गांव-गांव महाजन चलाते हैं ब्याजखोरी का धंधा, करते हैं वसूली
Balrampur News - बलरामपुर में ब्याजखोरी एक गंभीर समस्या बन चुकी है। लोग तीन से पांच प्रतिशत तक ब्याज पर पैसे लेते हैं, और इसके लिए एजेंट रखे जाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में ब्याज की दरें दस प्रतिशत तक पहुंच जाती हैं।...

बलरामपुर। राकेश सिंह जिले में कोई ऐसा शहर, कस्बा व गांव नहीं है जहां ब्याजखोरी का काम न किया जाता हो। तीन से लेकर पांच प्रतिशत तक उधारी पर ब्याज वसूली की जाती है। ब्याज वसूलने के लिए बाकायदा एजेंट रखे जाते हैं। जो जरूरत पड़ने पर दबाव बनाकर ब्याज वसूली करते हैं। चूंकि ब्याजखोरों की शिकायत नहीं होती, इसलिए पुलिस उन पर कार्रवाई नहीं कर पाती है। बात शुरू करते हैं बलरामपुर नगर से। यहां तमाम लोग ब्याज पर रुपया लेकर धंधा चलाते हैं। व्यापार करने वालों को दो प्रतिशत के मुनाफे पर रकम उपलब्ध हो जाती है। एक निर्धारित तारीख को ब्याज की रकम जमा करनी पड़ती है।
ऐसा गिरोह भी संचालित है जो कर्मचारियों को ब्याज पर रकम उपलब्ध कराता है। अधिकतर कर्मी नशेड़ी प्रवृत्ति के होते हैं, जो वेतन के समाप्त होते ही ब्याजखोरों के सामने हाथ फैला देते हैं। ब्याज पर रकम देने वाले लोग वेतन मिलने की तारीख को बैंक के ईद गिर्द खड़े होकर बैंक से रुपया निकालते ही उनसे ले लेते हैं। बात अगर ग्रामीण क्षेत्रों की करें तो यहां ब्याजखोरों को महाजन का दर्जा दिया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में दस प्रतिशत तक ब्याज वसूली होती है। जरूरत पड़ने पर किसान भाई या अन्य गरीब महाजन से रुपया उधार लेते हैं और उन्हें सूत समेत वापस करते हैं। बताया जाता है कि रुपये की अदायगी न कर पाने पर महाजन उनकी खेत को रेहन पर रख लेते हैं। डॉ हिमांशुधर द्विवेदी बताते हैं कि देश आजाद हो गया, लेकिन बलरामपुर जिला आज भी ब्याजखोरों से आजाद नहीं हो पाया है। रुपया ब्याज पर देने वालों का कोई रजिस्ट्रेशन नहीं होता। वे केवल दबंगई के बूते अपने धन की वसूली करते हैं। पुलिस अधीक्षक विकास कुमार ने बताया कि इस तरह के प्रकरण पर कोई प्रार्थना-पत्र नहीं प्राप्त हुआ है। यदि कोई व्यक्ति चाहे तो प्रार्थना-पत्र दे, उस पर कार्रवाई की जाएगी।
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