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आरटीई के बाद भी जिले में 402 छात्रों को नहीं मिला प्रवेश

Amroha News - आरटीई योजना के तहत 1657 निर्धन परिवार के बच्चों को निजी स्कूलों में निशुल्क प्रवेश दिया जाना था, लेकिन केवल 1255 बच्चों को ही प्रवेश मिला। 402 बच्चों को मनचाहे विद्यालय नहीं मिलने और दस्तावेजों की कमी...

Newswrap हिन्दुस्तान, अमरोहाTue, 24 June 2025 03:00 AM
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आरटीई के बाद भी जिले में 402 छात्रों को नहीं मिला प्रवेश

आरटीई के तहत जिले में निर्धन परिवार के 1657 बच्चों को निजी स्कूलों में निशुल्क प्रवेश दिया जाना था। बच्चों के चयन के लिए चार बार ई-लॉटरी निकाली गई। लक्ष्य के सापेक्ष 1255 बच्चों को ही निजी स्कूलों में प्रवेश मिल पाया है जबकि 402 बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें मनमाफिक विद्यालय नहीं मिलने व अभिलेखों में कमी के चलते प्रवेश नहीं मिल पाया। अब ऐसे बच्चों को जुलाई में प्रवेश दिलाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। शैक्षिक सत्र 2025-26 के लिए कक्षा एक अथवा नर्सरी में प्रवेश के लिए तीसरे चरण की लाटॅरी में एक फरवरी से 19 फरवरी 2025 तक आवेदन पत्र लिए गए थे।

सत्यापन में पोर्टल पर प्राप्त कुल 632 आवेदन पत्रों में से 527 आवेदन पत्रों को अर्ह पाया गया शेष 105 आवेदन पत्रों में कमियों को दर्शाते हुए रिजेक्ट कर दिया गया। 19 फरवरी को कुल अर्ह 527 आवेदन पत्रों की ऑनलाइन लॉटरी निकाली गई, अर्ह 387 बच्चों को उनके मानचाहे प्राइवेट विद्यालय में निशुल्क प्रवेश के लिए सीट अलॉट हुई व 140 बच्चों का लॉटरी सीट फुल होने के चलते लॉटरी में विद्यालय ऐलाट नहीं हुआ। आरटीई एक्ट के तहत चौथे चरण की लॉटरी के क्रम में आवेदन एक से 19 मार्च तक लिए गए। रिजेक्ट किए गए अभिभावकों को पाई गई कमियों को दूर करते हुए फिर से पोर्टल के माध्यम से प्रवेश के लिए आवेदन करने के लिए कहा गया। चतुर्थ चरण की लाटॅरी 24 मार्च को खोली गई। सत्यापन में पोर्टल पर प्राप्त कुल 505 आवेदन पत्रों में से दिए गए मानक व लगाए गए आवश्यक डॉक्यूमेन्ट्स के आधार पर 441 आवेदन पत्र सही पाए गए शेष 64 आवेदन पत्रों में कमियों को दर्शाते हुए रिजेक्ट कर दिया गया। कुल पात्र 441 आवेदन पत्रों की ऑनलाइन लॉटरी निकाली गई। पात्र 344 बच्चों को उनके मनचाहे प्राइवेट विद्यालय में निःशुल्क प्रवेश के लिए सीट अलॉट हुई व 97 बच्चों का लॉटरी सीट फुल होने के कारण लॉटरी में विद्यालय ऐलाट नहीं हुआ। इन विद्यालयों को सरकार द्वारा प्रतिवर्ष 4950 रुपये का शुल्क प्रतिपूर्ति के रूप में उनके खाते में भुगतान व 5000 रुपये अभिभावकों के खातों में बच्चे के स्टेशनरी, यूनिफार्म, स्कूल बैग आदि के लिए दिया जाता है। कुछ अभिभावकों का कहना है कि निजी स्कूल निर्धन परिवारों के बच्चों को निशुल्क प्रवेश देने में आनाकानी करते हैं। सीटें फुल होने का बहाना बनाकर बच्चों को प्रवेश देने से बचते हैं। ऐसे स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। कोट : शासन की गाइडलाइन के तहत ई-लॉटरी के माध्यम से निर्धन परिवारों के बच्चों को निशुल्क प्रवेश निजी स्कूलों में दिलाया गया है। चार चरणों की ई-लॉटरी के माध्यम से बच्चों को प्रवेश मिला है। मनमाफिक स्कूल नहीं मिलने व अभिलेखों में कमी के चलते 402 बच्चों को प्रवेश नहीं मिला है। अब ऐसे बच्चों को जुलाई में नए सिरे से प्रवेश दिलाने की प्रक्रिया फिर शुरू की जाएगी। डा.मोनिका, बीएसए

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