झुंझुनूं को अफसर विहीन कर दिया, कांग्रेस ने पूछा– ये कैसा प्रशासन?
राजस्थान सरकार के एक हालिया फैसले ने प्रदेश के सबसे शिक्षित जिलों में गिने जाने वाले झुंझुनूं को प्रशासनिक संकट के ऐसे मोड़ पर ला खड़ा किया है, जिसकी मिसाल हाल के वर्षों में देखने को नहीं मिली।

राजस्थान सरकार के एक हालिया फैसले ने प्रदेश के सबसे शिक्षित जिलों में गिने जाने वाले झुंझुनूं को प्रशासनिक संकट के ऐसे मोड़ पर ला खड़ा किया है, जिसकी मिसाल हाल के वर्षों में देखने को नहीं मिली। जिले की बागडोर फिलहाल बिना कलेक्टर और बिना एसपी के अधूरी सी नजर आ रही है। रविवार देर रात हुए आईएएस अधिकारियों के बड़े फेरबदल में झुंझुनूं कलेक्टर रामावतार मीणा का तबादला कर दिया गया, लेकिन हैरत की बात यह है कि उनकी जगह किसी नए अधिकारी की नियुक्ति नहीं की गई।
इसी के साथ अब जिले में न तो नियमित कलेक्टर है और न ही एसपी। पुलिस अधीक्षक की कुर्सी तो पहले से ही बीते 40 दिनों से खाली पड़ी है। कार्यवाहक व्यवस्था से ही जिले का संचालन हो रहा है, जिससे प्रशासनिक फैसलों में ठहराव और असमंजस की स्थिति बन गई है।
कांग्रेस ने उठाए सवाल, कहा- पर्ची से चल रही सरकार
इस पूरे घटनाक्रम पर कांग्रेस ने सरकार को घेरते हुए तीखा हमला बोला है। कांग्रेस के कार्यकारी जिलाध्यक्ष खलील बुडाना ने कहा, “राज्य के सबसे शिक्षित जिले के साथ भाजपा सरकार का सौतेला व्यवहार अब साफ दिखने लगा है। पहले पर्ची आई और एसपी को हटाया गया, अब दूसरी पर्ची में कलेक्टर को भी हटा दिया गया, वो भी बिना किसी नियुक्ति के। भाजपा सरकार ने झुंझुनूं को मानो प्रयोगशाला बना दिया है।”
खलील बुडाना ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार 'पर्ची ऐप' और बिना समुचित प्रक्रिया के अधिकारियों को तैनात कर रही है, जिससे विभागीय असमंजस और भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है।
तबादला सूची में भी बड़ी चूक, एक ही पद पर दो नियुक्तियां
सरकार की ट्रांसफर लिस्ट में एक चौंकाने वाली गलती भी सामने आई है। कलेक्टर रामावतार मीणा को 'निदेशक, विभागीय जांच' के पद पर पोस्ट किया गया है। लेकिन उसी सूची में आईएएस हनुमानमल ढाका का भी नाम उसी पद के लिए दिया गया है। यानि एक ही पद पर दो अफसरों की नियुक्ति कर दी गई है। यह गलती अब पूरे प्रशासनिक हलकों में चर्चा का विषय बन चुकी है।
सूत्रों के अनुसार, संभावना जताई जा रही है कि यह एक तकनीकी चूक हो सकती है और मीणा का तबादला रद्द भी किया जा सकता है, खासकर तब जब वे 31 अगस्त को सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं। ऐसे में उन्हें नई जिम्मेदारी सौंपना न केवल अजीब है, बल्कि गैर-प्रभावी भी।
एसपी की तैनाती पर भी गहराया संशय
झुंझुनूं में एसपी की कुर्सी भी पिछले डेढ़ महीने से खाली है। 13 मई को तत्कालीन एसपी शरद चौधरी को एपीओ किया गया। इसके बाद 20 मई को लोकेश सोनवाल को नया एसपी नियुक्त किया गया, लेकिन उन्हें मौखिक आदेश देकर जॉइन करने से रोक दिया गया। तब से अब तक देवेन्द्रसिंह राजावत कार्यवाहक के तौर पर जिले की पुलिस की कमान संभाले हुए हैं।
प्रशासनिक ठहराव से जनता परेशान
जिले में दोनों शीर्ष पद खाली होने से जनहित के कार्यों में देरी, फाइलों की मंजूरी में अड़चनें और पुलिस प्रशासन में निर्णयों की धीमी प्रक्रिया जैसी समस्याएं देखने को मिल रही हैं। आम जनता और अधिकारी दोनों ही असमंजस में हैं कि जिले की बागडोर अब किसके हाथों में होगी।
सरकार ने ली सुध
कांग्रेस पार्टी के सवाल उठाने के बाद सरकार एक्शन मोड में आई और झुंझुनू के कलेक्टर पद पर डॉक्टर अरुण गर्ग को लगाया है कार्मिक वभाग ने आदेश जारी किए हैं।
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