मोहर्रम का चांद नजर आते ही महिलाओं ने उतार दीं चूड़ियां
Ambedkar-nagar News - अम्बेडकरनगर में पहली मोहर्रम से मजलिसों का आयोजन शुरू हो गया है। इमामबाड़ों में शोहदा ए कर्बला की याद में शिया आलिमों ने वाकया बयान किया, जिससे मोमनीन भावुक हो गए। मौलाना सैयद इंतेजार मेंहदी ने इमाम...

अम्बेडकरनगर, संवाददाता। माहे मोहर्रम का चांद गुरुवार शाम नजर आने के बाद शुक्रवार से मुहर्रम शुरू हो गया। पहली मोहर्रम से जिले के सभी इमामबाड़ों एवं अजाखानों में शोहदा ए कर्बला की याद में मजलिसों का क्रम प्रारंभ हो गया। नगर के मीरानपुर स्थित शाही इमामबारगाह, अब्दुल्लाहपुर, सिझौली, गदायां समेत शहर के विभिन्न इमामबारगाहों एवं अजाखानों में आयोजित मजलिसों में शिया आलिम ने शोहदाए कर्बला का वाकया बयान किया, जिसे सुनकर मोमनीन भावुक हो उठे। अंजुमन अकबरिया से जुड़े रेहान जैदी ने बताया कि पूर्व की भांति नगर के विभिन्न स्थानों पर मजलिसों मातम का दौर शुरू हो गया। कर्बला के शहीदों के गम में इमामबाड़े सज गए हैं।
मजलिसों के फर्श बिछा दिए गए हैं। शहर से लेकर गांव तक हर तरफ जिक्रे हुसैन की सदायें बुलंद हो रही हैं। जलालपुर तहसील क्षेत्र के कटघर मूसा गांव में शुक्रवार को मोहम्मद परवेज की जानिब से पहली मोहर्रम की कदीमी मजलिस को संबोधित करते हुए मौलाना सैय्यद इंतेजार मेंहदी (अदनान) ने कहा कि अली हक के साथ है और हक अली के साथ है। हजरत इमाम हुसैन की अजीम कुर्बानी का मकसद सिर्फ आलमे इंसानियत को बचाना था। क्योंकि उस दौर का बादशाह यजीद इंसानियत को पामाल कर खत्म करना चाहता था। हजरत इमाम हुसैन अस. ने अपने 72 साथियों सहित कुर्बानी देकर केवल इस्लाम ही नहीं बल्कि आलम-ए-इंसानियत को भी बचा लिया। अंत में मौलाना ने हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की 4 साल बेटी जनाबे सकीना के ऊपर पड़ने वाली मुसीबतों और जुल्म का जिक्र अजादारों के सामने किया] जिसे सुनकर अजादर रो पड़े। मजलिस में मुख्य रूप से मोहम्मद जाफर, अलमदार हुसैन, मोहम्मद जावेद, वसी हैदर, हसन मेंहदी, नैयर अब्बास, हसन अब्बास, राहिब अब्बास, अयान अब्बास, मोहम्मद शाहिद, जैनुल एबा, दिलावर अब्बास, जुहैर अब्बास समेत अन्य लोग मौजूद रहे।
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