तीन साल से नंगे पैर बेटा, कन्हैयालाल की अस्थियां भी नहीं विसर्जित कीं… फांसी तक नहीं टूटेंगे यश के तीन प्रण
उदयपुर के चर्चित कन्हैयालाल हत्याकांड की तीसरी बरसी पर एक बार फिर पूरा प्रदेश उस दिन को याद कर सिहर उठा, जब 28 जून 2022 को दिनदहाड़े दुकान के भीतर कन्हैयालाल तेली की गला रेतकर हत्या कर दी गई थी।

उदयपुर के चर्चित कन्हैयालाल हत्याकांड की तीसरी बरसी पर एक बार फिर पूरा प्रदेश उस दिन को याद कर सिहर उठा, जब 28 जून 2022 को दिनदहाड़े दुकान के भीतर कन्हैयालाल तेली की गला रेतकर हत्या कर दी गई थी। लेकिन उस हृदय विदारक वारदात के तीन साल बाद भी न तो हत्यारों को फांसी मिली है और न ही पीड़ित परिवार को न्याय की उम्मीदों का कोई ठोस सिरा।
मगर सबसे ज्यादा ध्यान खींच रहा है—यश तेली। कन्हैयालाल के बड़े बेटे। उम्र भले कम हो, लेकिन इरादे पत्थर जैसे। तीन साल पहले उन्होंने तीन प्रण लिए थे—पिता की अस्थियों का विसर्जन नहीं करेंगे, नंगे पैर रहेंगे और बाल नहीं कटवाएंगे। आज भी वे उसी स्थिति में हैं। नंगे पैर चलते हैं, लंबे बालों के साथ पिता की तस्वीर और न्याय की उम्मीद लिए हर मंच पर जा रहे हैं।
यश कहते हैं, “जब तक हत्यारों को फांसी नहीं मिल जाती, तब तक मेरा प्रण टूटेगा नहीं।"
न्याय की राह पर सवाल
तीन साल गुजर गए लेकिन केस को अभी तक फास्ट ट्रैक कोर्ट में नहीं भेजा गया है। यश का आरोप है कि 6 माह से कोर्ट में कोई पेशी ही नहीं हुई। हर महीने एक नई डेट मिल जाती है लेकिन कोई ठोस सुनवाई नहीं होती। इस मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के पास है। अब तक 11 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर हो चुकी है। मगर दो आरोपी—फरहाद उर्फ बबला और मोहम्मद जावेद—को जमानत मिल चुकी है।
फरहाद पर केवल आर्म्स एक्ट का मामला था, जिसमें कोई हथियार बरामद नहीं हुआ। वहीं जावेद को एनआईए उनके खिलाफ ठोस सबूत नहीं दे पाई। यश ने जावेद की जमानत को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
दो आरोपी अबू इब्राहिम और सलमान पाकिस्तान के कराची के बताए जा रहे हैं और अभी तक फरार हैं।
'उदयपुर फाइल्स' से उठेगा फिर तूफान?
कन्हैयालाल हत्याकांड पर आधारित फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ 11 जुलाई को रिलीज हो रही है। यश और उनका परिवार इस फिल्म के प्रमोशन में जुटा है। जयपुर, जोधपुर, कोटा, दिल्ली और नोएडा सहित कई शहरों में वो जनता से एक ही अपील कर रहे हैं—“फिल्म देखिए, सच्चाई जानिए और न्याय के लिए आवाज़ उठाइए।”
इस मूवी के जरिए यश उम्मीद कर रहे हैं कि लोग फिर से इस हत्याकांड को याद करें, सच्चाई के पीछे छिपे जख्मों को महसूस करें और सिस्टम पर सवाल उठाएं कि आखिर तीन साल बाद भी दोषियों को फांसी क्यों नहीं मिली?
नेताओं के वादे हवा हो गए
घटना के बाद कई नेताओं ने वादे किए थे कि 6 से 7 महीने में केस पूरा होगा और दोषियों को सजा मिलेगी। मगर कब 6 महीने तीन साल में बदल गए, परिवार को पता ही नहीं चला। यश कहते हैं, “अगर पिता के हत्यारों को फांसी नहीं होगी, तो उनकी आत्मा को शांति नहीं मिलेगी।”
अब सवाल ये है—क्या ‘उदयपुर फाइल्स’ के जरिए वो गूंज बनेगी जो अदालत की दीवारों को हिला सके? या फिर यश के तीन प्रण और ज्यादा सालों तक उनके शरीर और आत्मा को तपाते रहेंगे?
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