राहुल द्रविड़ 2007 में इंग्लैंड की धरती पर टेस्ट सीरीज जीतने वाले तीसरे भारतीय कप्तान थे। भारत ने नॉटिंघम टेस्ट में जीत के साथ तीन मैचों की सीरीज 1-0 से जीती। लॉर्ड्स और ओवल टेस्ट ड्रॉ पर समाप्त हुआ था।
शुभमन गिल की अगुवाई वाली भारतीय टीम शुक्रवार से इंग्लैंड में पांच टेस्ट मैचों की सीरीज खेलेगी। नए टेस्ट कप्तान गिल पर उम्मीदों का 'पहाड़ जैसा बोझ' होगा।
बेंगलुरु भगदड़ पर राहुल द्रविड़ का दर्द छलका है। पूर्व दिग्गज बल्लेबाज द्रविड़ बेंगलुरु से ही हैं। उन्होंने शहर की खेल संस्कृति पर भी बड़ी बात कही।
महज 14 साल की उम्र में IPL इतिहास का दूसरा सबसे तेज शतक जड़ने वाले वैभव सूर्यवंशी क्रिकेट की नई सनसनी हैं। मंगलवार को इस सीजन के अपने आखिरी मैच में भी उन्होंने अर्धशतक ठोका। मैच के बाद सूर्यवंशी ने राहुल द्रविड़ से बातचीत में बताया कि IPL के दौरान उन्हें कब और क्यों 3-4 दिन फोन स्विच ऑफ करना पड़ा।
वैभव की तूफानी बल्लेबाजी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि IPL 2025 में सबसे ज्यादा स्ट्राइक रेट से रन बनाने के मामले में निकोलस पूरन और अभिषेक शर्मा जैसे विस्फोटक बल्लेबाज उनके आगे पानी भरते नजर आए।
पूर्व भारतीय कप्तान और मुख्य कोच राहुल द्रविड़ ने एक अहम सलाह दी है। द्रविड़ की इस सलाह से पेशेवर तौर पर क्रिकेट से जुड़ने की चाह रखने वाले लोग सफलता के लिए खुद को परख कर अपनी पूरी क्षमता का उपयोग कर सकते हैं।
राहुल द्रविड़ ने आगाह किया कि 14 साल के वैभव सूर्यवंशी पर जरूरत से ज्यादा फोकस मत कीजिए। राजस्थान रॉयल्स के कोच का मानना है कि लगातार फोकस सूर्यवंशी लिए चुनौतीपूर्ण होगा।
रातोंरात मिली लोकप्रियता, स्टारडम को अच्छे-अच्छे नहीं पचा पाते हैं। और अगर यह कच्ची उम्र में मिल जाए तब तो खतरा और भी बड़ा होता है। एल शिवरामकृष्णन, पृथ्वी शॉ, विनोद कांबली ऐसे कुछ नाम हैं जो स्टारडम की चकाचौंध में खो गए। वैभव सूर्यवंशी खुशकिस्मत हैं कि उनके पास कोच के रूप में राहुल द्रविड़ हैं।
वैभव सूर्यवंशी की उम्र महज 14 साल है लेकिन क्रिकेट को धर्म मानने वाले भारत के बच्चे-बच्चे की जुबां पर उसका नाम छाया हुआ है। राजस्थान रॉयल्स की तरफ से गुजरात टाइटंस के खिलाफ सिर्फ 35 गेंद में शतक जड़कर ये लड़का क्रिकेट की नई सनसनी बनकर उभरा है। इस कमाल के पीछे वीवीएस लक्ष्मण की पारखीं नजरें भी हैं।
वैभव सूर्यवंशी की तूफानी सेंचुरी के एक्साइटमेंट के चक्कर में राहुल द्रविड़ ने एक बड़ा रिस्क ले लिया। उन्होंने बिना किसी सपोर्ट के खड़े होकर तालियां बजाईं। वे लड़खड़ाए जरूर, लेकिन बिना सहारे के खड़े हो गए।