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लव मैरिज करने वाली युवती को अपनी पसंद की जगह रहने का हक, हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनाया फैसला

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक केस की सुनवाई करते हुए कहा है कि लव मैरिज करनेवाली युवती को अपनी पसंद की जगह रहने का अधिकार है। वह जहां चाहे वहां रहने के लिए स्वतंत्र है। साथ ही कोर्ट ने चंदौली की मनोरमा और एक अन्य की ओर से दायर बंदी प्रत्यीक्षकरण याचिका खारिज कर दी है।

Pawan Kumar Sharma विधि संवाददाता, प्रयागराजWed, 25 June 2025 02:12 PM
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लव मैरिज करने वाली युवती को अपनी पसंद की जगह रहने का हक, हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनाया फैसला

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक केस की सुनवाई करते हुए कहा है कि लव मैरिज करने वाली युवती को अपनी पसंद की जगह रहने का अधिकार है। साथ ही कोर्ट ने चंदौली की मनोरमा और एक अन्य की ओर से दायर बंदी प्रत्यीक्षकरण याचिका खारिज कर दी है। दरअसल याचिका में मनोरमा की 20 साल की बेटी को पेश करने और उसे याची को हिरासत में सौंपने का अनुरोध किया गया गया था।

याची के वकील ने तर्क दिया कि प्रतिवादी कृष्णा उर्फ पप्पू बिजली वायरिंग का काम करता है और याची के घर आता-जाता था। उन्होंने आरोप लगाया कि कृष्णा, याची की बेटी को परेशान करता था और 1 मई, 2025 को उसे बहला-फुसलाकर भगा ले गया हालांकि, अपर शासकीय अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि जांच में पता चला है कि याची की बेटी और कृष्णा बालिग हैं। उन्होंने अपनी मर्जी से प्रेम विवाह कर लिया है। दोनों ने अपनी शादी की तस्वीरें, मैरिज रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट उपलब्ध कराए हैं। दस्तावेजों के अवलोकन से यह स्थापित हुआ है कि दोनों बालिग हैं और विवाह के बाद अपना वैवाहिक जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

अदालत ने कहा कि चूंकि कथित युवती ने अपनी इच्छा से प्रतिवादी कृष्णा के साथ शादी कर लिया है और वह खुशीपूर्वक उसके साथ रह रही है। वह बालिग हैं, इसलिए वह जहां और जिसके साथ रहना चाहे वहां रहने के लिए स्वतंत्र है। न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि कोई भी व्यक्ति उनके शांतिपूर्वक जीवन में बाधा उत्पन्न नहीं करेगा।

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हाईकोर्ट ने ने मुजफ्फरनगर डीएम व एसएसपी को किया तलब

उधर, उच्च न्यायालय ने यूपी में गैंगस्टर कानून के दुरुपयोग को गंभीरता से लेते हुए मुजफ्फरनगर के जिलाधिकारी (डीएम), वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) और थाना प्रभारी को अदालत में उपस्थित होकर अपने ‘दुराचरण और लापरवाही’ पर स्पष्टीकरण देने को कहा है।

न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने एक व्यक्ति को कथित तौर पर जेल के भीतर रखने के लिए उसके खिलाफ बार-बार और मनमाने ढंग से गैंगस्टर कानून लागू करने को गंभीरता से लेते हुए ये निर्देश दिया

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