यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने G7 शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात कर द्विपक्षीय रिश्तों को सामान्य बनाने और फिर से मजबूत करने की बात कही थी।
भारत ने कनाडा से बार-बार मांग की है कि वह अपनी धरती पर खालिस्तानी गतिविधियों पर लगाम लगाए, लेकिन कनाडा की ओर से ठोस कार्रवाई का अभाव इस मुद्दे को और जटिल बना रहा है।
यह समझौता दोनों देशों के लिए एक कूटनीतिक जीत माना जा रहा है, खासकर भारत के लिए, जिसे खालिस्तानियों पर अंकुश लगाने में मदद मिल सकती है।
कनाडा में खालिस्तानी समर्थकों की बढ़ती गतिविधियां और पीएम मोदी को दी गई धमकियां भारत-कनाडा संबंधों के लिए एक गंभीर चुनौती हैं।
निज्जर हत्याकांड पर टिप्पणी करने से इनकार कर प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने संकेत दिया है कि वह इस संवेदनशील मामले को राजनीतिक रंग देने के बजाय कानूनी प्रक्रिया पर भरोसा करते हैं।
कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने पीएम मोदी को फोन करके उन्हें जी-7 सम्मेलन में हिस्सा लेने का न्योता दिया है।
कांग्रेस ने कहा कि 2014 के बाद भी भारतीय प्रधानमंत्रियों को आमंत्रित करने की परंपरा जारी रही, लेकिन इस बार कनाडा शिखर सम्मेलन में भारत की अनुपस्थिति एक बड़ा कूटनीतिक असफलता है।
कनाडा की विदेश मंत्री अनीता आनंद ने हाल ही में यह बयान दिया है कि कनाडा भारत के साथ संबंधों को ठीक करने की दिशा में काम कर रहा है। उन्होंने बीते दिनों भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर से भी बातचीत की है।
चुनाव प्रचार के दौरान भी मार्क कार्नी ने कहा था कि भारत के साथ रिश्तों को फिर से बनाना उनकी सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि कनाडाई लोगों के भारत के साथ गहरे व्यक्तिगत, आर्थिक और रणनीतिक संबंध रहे हैं।
प्रधानमंत्री कार्नी की नई कैबिनेट में अनीता आनंद की भूमिका काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। भारत और कनाडा के बीच संबंधों को मजबूत करने में भी उनकी भूमिका अहम हो सकती है।