कुछ सदस्यों ने जजों के लिए बने 16 पॉइंट के कोड ऑफ कंडक्ट का पालन न होने पर भी सवाल किया। यह कोड ऑफ कंडक्ट सुप्रीम कोर्ट ने ही 1997 में लागू किया था। सांसदों ने कहा कि जजों के लिए यह कोड ऑफ कंडक्ट सिर्फ कागजों में ही है।
याचिकाकर्ता के पिता दो घर, 33 एकड़ जमीन और 85 हजार रुपये परिवार को मासिक पेंशन छोड़ गए हैं। राजस्थान हाईकोर्ट और सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्युनल की तरफ से रवि की अनुकंपा नियुक्ति की याचिका को खारिज कर दिया था।
पीठ ने कहा कि यदि कमल हासन ने कुछ भी असुविधाजनक कहा है तो उसे अटल सत्य नहीं माना जा सकता और कर्नाटक के प्रबुद्ध लोगों को इस पर बहस करनी चाहिए थी और कहना चाहिए था कि वह गलत थे।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘भारत के लाखों नागरिकों को ‘अछूत’ कहा जाता था। उन्हें बताया जाता था कि वे अपवित्र हैं। उन्हें बताया जाता था कि वे अपने लिए नहीं बोल सकते। लेकिन आज हम यहां हैं, जहां उन्हीं लोगों से संबंधित एक व्यक्ति देश की न्यायपालिका में सर्वोच्च पद धारक के रूप में खुलकर बोल रहा है।'
चीफ जस्टिस ने कहा, 'अनुसूचित जाति वर्ग में उपवर्गीकरण आरक्षण पर किसी तरह का सवाल नहीं है। यह तय करता है कि उन लोगों को न्याय मिले, जो ऐतिहासिक रूप से पिछड़े हुए हैं। खासतौर पर उन वर्गों के भीतर जो पिछड़े हुए हैं, जिन्हें आरक्षण मिल रहा है।' उन्होंने कहा कि भारत का संविधान तो एक सामाजिक दस्तावेज है।
चीफ जस्टिस गवई ने कहा कि चिंता की बात यह है कि कई बार अदालत की सुनवाई में कही गई बातों को गलत ढंग से पेश किया जाता है। उन्होंने कहा कि जब से कोर्ट की सुनवाई वर्चुअल माध्यमों पर दिखने लगी है, तब से ऐसी चीजों में इजाफा हुआ है।
याचिका में कहा गया कि SC के आदेश की अवमानना हुई है, क्योंकि सरकार ने छत्तीसगढ़ सहायक सशस्त्र पुलिस बल अधिनियम, 2011 पारित किया, जो माओवादी/नक्सल हिंसा से निपटने में सुरक्षाबलों की सहायता के लिए एक सहायक सशस्त्र बल को अधिकृत करता है तथा मौजूदा SPO को सदस्य के रूप में शामिल करके उन्हें वैध बनाता है।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू सहमति बनाने की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। उनका कहना है कि यह राजनीतिक मामला नहीं है। ऐसे में किसी भी तरह के मतभेद की जरूरत नहीं है। न्यायपालिका से जुड़ा यह एक गंभीर मसला है, जिस पर सभी को एकजुट होकर फैसला करना चाहिए।
नियुक्तियों से संबंधित फाइलें बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास पहुंचीं थीं जिसके बाद उन्हें मंजूरी मिल गई है। उनकी नियुक्तियों के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 34 हो गई।
अपीलकर्ता की उम्र कथित अपराध के समय 23 साल थी। उसपर शादीशुदा महिला ने आरोप लगाए थे कि शादी का झूठा वादा कर शारीरिक संबंध बनाए गए थे। खास बात है कि महिला उस समय पति से अलग रह रही थी, लेकिन तलाक नहीं हुआ था।