RPSC को मिला नया मुखिया,डीजीपी यू आर साहू बने चेयरमैन

आखिरकार राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) को 10 महीने बाद नया चेयरमैन मिल गया है। प्रदेश सरकार ने राजस्थान पुलिस के डीजीपी उत्कल रंजन साहू (U R Sahu) को आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया है।

Sachin Sharma लाइव हिन्दुस्तानTue, 10 June 2025 05:13 PM
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RPSC को मिला नया मुखिया,डीजीपी यू आर साहू बने चेयरमैन

आखिरकार राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) को 10 महीने बाद नया चेयरमैन मिल गया है। प्रदेश सरकार ने राजस्थान पुलिस के डीजीपी उत्कल रंजन साहू (U R Sahu) को आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया है। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने इस नियुक्ति को मंजूरी देते हुए आदेश जारी कर दिए हैं। साहू की गिनती प्रदेश के सबसे सीनियर और सख्त मिजाज अफसरों में होती है। माना जा रहा है कि सरकार उनकी प्रशासनिक पकड़ और अनुशासन प्रिय कार्यशैली का लाभ आयोग की पारदर्शी और तेज़ भर्ती प्रक्रियाओं में लेना चाहती है।

यूआर साहू 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और फिलहाल डीजीपी के तौर पर कार्यरत थे। वे मूलतः ओडिशा से हैं और राजस्थान पुलिस में सबसे सीनियर आईपीएस हैं। दिसंबर 2020 में उन्हें डीजी रैंक पर प्रमोट किया गया था। अपने करियर के दौरान वे प्रदेश के 8 ज़िलों में पुलिस अधीक्षक (एसपी) रह चुके हैं, जिनमें धौलपुर, बाड़मेर, हनुमानगढ़, सीकर, बांसवाड़ा, श्रीगंगानगर, भीलवाड़ा और जोधपुर शामिल हैं। विशेष रूप से वर्ष 2005 में जोधपुर एसपी रहते हुए उन्हें उत्कृष्ट सेवाओं के लिए पुलिस पदक से सम्मानित किया गया था। बाद में वसुंधरा राजे सरकार के दौरान जनवरी 2014 से दिसंबर 2018 तक वे इंटेलिजेंस विभाग में एडीजी के पद पर रहे, जहां वर्ष 2016 में उन्हें राष्ट्रपति पुलिस पदक से नवाजा गया।

साहू की नियुक्ति ऐसे समय में की गई है जब विपक्ष सरकार को आयोग को लेकर घेर रहा था। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को एक्स (पूर्व ट्विटर) पर सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा कि "चुनाव से पहले युवाओं को गुमराह करने और कांग्रेस पर झूठे आरोप लगाने के लिए भाजपा ने RPSC में तेज़ और पारदर्शी भर्ती का वादा किया था, लेकिन 10 महीने बीत जाने के बाद भी सरकार न चेयरमैन नियुक्त कर पाई, न सदस्यों के खाली पद भरे।" गहलोत के इस बयान को लेकर भी राजनीतिक हलकों में हलचल रही।

अब जब साहू को आयोग की जिम्मेदारी मिल गई है, तो सरकार को उम्मीद है कि भर्ती प्रक्रियाएं गति पकड़ेंगी और युवाओं को समय पर परीक्षाएं व परिणाम मिल सकेंगे। RPSC जैसे संवेदनशील और प्रतिष्ठित संस्थान के मुखिया के तौर पर साहू की भूमिका बेहद अहम मानी जा रही है। खास बात यह भी है कि साहू का कार्यकाल पुलिस विभाग से अलग प्रशासनिक अनुभवों के साथ परीक्षा प्रणाली में अनुशासन और सख्ती ला सकता है।

सरकार की ओर से यह संदेश भी गया है कि वह आयोग में सुधार और पारदर्शिता को लेकर गंभीर है। अब देखना होगा कि यूआर साहू की अगुवाई में RPSC किस तरह से युवाओं की उम्मीदों पर खरा उतरता है और लटकी हुई भर्तियों को किस गति से निपटाया जाता है।

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