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बोले अयोध्या: कॉलेजों में सीटों की कमी डिग्री की पढ़ाई में बनी मुसीबत

Ayodhya News - अयोध्या में शिक्षा के क्षेत्र में निजी संस्थानों की बढ़ती संख्या के बावजूद, स्नातक पाठ्यक्रमों में सीटों की कमी के कारण छात्रों को दाखिले में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। एनटीए द्वारा आयोजित...

Newswrap हिन्दुस्तान, अयोध्याSat, 14 June 2025 05:21 PM
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बोले अयोध्या: कॉलेजों में सीटों की कमी डिग्री की पढ़ाई में बनी मुसीबत

अयोध्या। दाखिले की दौड़ में सभी को इच्छित कोर्स और संस्थान की दरकार शिक्षा के क्षेत्र में निजी क्षेत्र के पदार्पण के बाद प्राइमरी से लेकर इंटर तक के निजी विद्यालयों की तादाद काफी बढ़ी है तो महाविद्यालय की संख्या में भी भारी इजाफा हुआ है। वर्तमान में हर ब्लॉक तहसील में महाविद्यालय खुल गए हैं। बावजूद इसके विश्वविद्यालय से लेकर इन महाविद्यालय में जिले में विभिन्न बोर्ड जैसे यूपी बोर्ड,सीबीएसई और आईसीएससी से से इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले लगभग 36000 विद्यार्थियों के सापेक्ष महाविद्यालयों में यूजी की सीटें अपेक्षाकृत कम होने के कारण दाखिले की दिक्क्त है। डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के आवासीय परिसर तथा जिले के एक राजकीय महाविद्यालय और तीन वित्तपोषित महाविद्यालयों में स्नातक में प्रवेश के लिए कुल 5555 सीटें हैं।

जबकि स्ववित्तपोषित के आधार पर जनपद में संचालित 100 से अधिक महाविद्यालयों में उपलब्ध सीटें इसके अतिरिक्त हैं। अच्छी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की चाह रखने वाले विद्यार्थियों की पहली पसंद अखिल भारतीय स्तर पर एनटीए (नेशनल टेस्टिंग एजेंसी) की ओर आयोजित होने वाली सीयूईटी (कामन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट) है। इस प्रवेश परीक्षा के माध्यम से देश के केंद्रीय विश्वविद्यालय में उपलब्ध सीटों तथा संबद्ध प्रदेश विश्वविद्यालय में उपलब्ध सीटों के 40 फ़ीसदी सीट पर प्रवेश दिया जाता है। डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के आवासीय परिसर में संचालित विभिन्न पाठ्यक्रमों में भी यह व्यवस्था लागू है। पाठ्यक्रमों के शेष 60 फ़ीसदी सीटों पर प्रवेश विश्वविद्यालय की ओर से ऑनलाइन आवेदन के आधार पर मेरिट आधार पर दिया जाता है,जबकि जनपद के राजकीय,वित्त पोषित और स्ववित्त पोषित कॉलेज में प्रवेश का अधिकार प्रबंधन के पास है। हालाँकि मानक के अनुसार कालेजों में सीट विश्वविद्यालय ने तय कर रखी है। गत वर्षो तक जनपद में स्नातक कक्षाओं में प्रवेश को लेकर कोई बड़ी समस्या तो नहीं देखी गई लेकिन अभ्यर्थियों की ओर से इच्छुक कॉलेज और इच्छुक पाठ्यक्रम में प्रवेश की चाह को लेकर आपाधापी जरूर रहती है। तमाम विद्यार्थियों को सीटों की उपलब्धता न होने के कारण प्रवेश से निराश भी होना पड़ता है। वर्तमान समय में प्रोफेशनल कोर्स के दायरे में आने वाले बीसीए (बैचलर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन),बीबीए (बैचलर ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट),एलएलबी (बैचलर आफ लॉ),बीटीसी,डी फार्मा,बी फार्मा तथा पारंपरिक कोर्स में सुमार पर्यावरण शिक्षा, सैन्य विज्ञान,बायोटेक्नोलॉजी और बायोकेमेस्ट्री,मनोविज्ञान,भूगोल,इंडस्ट्रियल माइक्रोबायोलॉजी आदि विषयों में प्रवेश की ज्यादा मारामारी रहती है। ऐसे कोर्स जनपद के कुछ ही संस्थानों में उपलब्ध हैं और उनकी फीस भी अन्य पाठ्यकर्मों की अपेक्षा ज्यादा है। डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय की ओर से स्नातक के विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए समर्थ पोर्टल के माध्यम से आवेदन लिया जा रहा है और इसकी अंतिम तिथि 10 जून निर्धारित की गई है। वहीं जनपद ही नहीं पूर्वांचल के बड़े महाविद्यालय का दर्जा रखने वाले साकेत महाविद्यालय में स्नातक के विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया अप्रैल माह में ही शुरू कर दी थी और अभी आवेदन की प्रक्रिया चल रही है। जुलाई के प्रथम सप्ताह से शुरू होने वाले नए शैक्षिक सत्र के लिए इसी जून माह के अंतिम सप्ताह से आवेदन सूची की मेरिट और फिर पहले आओ पहले पाओ के आधार पर प्रवेश शुरू किया जाना है। तादात के मुताबिक सबसे ज्यादा संख्या वाले जनपद के जिले के स्ववित्तपोषित (निजी) कॉलेजों में अभी प्रवेश प्रक्रिया शुरू की जानी है। छात्राओं के सामने सबसे बड़ी समस्या आवास की है। वह घर से दूर पढ़ने तो जाना चाहती हैं लेकिन अधिकतर संस्थानों में छात्रावास की व्यवस्था ही नहीं है जिले में केवल डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय समेत एक-दो निजी कालेजों में ही छात्राओं के लिए छात्रावास है। सबसे पुराने महाविद्यालय का दर्जा रखने वाले साकेत कॉलेज में भी अभी तक महिला छात्रावास की व्यवस्था नहीं हो पाई है,जिसके कारण छात्राएं या तो दूर किसी अन्य विश्वविद्यालयों में जाती है अथवा अपने गांव-क्षेत्र के बगल स्थित कॉलेज में ही प्रवेश लेने को बाध्य होती हैं। मुक्त विश्वविद्यालय भी है अध्ययन का सशक्त विकल्प:नियमित कॉलेज में प्रवेश न मिलने पर इंटर उत्तीर्ण विद्यार्थी मुक्त विश्वविद्यालय का सहारा ले सकते हैं। यहां पाठ्यक्रमों की विस्तृत शृंखला मौजूद है। साथ ही, प्रवेश लेने वाले अभ्यर्थी को पाठ्य सामग्री भी उपलब्ध कराई जाती है और अब तो पाठ सामग्री ऑनलाइन भी उपलब्ध है। विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए संबंधित विषय की पाठ्य सामग्री हासिल की जा सकती है। मुक्त विश्वविद्यालय की ओर से नियमित पाठ्यक्रमों के साथ सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स भी संचालित किया जा रहा है। केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी दिल्ली और राज्य विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त राजर्षि टंडन ओपन विश्वविद्यालय प्रयागराज ने जिले में अपनी शाखा खोल रखी है। क्षेत्रीय केंद्र के रूप में जाने-पहचाने जाने वाले इन शाखाओं से कभी भी और कहीं से भी पढ़ाई कर उपाधि हासिल की जा सकती है। बस विद्यार्थी को केवल प्रैक्टिकल और परीक्षा के लिए संबंधित केंद्र पर आना होता है। इन संस्थाओं की ओर से कुछ पाठ्यक्रमों के लिए रविवार और छुट्टियों के दिन में कक्षाएं भी संचालित की जाती हैं। खास बात यह है कि मुक्त विश्वविद्यालय से पढ़ाई में इच्छुक अभ्यर्थी किसी भी उम्र में प्रवेश ले सकता है। साथ ही, वह पढ़ाई के दौरान अपना अन्य कामकाज अथवा प्राइवेट नौकरी भी करने के लिए स्वतंत्र होता है। बोले लोग-: इंटर के बाद स्नातक में प्रवेश बड़ी समस्या होती है। हर बच्चा एक अच्छे संस्थान में पढ़ाई का अवसर चाहता है। जिसको लेकर वह तमाम प्रवेश परीक्षाओं का फॉर्म भरता है। हालांकि नामचीन संस्थानों में सीटों की संख्या सीमित होने के कारण प्रवेश हासिल नहीं हो पाता। -वैष्णवी श्रीवास्तव काशी हिंदू विश्वविद्यालय में प्रवेश चाहती हूं,जिसके लिए एनटीए की ओर से आयोजित सीयूईटी का फॉर्म भरा था और परीक्षा भी दी है। प्रवेश परीक्षा का परिणाम आने के बाद ही पता चल पाएगा कि प्रवेश मिलेगा कि नहीं। फिलाहल परिणाम का इंतजार है और फिर आगे की सोचूंगीं। -ज्योति निशा अब पारंपरिक पढ़ाई से ही काम नहीं चलने वाला।इसलिए अतिरिक्त प्रोफेशनल कोर्स कर रही हूं। कंप्यूटर प्रशिक्षण संस्थान में प्रवेश लिया है। साथ-साथ स्नातक की पढ़ाई करनी है। कोशिश कर रही हूं कि नौकरी ना मिले तो कोई रोजगार किया जा सके। -अजरा खातून पहले जिले में केवल साकेत महाविद्यालय ही था,तब प्रवेश को लेकर मारामारी होती थी। हालांकि वहां भी काफी तादात में प्रवेश हुआ करता था जिससे लगभग सभी को प्रवेश मिल जाता था। अब तो शहर से देहात तक तमाम निजी कॉलेज खुल गए हैं। विज्ञान वर्ग के लिए अभी भी साकेत ही पहली पसंद है,जिसके कारण थोड़ी समस्या होती है। -सिद्धि सिंह कॉलेजों में भी इधर बीच प्रोफेशनल कोर्स शुरू हुए हैं। अब परंपरागत पाठ्यक्रम की पढ़ाई बहुत रोजगार परक नहीं रही,जिससे प्रोफेशनल कोर्स जरूरी हो गया है। हालांकि व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की फीस काफी ज्यादा तय कर दी गई है। फैजाबाद जैसे छोटे शहर के विद्यार्थियों के लिए फीस कम होनी चाहिए। -सच्चिदानंद चौबे प्रवेश और पढ़ाई की वर्तमान में कोई विशेष समस्या नहीं रही। बड़ी समस्या शिक्षा के गिरते स्तर की है। लोगों ने जगह-जगह कॉलेज तो खोल लिया है लेकिन ना ही उनके पास योग्य शिक्षक हैं और ना ही पर्याप्त संसाधन। प्रवेश लेने के बावजूद सारी कवायद केवल डिग्री हासिल करने तक सीमित रह जाती है। -सूरज सिंह सरकार को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बजट देना चाहिए। जनपद में और राजकीय महाविद्यालय खोले जाने चाहिए और उनमें शिक्षकों तथा संसाधनों की उपलब्धता कराई जानी चाहिए। राजकीय कॉलेज होने के बावजूद लोग अच्छी शिक्षा के चक्कर में निजी कॉलेज के पास जाने को मजबूर हैं,जहां उनका आर्थिक शोषण हो रहा है। -विशाल जायसवाल प्रोफेशनल कोर्स या तो विश्वविद्यालय में है अथवा निजी कॉलेजों में। सरकारी और ज्यादातर अनुदानित कॉलेज इससे अछूते हैं। जिन अनुदानित कॉलेजों में यह पाठ्यक्रम चलाए भी जा रहा है,वहां इसे स्वाभित पोषित में रखा गया है,जिसके कारण मोटी फीस देनी पड़ रही है। इससे अभिभावकों पर बोझ पड़ रहा है। -गुरप्रीत सीबीएसई बोर्ड से इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की है। बीएससी में प्रवेश लेना है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में प्रवेश चाहती हूं,जिसके लिए अखिल भारतीय स्तर के सीयूईटी का फॉर्म भरा था। परीक्षा केंद्र यहां से 200 किलोमीटर दूर वाराणसी कर दिया। अच्छे भविष्य के लिए संघर्ष जारी है,देखते हैं कि सफलता मिलती है की नहीं। -अवंतिका प्रवेश को लेकर अब कोई खास दिक्कत नहीं है। पहले आसपास के जनपदों से भी छात्र यहां साकेत महाविद्यालय में प्रवेश लेने आते थे,जिसके कारण भीड़ बढ़ जाती थी। प्रवेश प्रक्रिया की जानकारी करने आया था। कॉलेज के शिक्षकों और स्टाफ ने बताया है कि आवेदन कर दीजिए निश्चित रूप से प्रवेश हासिल हो जाएगा। -शक्ति वर्धन उच्च शिक्षा के लिए कॉलेज की उपलब्धता तो बढ़ी है लेकिन मानक और गुणवत्ता में लगातार गिरावट आती जा रही है। इंटर उत्तीर्ण होने के बाद समझ में नहीं आ रहा की प्रवेश के लिए किस कॉलेज में आवेदन किया जाए। वाराणसी और प्रयागराज जाकर पढ़ाई कर पाना सबके बस की बात नहीं है। घर के आसपास के किसी कालेज में प्रवेश करा लूंगीं। -कल्पना यादव अच्छे अंको से माध्यमिक शिक्षा परिषद की इंटरमीडिएट परीक्षा उत्तीर्ण की है आगे की पढ़ाई के लिए एक अच्छे संस्थान की तलाश है। कई जगह का फॉर्म भरा है। एनटीए की ओर से आयोजित सीयूईटी की परीक्षा भी दी है। दिल्ली विश्वविद्यालय और उससे संबद्ध कॉलेजों में एडमिशन मिल जाए तो अच्छा होगा। -राशी पांडेय भविष्य में जुडिशरी के क्षेत्र में जाने का निर्णय लिया है, इसके लिए बैचलर आफ लॉ में प्रवेश चाहती हूं। राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित क्लैट प्रवेश परीक्षा का फॉर्म भरा है वहां सफल हो गई तो किसी बढ़िया संस्थान में प्रवेश मिल जाएगा। ऐसा न हुआ न तो जिले में ही पांच वर्षीय एलएलबी कोर्स के लिए आवेदन करूंगी। -सुमन कुमारी इंटर तक की पढ़ाई तो हो गई,लेकिन आगे की पढ़ाई के लिए घर-परिवार की स्थिति और आर्थिक क्षमता का भी ध्यान रखना है। हर किसी की इच्छा अच्छे संस्थान में एडमिशन लेकर पढ़ने की होती है,लेकिन यह सबके लिए संभव नहीं है। प्रवेश खुलने पर क्षेत्र के ही कॉलेज में एडमिशन लूंगा। -भूपेंद्र कुमार बोले जिम्मेदार: दाखिलों के बारे में साकेत कालेज के प्रवेश समन्वयक प्रो.ओपी यादव का कहना है कि स्नातक कक्षा के विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन अप्रैल माह में ही शुरू करवा दिया गया था, जो अभी चल रहा है। विधि में प्रवेश के लिए परीक्षा कराई जानी है,जिसके लिए आवेदन 26 मई से जारी है और इसकी अंतिम तिथि 20 जून तय की गई है। स्नातक में प्रवेश प्रक्रिया जून माह के अंतिम सप्ताह से प्रांभ करवा दी जाएगी,जिससे शैक्षिक सत्र शुरू होने के समय तक प्रवेश संपादित करवा लिया जाए। स्नातक परीक्षाओं का परिणाम घोषित होने के बाद परास्नातक की प्रवेश प्रक्रिया शुरू होगी। छात्र जल्द से जल्द अपना ऑनलाइन आवेदन करवा लें।

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