बहस करनी है तो तारीख और जगह तय करें...टीकाराम जूली ने स्वीकारा सीएम भजनलाल शर्मा का चैलेंज
राजस्थान की सियासत में अब खुले मंच पर बहस की तैयारी शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा द्वारा कांग्रेस सरकार के 5 साल बनाम भाजपा सरकार के डेढ़ साल के कार्यों की तुलना पर सार्वजनिक बहस की चुनौती दिए जाने के बाद अब नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इस चुनौती को स्वीकार कर लिया है।

राजस्थान की सियासत में अब खुले मंच पर बहस की तैयारी शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा द्वारा कांग्रेस सरकार के 5 साल बनाम भाजपा सरकार के डेढ़ साल के कार्यों की तुलना पर सार्वजनिक बहस की चुनौती दिए जाने के बाद अब नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इस चुनौती को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए कहा कि वे किसी भी सार्वजनिक मंच पर बहस को तैयार हैं, बस सरकार की ओर से समय और स्थान तय कर सूचित किया जाए।
टीकाराम जूली ने यह प्रतिक्रिया सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर साझा की। उन्होंने लिखा, “मुख्यमंत्री जी, सोमवार को आपके भाषण का अंश मीडिया में देखा जिसमें आपने कांग्रेस सरकार के 5 वर्षों और भाजपा सरकार के डेढ़ वर्ष की तुलना पर सार्वजनिक बहस की बात कही। हमने भी बार-बार सरकार से सवाल किए, लेकिन जवाब नहीं मिला। अब जब आप खुद बहस चाहते हैं, तो मैं बताना चाहता हूं कि बतौर नेता प्रतिपक्ष मैं आपकी यह चुनौती स्वीकार करता हूं। आप स्थान और समय तय करके हमें सूचित करें।”
टीकाराम जूली ने भाजपा सरकार पर पलटवार करते हुए कहा कि जितनी पारदर्शिता और जवाबदेही कांग्रेस शासन में देखने को मिली, उतनी आज नहीं दिखती। “कांग्रेस सरकार ने बेरोजगारी, महंगाई और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर योजनाएं चलाकर जमीनी स्तर पर काम किया। भाजपा सरकार केवल घोषणाओं और इवेंटबाजी तक सीमित है,” उन्होंने कहा।
इससे पहले सोमवार को ही कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी मुख्यमंत्री की चुनौती को स्वीकार करते हुए कहा था कि यदि मुख्यमंत्री चाहें तो अल्बर्ट हॉल के बाहर किसी सार्वजनिक मंच पर बहस हो सकती है। “जनता खुद देखेगी कि किस सरकार ने कितना काम किया,” डोटासरा ने कहा।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने यह बयान भाजपा मुख्यालय में श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि के अवसर पर दिया था। उन्होंने कहा था, “कांग्रेस के 5 वर्षों में जितना काम नहीं हुआ, उतना हमने अपने डेढ़ साल में कर दिखाया है। अगर कांग्रेस को लगता है कि उन्होंने बेहतर किया, तो खुले मंच पर बहस के लिए आ जाएं। अगर भाजपा सरकार का काम भारी नहीं पड़े तो कहना।”
मुख्यमंत्री की इस चुनौती ने राज्य की राजनीति में नई बहस को जन्म दे दिया है। कांग्रेस इसे अवसर मान रही है ताकि भाजपा सरकार को उसके कामकाज को लेकर घेरा जा सके, जबकि भाजपा को विश्वास है कि उसका डेढ़ साल का रिपोर्ट कार्ड कांग्रेस के 5 वर्षों पर भारी पड़ेगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बहस यदि सच में सार्वजनिक मंच पर होती है तो यह राज्य में राजनीतिक संवाद की नई मिसाल बन सकती है। हालांकि इस बहस के लिए किसी तारीख और स्थान की अभी घोषणा नहीं हुई है, लेकिन दोनों दलों की सहमति ने यह साफ कर दिया है कि आने वाले दिनों में राजस्थान की राजनीति में गर्माहट और बढ़ने वाली है।
यह घटनाक्रम ऐसे समय सामने आया है जब विधानसभा का मानसून सत्र नजदीक है और दोनों ही दल एक-दूसरे को घेरने की रणनीति में जुटे हैं। ऐसे में यह बहस सियासी narrative तय करने में अहम भूमिका निभा सकती है।
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