Hindi NewsUttar-pradesh NewsBalrampur NewsThousands of Farmers Deprived of Benefits from 65 km Long Rapti Canal Project

बोले बलरामपुर -नहरों में नहीं है पानी कैसे हो खेती किसानी, सूख रही गन्ना फसल

Balrampur News - 65 किमी लंबी राप्ती नहर परियोजना का लाभ हजारों किसानों को नहीं मिल रहा है। मुख्य नहर से निकली माइनरों में पानी नहीं पहुंच रहा है, जिससे फसलें सूख रही हैं। किसानों का कहना है कि नहर का सही संचालन नहीं...

Newswrap हिन्दुस्तान, बलरामपुरSat, 28 June 2025 06:02 PM
share Share
Follow Us on
बोले बलरामपुर -नहरों में नहीं है पानी कैसे हो खेती किसानी, सूख रही गन्ना फसल

समस्या 65 किमी लम्बी राप्ती नहर योजना के लाभ से हजारों किसान वंचित, प्राकृतिक वर्षा पर निर्भर खेती किसानी नहरों में लगाए गए गूल व कुलावे तक नहीं पहुंच पाता पानी, प्रेशल बेल भी हो रहे निष्प्रयोज्य हर्रैया सतघरवा, संवाददाता। करोड़ों की लागत से बनाई गई राप्ती नहर परियोजना का लाभ अधिकांश किसानों को नहीं मिल रहा है। कुछ माइनर ऐसे हैं जिसमें पानी ही नहीं छोड़ा जा रहा है। ऐसे भी माइनर हैं जिनमें रैट होल के चलते पानी छोड़े जाते ही वह कट जाती हैं और फसलें जलमग्न हो जाती हैं। सिंचाई योजना का लाभ केवल नहर किनारे खेतों को ही मिल पाता है।

लगभग 65 किमी लम्बी राप्ती नहर योजना के लाभ से हजारों किसान वंचित हैं। इसका मुख्य कारण नहर की पूरी क्षमता के साथ न चलना भी है। वहीं मुख्य नहर से निकली माइनर की ऊंचाई अधिक होने के कारण टेल तक पानी नहीं पहुंच पाता है। जिस कारण माइनर किनारे लगी फसलों को सिंचाई का लाभ नहीं मिल पा रहा है। राप्ती मुख्य लक्ष्मनपुर बैराज श्रावस्ती निकली है, जो कि बस्ती के रोहड़ी नदी में 125 किमी दूरी तय करके मिलती है। बलरामपुर में मुख्य नहर की लम्बाई लगभग 60 किमी है। हर्रैया सतघरवा क्षेत्र को असिंचित माना जाता है। यहां पहाड़ की जड़ें जमीन में फैली हैं, जिससे सिंचाई के निजी साधनों को लगवाना मुश्किल काम होता है। क्षेत्र में राजकीय नलकूप भी नहीं हैं। नहर के बनने पर लोगों को उम्मीद जगी थी कि अब उनकी फसलें प्राकृतिक वर्षा पर निर्भर नहीं रहेंगी। लेकिन कुछ ही दिन में किसानों का मिथक टूट गया। वर्ष 2022 में नहर का संचालन शुरू किया गया तो तमाम प्रकार की दिक्कतें सामने आने लगीं। सिंचाई योजना का लाभ केवल नहर किनारे के किसानों को मिल रहा है। किसानों की मानें तो मुख्य नहर से निकली माइनर में पानी का संचालन नहीं हो पा रहा है। इसका प्रमुख कारण है कि विभाग की ओर से पूरी क्षमता में नहर का संचालन नहीं कराया जाता। जिससे नहर गूल में पानी नही आ पाता। वहीं माइनर की ऊंचाई मुख्य में संचालित पानी के लेबल से ऊपर है। यदि पूरी क्षमता से पानी चलाया जाए तो माइनरों में पानी आने से इसका लाभ किसानों को मिल सकता है। कई माइनर तो ऐसे हैं जिनका टेल ऊंचा होने के कारण माइनर में आधी दूरी तक ही पानी आ पाता है। किसानों का आरोप है कि मानक विहीन नहर की खोदाई के कारण सिंचाई का लाभ फसलों को नहीं मिल पा रहा है। वहीं विभाग की ओर से राप्ती मुख्य नहर में प्रेशर बेल का निर्माण कराया गया है। इसका मुख्य उद्श्य है कि नहर संचालन के दौरान किसान पाइप के माध्यम से अपनी फसलों की सिंचाई कर सकें। किसानों का कहना है कि सिर्फ बरसात के दौरान ही प्रेशर बेल तक पानी पहुंचता है। बाकी दिनों में पूरी क्षमता के साथ नहर न चलने के कारण प्रेशर बेल तक पानी पहुंच ही नहीं पाता। माइनर में महज 200 मीटर तक पहुंच पाता है पानी मोतीपुर माइनर से करौंदापुरवा, सरकहवा, जुम्मनडीह, फकीरीडीह आदि गांव के किसानों को इसका लाभ मिलना चाहिए। किसान संतराम, मालिके, राजितराम, बुधई आदि ने बताया कि माइनर का पानी उनके गांव तक अभी नहीं पहुंचा है। इस क्षेत्र में नहर की ऊंचाई अधिक है। मुख्य नहर से लगभग 200 मीटर तक ही पानी आ पाता है। इसके आगे टेल तक नहर का लेबल ऊंचा होने के कारण पानी नहीं पहुंच पाता है। नहर में बने कुलावे व गूल तक पानी न पहुंचने के कारण खेतों की सिंचाई नहीं हो पाती है। इसी तरह भुजेहरा माइनर से गंजड़ी, नरायनपुर, सर्रा, मैटहवा, विजयीडीह, सुगानगर, महराजगंज, धनौड़ा, महादेव गोसाईं व महदेइया आदि गांव जुड़े हैं। यहां भी टेल तक पानी नहीं पहुंच रहा है। इनमें से अधिकांश गांव में फसलों की सिंचाई निजी नलकूप पर निर्भर है। पक्की नहर बनवाने पर दूर होगी समस्या मुख्य नहर से निकली सिंगाही रजवाहा, हिसामपुर, सिंगाही व कंदैला के निकट नहर अक्सर टूट जाती है। जिससे फसलें जलमग्न हो जाती हैं। किसानों का कहना है कि सर्रा व कंदैला के पास पक्की नहर का निर्माण कराकर समस्या दूर की जा सकती है। फसलों में भरने वाला पानी कई-कई दिनों तक खाली नहीं होता। अधिक दिनों तक जलभराव होने पर सब्जी की फसलें नष्ट हो जाती हैं। जगराम, निबरे, बाउर, मनीराम आदि किसानों का कहना है कि करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद नहर का लाभ किसानों को ठीक प्रकार से नहीं मिल पा रहा है। भांभर क्षेत्र में आज भी अधिकांश फसलें प्राकृतिक वर्षा पर निर्भर हैं। यदि नहर का संचालन ठीक प्रकार किया जाए तो क्षेत्र में खुशहाली आ सकती है।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें