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राजस्थान: 3 साल से धूल खा रही छात्राओं की स्कूटियां, अब कबाड़ बनीं तो बंटने की आई बारी

राजस्थान की बहुचर्चित कालीबाई भील मेधावी छात्रा स्कूटी योजना के तहत छात्राओं को दी जाने वाली स्कूटियां अब खुद मदद की मोहताज हो चुकी हैं। पाली के बांगड़ कॉलेज में 2022 में आई 160 स्कूटियों में से 113 अब तक वितरण का इंतजार करती-करती कमरे में खड़ी-खड़ी कबाड़ जैसी स्थिति में पहुंच चुकी हैं।

Sachin Sharma लाइव हिन्दुस्तानFri, 27 June 2025 01:07 PM
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राजस्थान: 3 साल से धूल खा रही छात्राओं की स्कूटियां, अब कबाड़ बनीं तो बंटने की आई बारी

राजस्थान की बहुचर्चित कालीबाई भील मेधावी छात्रा स्कूटी योजना के तहत छात्राओं को दी जाने वाली स्कूटियां अब खुद "मदद" की मोहताज हो चुकी हैं। पाली के बांगड़ कॉलेज में 2022 में आई 160 स्कूटियों में से 113 अब तक वितरण का इंतजार करती-करती कमरे में खड़ी-खड़ी कबाड़ जैसी स्थिति में पहुंच चुकी हैं। तीन सालों से धूल खा रही इन स्कूटियों की बैटरियां खराब हो चुकी हैं और इंश्योरेंस भी खत्म हो गया है।

21 जून को आया आदेश, अब औपचारिकता बाकी

कॉलेज शिक्षा आयुक्तालय से 21 जून को 113 स्कूटियों के वितरण का आदेश आखिरकार मिल गया है। इनका वितरण अब श्यामा प्रसाद मुखर्जी पखवाड़ा के दौरान किया जाएगा। यानी, स्कूटियां मिलने की उम्मीद से उत्साहित छात्राएं अब सिर्फ सरकारी औपचारिकताएं पूरी होने का इंतजार कर रही हैं।

"स्कूटियां सुरक्षित हैं", प्रिंसिपल का दावा

हालांकि बांगड़ कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. महेंद्र सिंह राजपुरोहित स्कूटियों की कबाड़ स्थिति से इनकार करते हैं। उनका कहना है, “सभी स्कूटियां सुरक्षित हैं। 2022 में 160 स्कूटी आई थी, जिनमें से 47 का वितरण हो चुका है और बाकी 113 के लिए अब आदेश मिल गए हैं।”

प्रिंसिपल ने यह भी स्पष्ट किया कि, “डीलर को जब तक पेमेंट नहीं होगा, तब तक वह वितरण नहीं करेगा। इंश्योरेंस का नवीनीकरण भी जल्द किया जाएगा।”

छात्राओं का दर्द: “स्कूटी का इंतजार करते-करते अब तो पढ़ाई भी पूरी हो गई”

इन स्कूटियों को लेकर छात्राएं अब खुलकर नाराजगी जाहिर कर रही हैं। एक दिन पहले ही छात्राओं ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर मुख्यमंत्री से न्याय की गुहार लगाई है। कॉलेज की छात्रा हर्षिता त्रिवेदी ने कहा, “मेरा सिलेक्शन 2022-23 में हुआ था। तब से आज तक स्कूटी नहीं मिली। ना कोई जानकारी दी गई, ना कोई प्रक्रिया हुई। अब सुन रहे हैं कि स्कूटियों की बैटरी खराब हो गई है।”

सरकार की मंशा या सिस्टम की सुस्ती?

यह मामला न केवल सरकारी योजनाओं की लापरवाही को उजागर करता है बल्कि यह भी सवाल खड़े करता है कि जरूरतमंदों को लाभ देने की योजनाएं आखिर सिस्टम की सुस्ती की बलि क्यों चढ़ती हैं? अगर समय पर इन स्कूटियों का वितरण हुआ होता तो छात्राएं न केवल इनका उपयोग कर पातीं, बल्कि योजना का उद्देश्य भी पूरा होता।

2024 में हुआ 241 स्कूटियों का वितरण

राजपुरोहित के अनुसार, 2024 में कॉलेज की तरफ से 241 स्कूटियों का वितरण किया जा चुका है। इस आधार पर बांगड़ कॉलेज राज्य में स्कूटी वितरण में दूसरा स्थान प्राप्त कर चुका है। लेकिन सवाल उठता है कि जो स्कूटियां 2022 में ही आ चुकी थीं, उनका वितरण अब तक क्यों नहीं हुआ?

'सपनों' की सवारी बनी सरकारी ‘धूल’

सरकार की योजनाएं तभी सार्थक होती हैं जब उनका लाभ समय पर जरूरतमंदों तक पहुंचे। पाली की इन स्कूटियों की कहानी सरकारी सुस्ती, टालमटोल और लापरवाही का प्रतीक बन चुकी है। छात्राएं अब सिर्फ स्कूटी नहीं, बल्कि अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रही हैं — ताकि भविष्य में कोई और छात्रा सिस्टम की धूल फांकती स्कूटी की सवारी ना बने।

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