अब लॉरेंस गैंग के भीतर ही गैंगवॉर की आहट!: श्रीगंगानगर फायरिंग के बाद NIA और राज्यों की एजेंसियां अलर्ट
श्रीगंगानगर की सड़कों पर हुई गोलियों की तड़तड़ाहट अब देश की सबसे खतरनाक गैंग के भीतर बगावत की दस्तक बन चुकी है। 17 जून को हुए रियल एस्टेट कारोबारी आशीष गुप्ता पर फायरिंग के बाद सोशल मीडिया पर एक के बाद एक दो पोस्ट सामने आईं, जिन्होंने सुरक्षा एजेंसियों तक को हिला कर रख दिया।

श्रीगंगानगर की सड़कों पर हुई गोलियों की तड़तड़ाहट अब देश की सबसे खतरनाक गैंग के भीतर बगावत की दस्तक बन चुकी है। 17 जून को हुए रियल एस्टेट कारोबारी आशीष गुप्ता पर फायरिंग के बाद सोशल मीडिया पर एक के बाद एक दो पोस्ट सामने आईं, जिन्होंने सुरक्षा एजेंसियों तक को हिला कर रख दिया। ये पोस्ट न केवल गैंग के भीतर गुटबाजी का संकेत देती हैं, बल्कि आने वाले दिनों में उत्तर भारत में बड़े गैंगवॉर का अलर्ट भी हैं।
पहली पोस्ट आई लॉरेंस बिश्नोई के भाई अनमोल बिश्नोई के नाम से—जिसमें उसने फायरिंग की जिम्मेदारी लेते हुए लिखा, "लास्ट वॉर्निंग दी है, सुधर जा, नहीं तो अगली बार सीने में गोली मारेंगे।" लेकिन कुछ ही घंटे बाद सामने आई गोल्डी बराड़ की पोस्ट ने सबको चौंका दिया। गोल्डी ने दावा किया कि फायरिंग उसका काम था और अनमोल को ये तक नहीं पता कि गोली चलाई किसने।
यहीं से खुल गया गैंग के दो फाड़ होने का राज। लॉरेंस बिश्नोई का सिंडिकेट अब दो हिस्सों में बंटता नजर आ रहा है—एक धड़ा अनमोल के साथ, तो दूसरा गोल्डी बराड़, रोहित गोदारा और वीरेंद्र चारण के साथ।
एनआईए और केंद्रीय एजेंसियां अलर्ट मोड पर
इन पोस्ट्स के बाद राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली सहित कई राज्यों की सुरक्षा एजेंसियों में खलबली मच गई है। एनआईए से लेकर राज्य क्राइम ब्रांच तक सभी अलर्ट मोड में हैं। सभी प्रमुख बदमाशों की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है और ये जानकारी जुटाई जा रही है कि गैंग के भीतर की ये दरार हकीकत है या एक सोची-समझी चाल?
राजस्थान पुलिस के एडीजी क्राइम ने कहा कि लॉरेंस से जुड़े सभी बदमाशों पर एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स (AGTF) की टीमें लगातार नजर रख रही हैं। उन्होंने खुलासा किया कि हाल ही में दुबई से एक डब्बा कॉलिंग करने वाले बदमाश को भी गिरफ्तार किया गया है, जो इसी गैंग से जुड़ा था।
लॉरेंस का सिंडिकेट: जेल से इंटरनेशनल ऑपरेशन
साबरमती जेल में बंद लॉरेंस बिश्नोई भले ही सलाखों के पीछे है, लेकिन उसका सिंडिकेट अब भी भारत में एक्टिव है। लॉरेंस ने भारत के छह राज्यों—राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र—में अपने गैंग के नेटवर्क फैला दिए थे।
इस गैंग के पास भारत में सबसे ज्यादा ऑटोमैटिक हथियार हैं, जो पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार के रास्ते भारत में पहुंचाए जाते हैं। सिंडिकेट को दो लेयर में बांटा गया था—फर्स्ट लेयर में विदेश में बैठे अनमोल, गोल्डी और सचिन शामिल थे, जबकि सेकंड लेयर में रोहित गोदारा, वीरेंद्र चारण जैसे बदमाश थे, जो ग्राउंड पर टारगेट तय कर वारदात को अंजाम देते थे।
गैंग का इतिहास: धमकी से हत्या तक
लॉरेंस और गोल्डी का नाम पहले भी कई हाई-प्रोफाइल मामलों में आ चुका है। सलमान खान को दी गई धमकी से लेकर सिद्धू मूसेवाला की हत्या, जी-क्लब फायरिंग, राजू ठेहट और सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या से लेकर महाराष्ट्र के नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या तक इस गैंग का सीधा हाथ रहा है।
अब जब गैंग के सबसे खतरनाक किरदार आपस में ही टकरा रहे हैं, तो सवाल उठता है—क्या उत्तर भारत एक बार फिर गैंगवॉर की आग में झुलसेगा? या ये केवल गैंगस्टरों की रणनीति है सुरक्षा एजेंसियों को गुमराह करने की?
निगाहें अब श्रीगंगानगर से दिल्ली तक
गैंग की सोशल मीडिया पर खुलेआम हो रही वॉर ने पुलिस और इंटेलिजेंस एजेंसियों को नया सिरदर्द दे दिया है। सवाल ये भी है कि क्या लॉरेंस का कंट्रोल अब कमजोर पड़ गया है? क्या गोल्डी बराड़ ने लॉरेंस की छाया से बाहर निकलकर खुद का गैंग बना लिया है?
जो भी हो, फिलहाल एक बात तय है—उत्तर भारत में एक बड़े गैंगवॉर का खतरा मंडरा रहा है। और ये फायरिंग केवल एक शुरुआत है। सुरक्षा एजेंसियों की निगाहें अब हर कदम पर हैं... क्योंकि अगली गोली सिर्फ सोशल मीडिया पर नहीं, सड़कों पर भी चल सकती है।
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