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15 मिनट तक मौत के साये में रही श्रद्धालुओं की सांसें: रणथंभौर में गणेश मंदिर मार्ग पर टहलता रहा बाघ

राजस्थान के रणथंभौर नेशनल पार्क में उस वक्त सनसनी फैल गई जब बुधवार की सुबह श्रद्धालुओं से भरे त्रिनेत्र गणेश मंदिर मार्ग पर अचानक एक बाघ आ धमका। तकरीबन 15 मिनट तक जंगल का यह खूंखार शिकारी मंदिर मार्ग पर बेरोकटोक घूमता रहा।

Sachin Sharma लाइव हिन्दुस्तानWed, 25 June 2025 07:22 PM
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15 मिनट तक मौत के साये में रही श्रद्धालुओं की सांसें: रणथंभौर में गणेश मंदिर मार्ग पर टहलता रहा बाघ

राजस्थान के रणथंभौर नेशनल पार्क में उस वक्त सनसनी फैल गई जब बुधवार की सुबह श्रद्धालुओं से भरे त्रिनेत्र गणेश मंदिर मार्ग पर अचानक एक बाघ आ धमका। तकरीबन 15 मिनट तक जंगल का यह खूंखार शिकारी मंदिर मार्ग पर बेरोकटोक घूमता रहा। सड़क पर खड़ी चौपहिया गाड़ियों में बैठे लोग सहम कर सांसें रोके बैठे रहे, तो कई श्रद्धालु डर के मारे वहीं जमीन पर बैठ गए।

गौरतलब है कि रणथंभौर के त्रिनेत्र गणेश मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को जंगल से होकर गुजरना होता है। आमतौर पर इस मार्ग पर सुरक्षा के पर्याप्त इंतज़ाम किए जाते हैं, लेकिन बुधवार को जो हुआ उसने न सिर्फ लोगों की धड़कनें तेज कर दीं, बल्कि वन विभाग की व्यवस्थाओं पर भी सवाल खड़े कर दिए।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बाघ बिल्कुल बेखौफ अंदाज में सड़क के बीचों-बीच घूमता रहा। वह कभी वाहनों के पास जाता, कभी झाड़ियों में झांकता और फिर वापस सड़क पर आ जाता। इस दृश्य ने मानो श्रद्धालुओं को जीवित नरक का अहसास करा दिया। मोबाइल कैमरों में यह दृश्य कैद करने की कोशिश भी हुई, लेकिन खौफ इस कदर था कि ज्यादातर लोगों ने कैमरा उठाने की हिम्मत तक नहीं की।

कुछ ही मिनटों में बाघ के कारण वहां वाहनों की लंबी कतार लग गई। आगे बढ़ने की हिम्मत किसी में नहीं थी। पीछे हटने की जगह नहीं। हर तरफ खामोशी और डर का माहौल था।

करीब 15 मिनट बाद बाघ जंगल की ओर लौट गया, लेकिन उस दौरान वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखों में सिर्फ एक ही सवाल था—“क्या हम सच में सुरक्षित हैं?”

पिछले ढाई महीने में तीन जानें ले चुका है रणथंभौर

इस घटना ने एक बार फिर उन खौफनाक यादों को ताजा कर दिया है जब पिछले ढाई महीने में रणथंभौर क्षेत्र में बाघ के हमलों में तीन लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। सबसे ताजा मामला 7 साल के बालक कार्तिक सुमन का था, जिसे इसी मंदिर मार्ग पर बाघ ने शिकार बनाया था। इसके अलावा रेंजर देवेंद्र सिंह और रणथंभौर स्थित एक जैन मंदिर के चौकीदार राधेश्याम माली की भी बाघ के हमले में दर्दनाक मौत हुई थी।

इन हमलों के बाद वन विभाग ने तत्काल प्रभाव से बाघिन टी-84 के तीन शावकों को पार्क से बाहर ट्रांसलोकेट कर दिया था। उस वक्त माना गया कि खतरा टल गया है, और श्रद्धालुओं ने भी चैन की सांस ली थी। मगर बुधवार सुबह बाघ की फिर से वापसी ने इस सुकून को चकनाचूर कर दिया।

कौन है यह बाघ? वन विभाग अभी खामोश

सबसे बड़ा सवाल यह है कि जंगल से बाहर आकर लोगों के बीच टहलने वाला यह बाघ आखिर कौन है? क्या यह कोई नया नर बाघ है जिसने हाल ही में इस क्षेत्र में अपनी दहशत बनानी शुरू की है, या फिर यह उन्हीं पुराने शिकारी बाघों में से कोई है जो क्षेत्रीय संघर्ष के चलते मंदिर मार्ग की ओर निकल पड़ा?

वन विभाग की ओर से अभी तक इस बाघ की पहचान को लेकर कोई अधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। न ही यह स्पष्ट किया गया है कि घटना के बाद इलाके में सुरक्षा बढ़ाई गई है या नहीं।

श्रद्धालु अब डरे हुए हैं…

इस घटना के बाद श्रद्धालुओं में भय का माहौल है। त्रिनेत्र गणेश मंदिर जाने वाले रास्ते पर बाघ की मौजूदगी से लोगों का मंदिर आना भी प्रभावित हो सकता है। कई स्थानीय लोगों का कहना है कि वन विभाग को इस मार्ग पर विशेष निगरानी रखनी चाहिए, और जब तक बाघों की आवाजाही पर पूरी तरह नियंत्रण न हो, तब तक श्रद्धालुओं की आवाजाही पर सशर्त रोक लगाई जानी चाहिए।

जंगल का राजा आज फिर सड़कों पर था, और इंसान सिर्फ मूकदर्शक बनकर अपनी किस्मत को कोसता रहा... क्या अगली बार भी बाघ सिर्फ टहलेगा, या कोई और शिकार करेगा?

रणथंभौर इस सवाल से आज फिर गूंज रहा है।

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