देशभर में टैक्स सिस्टम को झटका: जोधपुर गैंग ने बनाई 240 फर्म, उड़ाए 524 करोड़
जीएसटी इनपुट और इनपुट पास ऑन के नाम पर देशभर में फैली टैक्स चोरी की एक ऐसी साजिश का खुलासा हुआ है, जिसने सिस्टम की जड़ों को झकझोर कर रख दिया है।

जीएसटी इनपुट और इनपुट पास ऑन के नाम पर देशभर में फैली टैक्स चोरी की एक ऐसी साजिश का खुलासा हुआ है, जिसने सिस्टम की जड़ों को झकझोर कर रख दिया है। जांच में सामने आया कि जोधपुर के ई-मित्र संचालक प्रवीण पंवार और उसके साथी सद्दाम हुसैन ने देश के 22 राज्यों में फर्जी फर्म बनाकर 524 करोड़ रुपए की जीएसटी चोरी को अंजाम दिया। पुलिस और सेंट्रल जीएसटी विभाग की संयुक्त कार्रवाई में अब तक सात आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है और कई कड़ियां अब भी खुलनी बाकी हैं।
244 में से 152 फर्मों का रजिस्ट्रेशन पहले ही रद्द
जांच में सामने आया कि कुल 244 फर्जी फर्में बनाई गईं, जिनमें से 152 का जीएसटी रजिस्ट्रेशन अलग-अलग राज्यों में पहले ही रद्द हो चुका था। 44 फर्मों की पहचान ईमेल, पैन और मोबाइल के आधार पर हुई, जबकि बाकी 196 फर्मों को अन्य तकनीकी डेटा से ट्रैक किया गया। चौंकाने वाली बात यह रही कि जोधपुर में रजिस्टर्ड 8 फर्म अपने पते पर अस्तित्व में ही नहीं पाई गईं।
30 हजार के लालच में बना दी फर्जी दुनिया
मुख्य आरोपी प्रवीण पंवार और सद्दाम हुसैन बीस से तीस हजार रुपए के बदले फर्जी दस्तावेज तैयार करते थे। ये दस्तावेज आगे उन लोगों को दिए जाते थे, जो फर्जी जीएसटी फर्म बनाकर करोड़ों की टैक्स चोरी करते थे। आरोपियों के पास नकली मोहरें थीं, जिनसे वे पैन कार्ड तैयार करते, बैंक खाते खुलवाते और ई-बिल बनाते थे।
22 राज्यों में नेटवर्क, हवाला और कैसीनो तक लिंक
पूछताछ में सामने आया कि इस नेटवर्क ने आंध्र प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, गोवा, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक सहित 22 राज्यों में फर्जी फर्म बनाकर जीएसटी इनपुट क्लेम और पास ऑन का खेल खेला। इन फर्मों के जरिए हवाला लेनदेन, कैसीनो में पैसा भेजना और इनवॉयस के जरिए जीएसटी रिफंड लेना जैसी गतिविधियां होती थीं।
फर्जीवाड़े की तकनीकी कड़ी: आधार से लेकर उद्यम पोर्टल तक
पूरे घोटाले की शुरुआत फर्जी आधार कार्ड से होती थी। सद्दाम किसी व्यक्ति को पकड़कर उसका असली आधार लेता। प्रवीण पंवार उस आधार कार्ड का एड्रेस फर्जी दस्तावेजों से अपडेट करता। पांच दिन में आधार किसी और राज्य का हो जाता। इसके बाद व्यक्ति को बस में बिठाकर उस राज्य में भेजा जाता, जहां गैंग के अन्य सदस्य पहले से मौजूद रहते।
फर्जी सिम और बैंक अकाउंट खुलवाने के बाद दुकान किराए पर देने के नाम पर रेंट एग्रीमेंट बनता। उद्यम पोर्टल से रजिस्ट्रेशन होता और फिर जीएसटी नंबर मिलता। इसके बाद करंट अकाउंट खुलवाकर ट्रांजैक्शन शुरू कर दी जाती। फर्जी इनवॉयस बनती और इनपुट टैक्स क्रेडिट लिया जाता।
कड़ी दर कड़ी खुल रही है साजिश
देवनगर पुलिस ने 13 जून को मसूरिया क्षेत्र से प्रवीण और सद्दाम को पकड़ा। 9 दिन की रिमांड में पूछताछ के दौरान और भी नाम सामने आए। किशन सिंह, रणवीर सिंह, गजेंद्र सिंह, चेलाराम और अमित भाटी को भी पकड़ा गया। पूछताछ में पता चला कि अमित फर्जी सील तैयार करता था और दस्तावेजों को वैध बनाने का काम करता था।
पुलिस बोली– सिस्टम का फायदा उठाया गया
डीएसटी (पश्चिम) के कॉन्स्टेबल दलाराम ने बताया कि फर्जी आधार कार्ड की सूचना पर कार्रवाई शुरू हुई। एक मुखबिर ने उन्हें असली और फर्जी आधार कार्ड दिए, जिसके बाद पूरी जांच की परतें खुलती गईं। आरोपी सरकारी सिस्टम की खामियों का फायदा उठाकर देशभर में टैक्स चोरी का नेटवर्क चला रहे थे।
जांच अभी जारी, और भी नाम आ सकते हैं सामने
पुलिस अब भी गैंग से जुड़े कई और सदस्यों की तलाश कर रही है। मोबाइल डेटा और डिजिटल दस्तावेजों की जांच की जा रही है। आशंका है कि टैक्स चोरी की राशि और भी अधिक हो सकती है। इस पूरे मामले में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर जिस शातिर तरीके से फर्जीवाड़ा किया गया, वह देशभर की एजेंसियों के लिए अलर्ट है।
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