पीठ ने कहा, ‘यह अदालत पीड़िता को उसकी इच्छा के विरुद्ध गर्भ को जारी रखने के लिए मजबूर नहीं कर सकती, क्योंकि ऐसी स्थिति में पीड़िता से उसके जीवन के तात्कालिक और दीर्घकालिक मार्ग तय करने के अधिकार को छीना जा रहा है।’
यह मामला जून 2023 में जन्मे एक शिशु की कस्टडी विवाद से जुड़ा है। वैवाहिक घर छोड़ने के बाद मां ने फैमिली कोर्ट में गार्जियंस एंड वार्ड्स एक्ट के तहत स्थायी हिरासत के लिए याचिका दायर की थी। उन्होंने अंतरिम कस्टडी की भी मांग रखी थी।
केरल के कोच्चि में यह कानूनी विवाद तब शुरू हुआ, जब पिछले साल नवंबर में एक ग्राहक ने परोटा और बीफ ऑर्डर किया। परोटा मैदा से बनता है और अपनी रूखी बनावट के कारण ग्रेवी के साथ खाया जाता है, ताकि यह नरम और स्वादिष्ट हो सकते।
सिमडेगा में प्रशासन ने बस स्टैंड और डेली मार्केट के आसपास अतिक्रमण कर दुकान लगाने वाले 23 लोगों के खिलाफ नोटिस जारी किया है। एसडीओ कोर्ट ने इन्हें 28 मई तक लिखित कारण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।...
जमशेदपुर के साकची गुरुद्वारे के प्रबंधक कमेटी के प्रधान पद के चुनाव का विवाद एसडीओ कोर्ट में पहुँच गया है। वर्तमान प्रधान निशान सिंह और पूर्व प्रधान हरविंदर सिंह मंटू के पक्ष के खिलाफ समन जारी किए गए...
यह केस साल 2019 में मुंबई के डीएन नगर पुलिस स्टेशन में दर्ज हुआ था। लड़की के पिता ने उसी साल नवंबर में उसकी गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी। कुछ दिनों बाद उसे जुहू चौपाटी के पास आरोपी और उसके दोस्तों के साथ पाया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक, शादी का रिसेप्शन चल रहा था। इसी बीच दूल्हे के पिता उसे मंडप से थोड़ा दूर लेकर गया और कहने लगा कि दुल्हन के घर वालों ने पर्याप्त मात्रा में सोना नहीं दिया है।
वकील ने बताया कि सांप पकड़ने वालों को बुलाया गया। उन्होंने पुरानी फाइल से भरे अदालत कक्ष और दीवारों व फर्श की छानबीन की जिनमें कई छेद थे।
न्यायालय ने याचिकाकर्ता की ओर से गंभीर तात्कालिकता का हवाला दिया। साथ ही, कोर्ट का तीन घंटे का समय बर्बाद करने पर भी टिप्पणी की। इसे लेकर याचिका दायर करने वाले को फटकार लगाई गई।
बेंच ने कहा, ‘पुरुष वर्चस्व और पुरुषवादी मानसिकता अब भी कायम है। जब तक हम अपने बच्चों को घर में समानता की शिक्षा नहीं देंगे, तब तक कुछ नहीं होगा। तब तक निर्भया जैसे कानून और अन्य कानून कारगर नहीं होंगे।’