दिन हजारों वाहन गुजरते हैं, लेकिन ट्रैफिक नियंत्रण की समुचित व्यवस्था न होने और बढ़ते वाहन दबाव के कारण रोजाना घंटों लंबा जाम लग रहा है। अब स्थानीय लोगों और व्यापारियों ने यहां फ्लाईओवर निर्माण की मांग तेज कर दी है। यहां पर जाम की स्थिति के कारण कई बार एम्बुलेंस और फायर ब्रिगेड की गाड़ियां भी यहां फंस जाती हैं। नजदीकी अस्पतालों, स्कूलों और ऑफिस जाने वाले लोगों के लिए यह चौराहा मुसीबत का केंद्र बन गया है। शहर का नाका सतरिख चौराहा अब महज एक ट्रैफिक पॉइंट नहीं, बल्कि एक शहरी संकट का केंद्र बन गया है। यहां फ्लाईओवर का निर्माण समय की मांग बन चुका है। जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि वे इस दिशा में त्वरित योजना बनाकर निर्माण कार्य की पहल करें, ताकि शहर को जाम से राहत मिल सके और विकास की रफ्तार आगे बढ़े। अंडरपास में जलभराव से परेशान होते राहगीर:फतेहपुर। रेलवे द्वारा करीब आठ वर्ष पूर्व गांगेमऊ- गुड़ौली लिंक मार्ग पर अंडर पास का निर्माण कराया गया था। लेकिन बनने के बाद से ही इस पर पूरे साल जल भराव बना रहता है। गांगेमऊ, गुड़ौली, बासिनपुरवा, अल्लापुर रानीमऊ, ऊजरवारा पुरवा जैसे दर्जन भर से अधिक गांवों को जोड़ने वाले इस अंडर पास से हजारों ग्रामीणों को गुजरना पड़ता है। जल भराव के कारण गांवों के लोग 6 से 8 किमी का चक्कर काट कर दूसरे गांवो से होकर आते जाते है। बरसात के मौसम में पानी कई फिट ऊपर आ जाता है। अंडर पास की बदहाली व जलभराव के कारण ग्रामीणों ने रेल ट्रैक पर विरोध प्रदर्शन कर रेलवे क्रासिंग को बंद नही करने दिया। गांगेमऊ के प्रधान पति सरोज कुमार ने बताया कि अंडरपास में जलभराव की समस्या समाप्त कराने के लिए ग्रामीणों द्वारा रेलवे उच्चाधिकारियों से रेलवे बोर्ड तक कई शिकायतें की गई है। लेकिन समस्या का निराकरण नही हो सका। लोग बोले- सतरिख फ्लाई ओवर के पास सड़क के किनारे बड़ा गड्डा हैं जिसके चलते लोगों आने जाने के लिए लंबी दूरी तय करके जाना पड़ता है। जिससे लोगों को असुविधा होती है। - लवकुश फ्लाई ओवर के आसपास अभियान चलाकर हर महीने सफाई करानी चाहिए। जिससे लोगों को आने जाने में काफी आसानी होगी और लोग स्वच्छ वातावरण महसूस करेंगे। - संजय मिश्रा फ्लाईओवर के नीचे इतनी गंदगी बनी रहती है कि पैदल भी नहीं निकल सकते। जगह जगह मिटटी के ढेर लगे रहते है। जिस कारण लोगों को परेशानी होती है। - जनमेजय गुप्ता फ्लाई ओवर के आस पास बारिश में जलभराव हो जाता है जिस कारण बाइक से आने जाने में बहुत परेशानी होती है। अगर जलभराव की समस्या से छुटकारा मिल जाए तो अच्छा होगा -अंकुश मिश्रा फ्लाई ओवर जाने वाली सड़क की मरम्मत होनी चाहिए है। अगर सड़क सही होगी तो लोगों का सफर आसान हो जाएगा। और लोग अपने को सुरक्षित महसूस करेंगे। -रेनू रेलवे अंडर पास व फ्लाई ओवर के आस पास सड़क सही होने की जरूरत है। इसके अलावा इस इलाके को अतिक्रमण मुक्त बनाना भी जरूरी है। -दीपक यदि शहर में नाका सतरिख के पास एक नया फ्लाई ओवर बन जाए तो इससे हजारों लोगों को आवागमन की बेहतर सुविधा मिल सकेगी। -इरफान बारिश हो जाए तो फतेहपुर क्षेत्र में बने अंडरपास से के नीचे से निकालना बहुत मुश्किल हो जाता है। कीचड़ और गड्ढों की वजह से कई बार लोग गिर कर चोटिल हो चुके है। -राजेश कुमार अंडरपास के आसपास गंदगी बनी रहती है। बारिश में अंडरपास लबालब भर जाता है। जिस कारण महिलाओं और बच्चों को निकलना खतरे से खाली नहीं होता। -सरोज कुमार बोले जिम्मेदार- फ्लाईओवर व रेलवे अंडरपास के पास जर्जर सड़कें, जलभराव आदि समस्याएं दूर कराने के लिए काम किया जा रहा है। इसके लिए संबंधित विभागों को निर्देशित किया गया है। फोटो- बीएनके- 13- अरूण कुमार सिंह, एडीएम

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