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बोले बलरामपुर -अधूरी पड़ी जल जीवन मिशन परियोजना, ग्रामीणों की कैसे बुझे प्यास

Balrampur News - समस्या जरवा, संवाददाता। नेपाल सीमा से सटे गैसड़ी ब्लाक के जनकपुर गांव के पांच हजार

Newswrap हिन्दुस्तान, बलरामपुरSat, 19 April 2025 06:26 PM
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बोले बलरामपुर -अधूरी पड़ी जल जीवन मिशन परियोजना, ग्रामीणों की कैसे बुझे प्यास

समस्या जरवा, संवाददाता।

नेपाल सीमा से सटे गैसड़ी ब्लाक के जनकपुर गांव के पांच हजार लोगों को शुद्ध पेयजल की सुविधा उपलब्ध नहीं हो सकी। जल जीवन मिशन ग्रामीण के तहत पेयजल उपलब्ध कराने की परियोजना हवा में तैर रही है। अभी तक पानी टंकी का निर्माण नहीं हो सका है। पानी टंकी परिसर का निर्माण तो कराया गया, लेकिन उसकी दीवार जर्जर हो गई। आधे गांव में पाइप लाइन बिछाकर काम अधूरा छोड़ दिया गया। विभागीय अधिकारी का दावा है कि बजट के अभाव में काम रुका हुआ है। बजट प्राप्त होते ही परियोजना पूरी कर ली जाएगी। यह परियोजना जुलाई 2024 में ही पूरी हो जानी थी।

लगभग एक वर्ष पूर्व नेपाल सीमा से सटे जनकपुर गांव में ग्रामीण पाइप पेयजल योजना के तहत पाइप लाइन बिछाकर ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की परियोजना शुरू हुई थी। परियोजना पर लगभग दो करोड़ चार लाख रुपए खर्च होने हैं। 11 जुलाई 2024 तक परियोजना पूरी किए जाने का लक्ष्य था। काम की जिम्मेदारी मेसर्स दारा ईको प्रोटक्शन को सौंपा गया था। चूंकि यह गांव नेपाल की पहाड़ियों से सटा है, जहां पहाड़ की जड़ें जमीन में फैली हैं। इसलिए इन क्षेत्रों में निजी हैंडपंप लगवाना मुश्किल काम होता है। गांव में लगे इंडिया मार्का हैंडपंप गर्मी आते ही सूख जाते हैं। ऐसे में ग्रामीणों को पेयजल किल्लत का सामना करना पड़ता है। परियोजना के लागू होने पर ग्रामीण काफी खुश थे। उनका मानना था कि अब उन्हें पीने को शुद्ध पानी मिल सकेगा। ग्रामीणों ने बताया कि छह माह तक रुक-रुक कर काम चलता रहा। अचानक एक दिन कार्यदायी संस्था कर्मियों ने बोरिया बिस्तर समेटा और काम अधूरा छोड़कर चले गए। उस समय तक आधे गांव में पाइप लाइन बिछाई जा चुकी थी। टंकी निर्माण के लिए बोरिंग का काम भी पूरा होने की स्थिति में था, लेकिन अचानक काम बंद होने से ग्रामीण निराश हो गए। उन्होंने खंड विकास अधिकारी को कई बार पत्र दिया लेकिन नतीजा सिफर रहा। ग्रामीण रंगे, संतलाल, राम मिलन, मगई, राजितराम आदि का कहना है कि परियोजना अधूरी होने के कारण लोगों को शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो सका।

बजट के अभाव में अधूरी रह गई परियोजना

ग्रामीणों ने बताया कि परियोजना जुलाई 2024 में पूरी हो जानी चाहिए, लेकिन बीच में बजट न मिलने के कारण कार्य अधूरा छोड़ कार्यदायी संस्था के कमीं फरार हो गए। जिसका दुष्परिणाम आज ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। अधिकांश स्थानों पर लगाई पाइपें जमीन के ऊपर आ चुकी हैं। वहीं ग्रामीणों ने शुद्ध पेयजल न मिल पाने के कारण उन्हें साधारण हैंडपंप का दूषित जल पीना पड़ता है। इधर गर्मी ने दस्तक दे दी है। आसमान से आग बरसना शुरू हो चुका है। ऐसे में गांव में लगे अधिकांश इंडिया मार्का हैंडपंप कम पानी देने लगे हैं। मई व जून के महीने में ये हैंडपंप सूखने के कगार पर पहुंच जाएंगे। वहीं जिनके घरों में छोटे व साधारण हैंडपंप लगे हैं वे दूषित पानी पीने के कारण बीमार पड़ रहे हैं। लोगों को पेट, गुर्दा व पथरी बीमारियों से जूझना पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि जल्द ही परियोजना नहीं पूरी हुई तो आने वाले दिनों में गुर्दा व पथरी रोगियों की संख्या गांव में बढ़ती जाएगी।

खोदी गई गलियों को भी नहीं कराया दुरुस्त

ग्रामीणों ने बताया कि गांव की गलियों पाइप लाइन बिछाने के लिए जो ईटें उजाड़े गए थे उन्हें भी कार्यदायी संस्था ने दुरुस्त नहीं कराया। गांव में खोदाई होने के कारण यहां की गलियां छलनी हो चुकी हैं। लोगों के घरों के सामने गड्ढे आज भी बरकरार हैं। लोगों का बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है। छह माह पूर्व खोदे गए गड्ढों की पटाई न होने से लोग अपने घरों तक पहुंचने के लिए पटरा बल्ली आदि लगाकर आने जाने को मजबूर हैं। वहीं बरसात के दिनों में दरवाजे के सामने सहित पूरी गलियों में कीचड़ व जल जमाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। जिसमें बाइक व साइकिल से आना जाना तो दूर पैदल चलना भी दूभर हो जाता है। अधिकतर ग्रामीण घर के सामने खोदे गए गड्ढों के अंदर से घुसकर आने जाने को मजबूर हैं।

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