जयपुर में शेयर बाजार की नौकरी बनी क्रिप्टो लूट का बहाना, मास्टरप्लान में छिपे कई राज!
राजधानी में शेयर मार्केट की नौकरी दिलाने का झांसा देकर एक युवक को बुलाया गया। फिर जो कुछ हुआ, वो किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं था। कार में बिठाकर सुनसान इलाके में ले जाया गया, फिर शुरू हुआ धमकियों और डिजिटल ट्रांजेक्शन का खेल।

राजधानी में शेयर मार्केट की नौकरी दिलाने का झांसा देकर एक युवक को बुलाया गया। फिर जो कुछ हुआ, वो किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं था। कार में बिठाकर सुनसान इलाके में ले जाया गया, फिर शुरू हुआ धमकियों और डिजिटल ट्रांजेक्शन का खेल। आखिरकार साढ़े चार लाख रुपये के यूएसडीटी (क्रिप्टो करेंसी) ट्रांसफर करवाकर उसे छोड़ दिया गया।
इस हाईप्रोफाइल ठगी मामले में सिंधी कैंप थाना पुलिस की लगातार तकनीकी जांच और महीनों की मेहनत के बाद बड़ा खुलासा हुआ है। पुलिस ने इस पूरे घटनाक्रम के मास्टरप्लान तक पहुंच बनाते हुए एक ऐसे युवक को गिरफ्तार किया है, जिसकी प्रोफाइल सामने आने पर खुद पुलिस भी हैरान रह गई।
सूत्रों के मुताबिक, यह युवक कोई आम ठग नहीं, बल्कि देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक आईआईटी का छात्र है, जिसने अत्यधिक तकनीकी ज्ञान का इस्तेमाल कर यह ठगी रची। आरोपी की गिरफ्तारी के बाद अब पूरा मामला एक नए मोड़ पर पहुंच गया है।
ऐसे रची गई थी साजिश
यह मामला नवंबर 2024 का है। मुंबई निवासी समीर खान नामक युवक ने सिंधी कैंप थाने में मामला दर्ज करवाया था। समीर ने बताया कि उसे एक शख्स ने सोशल मीडिया के ज़रिए शेयर मार्केट में नौकरी का ऑफर दिया। कुछ बातचीत के बाद आरोपी ने समीर को जयपुर बुलाया। यहां आने पर सिंधी कैंप के पास आरोपी 'श्याम' नामक व्यक्ति ने उसे और उसके साथियों को एक कार में बैठाया।
कार में पहले से ही दो संदिग्ध लोग सवार थे। समीर को कुछ शक हुआ, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। कार सीधे दौलतपुरा इलाके में रुकी, जहां पहले से करीब एक दर्जन लोग मौजूद थे। समीर को गाड़ी से उतारकर घेर लिया गया और जान से मारने की धमकी देते हुए उसके पास मौजूद नकदी छीन ली गई।
इसके बाद आरोपियों ने समीर के चाचा को फोन कर उसे मारने की धमकी दी और जान बचाने की एवज में क्रिप्टो करेंसी यूएसडीटी में 4.5 लाख रुपये ट्रांसफर करवाए। पैसे मिलते ही पीड़ित को छोड़ दिया गया।
तकनीक से पहचान, फिर गिरफ्त में मास्टरमाइंड
थानाधिकारी श्याम सुंदर शर्मा ने बताया कि यह मामला शुरुआत में आम ठगी जैसा लग रहा था, लेकिन जब पुलिस ने कॉल डिटेल्स, डिजिटल वॉलेट्स, ट्रांजेक्शन हिस्ट्री और आईपी ट्रैसिंग के ज़रिए जांच की तो मामला गंभीर और हाईटेक नजर आया।
इसी तकनीकी जांच के बाद मुख्य आरोपी दीव्यांशु सिंह की पहचान हुई। जब उसे पकड़ा गया तो खुलासा हुआ कि वह आईआईटी का छात्र है और साइबर फ्रॉड की बारीक समझ रखता है। उसने पूरी योजना को खुद डिजाइन किया और दूसरों को भी इसमें शामिल किया।
अभी और खुलासे बाकी
फिलहाल पुलिस आरोपी से पूछताछ कर रही है और इस गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश जारी है। पुलिस को शक है कि यह गैंग देश के अन्य हिस्सों में भी इसी तरह की वारदातों को अंजाम दे चुका है।
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