तुर्की ने 158 सैन्य कर्मियों को फेतुल्लाह गुलेन से संबंधों के संदेह में गिरफ्तार किया, जो 2016 के असफल तख्तापलट से जुड़े हैं। यह कार्रवाई सरकार की गुलेन समर्थकों के खिलाफ चल रही व्यापक कार्रवाई का हिस्सा है।
भारत ने शुरू से ही साइप्रस की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन किया है, विशेष रूप से 1974 में तुर्की के साइप्रस पर आक्रमण और इसके उत्तरी हिस्से पर कब्जे के बाद।
हाल ही में, भारत सरकार ने तुर्की के साथ नागरिक उड्डयन संबंधों की समीक्षा शुरू की है, जिसका मुख्य कारण तुर्की का भारत-पाकिस्तान विवाद में पाकिस्तान का समर्थन करना है।
सिलिगुरी कॉरिडोर, जिसे ‘चिकन नेक’ के नाम से भी जाना जाता है, भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को शेष देश से जोड़ने वाला एक संवेदनशील क्षेत्र है। ऐसे में तुर्की और पाकिस्तान की बढ़ती भूमिका को भारत सतर्कता से देख रहा है।
दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद हवाई अड्डों ने तुर्की की विमानन ग्राउंड-हैंडलिंग कंपनी सेलेबी के साथ संबंध समाप्त कर दिए हैं। भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में सेलेबी की सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी।
सुरक्षा मंजूरी रद्द होने से सेलेबी के संचालन पर तत्काल प्रभाव पड़ा है। दिल्ली एयरपोर्ट ने कंपनी के साथ साझेदारी समाप्त कर दी है। अन्य हवाई अड्डों को वैकल्पिक ग्राउंड हैंडलिंग एजेंसियों के साथ समन्वय करने के लिए कहा गया है।
यह स्पष्ट नहीं है कि समीक्षा के बाद कितने सौदों को रद्द किया जाएगा या संशोधित किया जाएगा। तुर्की के साथ संबंधों का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि वह कश्मीर पर अपनी स्थिति को संतुलित करता है या नहीं।
कांग्रेस प्रवक्ताओं का वीडियो वायरल हो रहा है। तुर्की के बहिष्कार पर जवाब देने के बजाय पवन खेड़ा और जयराम रमेश एक दूसरे की ओर माइक बढ़ाते दिखे। देखें वीडियो।
यह कदम भारत की डिजिटल और कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य गलत सूचनाओं को रोकना और राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना है।
डोभाल ने कई देशों के अपने समकक्षों से कहा कि भारत का तनाव बढ़ाने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन अगर पाकिस्तान ऐसा करता है तो वह दृढ़ता से जवाब देने के लिए तैयार है।