आरटीई : चयन के बाद भी छह सौ बच्चों को नहीं मिला प्रवेश
Azamgarh News - आजमगढ़ में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत वर्ष 2025-26 के लिए चयनित 600 से अधिक बच्चों को स्कूल में प्रवेश नहीं मिल सका है। विभागीय लापरवाही के कारण 697 बच्चों का अभी तक प्रवेश नहीं हो पाया...

आजमगढ़, संवाददाता। शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत वर्ष 2025-26 के लिए चयनित छह सौ से अधिक बच्चों को अब तक स्कूलों में प्रवेश नहीं मिल सका है। वे एडमिशन के लिए स्कूल और विभाग के चक्कर काट रहे हैं। प्री-प्राइमरी में निजी स्कूलों में प्रवेश के लिए चार चरणों में बच्चों का चयन किया गया है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत गरीब एवं वंचित वर्ग के बच्चों को निजी स्कूलों में एलकेजी से आठवीं तक की शिक्षा नि:शुल्क दी जा रही है। इसके लिए हर साल बेसिक शिक्षा विभाग की तरफ से पात्र बच्चों से आरटीई के तहत आनलाइन आवेदन कराए जाते हैं।
वर्ष 2025-26 के लिए चार चरणों में आनलाइन आवेदन कराए गए थे। चार चरणों में कुल 3434 बच्चों ने आनलाइन आवेदन किया था। इनमें से विभिन्न कारणों से 2179 बच्चों के आवेदन निरस्त कर दिए गए। निजी विद्यालयों में नामांकन कराने के लिए 1897 बच्चों का चयन किया गया था। इनमें से 12 सौ से अधिक बच्चों का अब तक अलग-अलग स्कूलों में प्रवेश कराया जा चुका है। शेष 697 बच्चों का विभागीय लापरवाही के चलते अभी तक प्रवेश नहीं हो सका है। लॉटरी सिस्टम से बच्चों के चयन के बाद बीएसए ने सभी बीईओं को स्कूलों में प्रवेश कराने के लिए निर्देश दिया था। सूत्रों का कहना है कि विभागीय लापरवाही के कारण ही अभी तक बच्चों का प्रवेश नहीं कराया जा सका है। कहीं बीईओ के पास स्कूलों की सूची नहीं पहुंची है तो कहीं स्कूल संचालकों ने मनमानी की। अप्रैल में नए सत्र की शुरुआत के साथ ही आरटीई के तहत बच्चों का प्रवेश शुरू करा दिया गया था। चयनित बच्चों को निजी स्कूलों में मिलती है नि:शुल्क शिक्षा आरटीई के तहत चयनित बच्चों को शासन की तरफ से नि:शुल्क शिक्षा प्रदान की जाती है। उन्हें कॉपी-किताब, यूनिफार्म आदि के लिए अभिभावकों के बैंक खातों में पांच हजार रुपये की धनराशि भेजी जाती है। इसके साथ ही निजी विद्यालयों को प्रति बच्चा साढ़े चार सौ रुपये महीने के हिसाब से फीस का भुगतान किया जाता है। फीस विद्यालय संचालक के खाते में भेजी जाती है। सोलह सौ विद्यालय, सिर्फ तीन सौ लेते हैं प्रवेश आरटीई के तहत निजी स्कूलों में 25 फीसदी गरीब बच्चों का नामांकन करना होता है। जिले में करीब 16 सौ निजी स्कूलों का संचालन हो रहा है। इनमें से आरटीई के तहत करीब तीन सौ निजी स्कूल ही गरीब बच्चों का प्रवेश लेते हैं। शेष स्कूलों में आरटीई के तहत बच्चों का नामांकन नहीं होता है। इन स्कूलों पर बेसिक शिक्षा विभाग ध्यान नहीं देता है। कोट आरटीई के तहत वर्ष 2025-26 में चयनित बच्चों के निजी स्कूलों में प्रवेश के लिए सभी बीईओ को निर्देश दिया गया है। अधिकांश बच्चों का स्कूलों में प्रवेश कराया जा चुका है। छूटे बच्चों का जल्द नामांकन कराया जाएगा। राजीव पााठक, बीएसए
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