हनुमान बेनीवाल समेत 5 नेताओं को नोटिस, प्रदर्शन पर पुलिस की सख्त चेतावनी
जयपुर में रेजिडेंट डॉक्टर राकेश बिश्नोई की संदिग्ध मौत के मामले को लेकर विरोध-प्रदर्शन का दौर थम नहीं रहा है। इस बीच शुक्रवार को राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के सांसद हनुमान बेनीवाल ने मुख्यमंत्री निवास का घेराव करने का ऐलान किया, जिसके बाद पुलिस-प्रशासन अलर्ट मोड पर आ गया।

जयपुर में रेजिडेंट डॉक्टर राकेश बिश्नोई की संदिग्ध मौत के मामले को लेकर विरोध-प्रदर्शन का दौर थम नहीं रहा है। इस बीच शुक्रवार को राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के सांसद हनुमान बेनीवाल ने मुख्यमंत्री निवास का घेराव करने का ऐलान किया, जिसके बाद पुलिस-प्रशासन अलर्ट मोड पर आ गया। हालात बिगड़ने से पहले ही पुलिस ने बेनीवाल सहित पांच नेताओं को नोटिस जारी कर सख्त चेतावनी दी है।
यह नोटिस जयपुर के एसएमएस थाना प्रभारी की ओर से भेजा गया है। जिन लोगों को नोटिस थमाया गया है, उनमें आरएलपी प्रमुख और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल, आरएलपी विधायक अभिमन्यु पुनिया, कांग्रेस के पूर्व लोकसभा प्रत्याशी अनिल चौपड़ा, आरएलपी कार्यकर्ता श्रवण चौधरी और छात्र नेता निर्मल चौधरी शामिल हैं।
पुलिस का आरोप है कि रेजिडेंट डॉक्टर राकेश बिश्नोई की मौत के विरोध में एसएमएस अस्पताल की मोर्चरी के बाहर बिना किसी अनुमति के टेंट लगाया गया और बार-बार समझाने के बावजूद बड़ी संख्या में लोगों को इकट्ठा किया गया। नोटिस में कहा गया है कि इस अव्यवस्थित प्रदर्शन के कारण एसएमएस जैसे राज्य के सबसे बड़े अस्पताल के सामान्य संचालन में बाधा उत्पन्न हो रही है।
पुलिस ने इस इलाके की संवेदनशीलता का हवाला देते हुए कहा है कि जिस स्थान पर प्रदर्शन किया जा रहा है, वह गंभीर रोगियों और एम्बुलेंस के आवागमन का मुख्य मार्ग है। इसके अलावा, शवों को मोर्चरी तक पहुंचाने का भी यही एकमात्र रास्ता है। ऐसे में इस रास्ते को अवरुद्ध करना मरीजों की जान पर भारी पड़ सकता है। पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि प्रदर्शन के दौरान किसी मरीज को नुकसान पहुंचा तो इसकी जिम्मेदारी प्रदर्शनकारियों की होगी।
नोटिस में तेज आवाज में की जा रही नारेबाजी पर भी आपत्ति जताई गई है। पुलिस के मुताबिक, अस्पताल में हार्ट पेशेंट, बुजुर्ग और गंभीर रोगों से जूझ रहे मरीज भर्ती हैं, जिनकी स्थिति शोरगुल और तनाव के कारण बिगड़ सकती है।
प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों को स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि आगे से बिना अनुमति कोई धरना, प्रदर्शन या सभा न की जाए। साथ ही, कानून व्यवस्था भंग करने की कोशिश पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।
गौरतलब है कि डॉक्टर राकेश बिश्नोई की मौत के पीछे सीनियर डॉक्टरों द्वारा किए गए कथित मानसिक उत्पीड़न के आरोप लगते रहे हैं। इस मामले ने पूरे चिकित्सा महकमे और राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। अब देखना होगा कि बेनीवाल के नेतृत्व में प्रस्तावित घेराव को लेकर प्रशासन और आंदोलनकारियों के बीच टकराव की स्थिति बनती है या नहीं।
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