गहलोत की दो टूक: NET और फर्स्ट ग्रेड की टकराती तारीखें बदले RPSC

राजस्थान में एक बार फिर परीक्षा तिथियों के टकराव ने राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है। RPSC द्वारा आयोजित की जा रही फर्स्ट ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा और UGC-NET परीक्षा की तारीखें एक-दूसरे से टकरा रही हैं, जिससे लाखों परीक्षार्थी संकट में हैं।

Sachin Sharma लाइव हिन्दुस्तानThu, 19 June 2025 07:23 PM
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गहलोत की दो टूक: NET और फर्स्ट ग्रेड की टकराती तारीखें बदले RPSC

राजस्थान में एक बार फिर परीक्षा तिथियों के टकराव ने राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है। RPSC द्वारा आयोजित की जा रही फर्स्ट ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा और UGC-NET परीक्षा की तारीखें एक-दूसरे से टकरा रही हैं, जिससे लाखों परीक्षार्थी संकट में हैं। अब इस मुद्दे पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की एंट्री ने इसे पूरी तरह राजनीतिक रंग दे दिया है।

क्या है पूरा मामला?

RPSC फर्स्ट ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा 23 जून से 4 जुलाई 2025 के बीच होनी है। वहीं, UGC-NET की राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा 25 जून से 30 जून तक चलेगी। लाखों युवा ऐसे हैं जो दोनों परीक्षाओं में भाग लेना चाहते हैं। लेकिन तारीखों की टक्कर ने उनकी तैयारियों पर पानी फेर दिया है।

RPSC की ओर से परीक्षा शहर की जानकारी 16 जून को जारी कर दी गई है, जबकि एडमिट कार्ड 20 जून को उपलब्ध कराए जाएंगे। छात्रों को अब तय करना है कि वे NET जैसी प्रतिष्ठित राष्ट्रीय परीक्षा में बैठें या राजस्थान की शिक्षक भर्ती परीक्षा को प्राथमिकता दें।

गहलोत का तीखा बयान: सरकार युवाओं से छल कर रही

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस मसले को लेकर प्रदेश सरकार और RPSC पर सीधा निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जब हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में इस तरह की स्थिति बनी थी, तो वहां की सरकारों और लोक सेवा आयोगों ने छात्रों की सुविधा को प्राथमिकता देते हुए परीक्षा तिथियों में बदलाव किया था। फिर राजस्थान ऐसा क्यों नहीं कर सकता?

गहलोत ने कहा, “ये केवल तिथि का मामला नहीं, ये लाखों बेरोजगार युवाओं के भविष्य का सवाल है। राजस्थान सरकार और RPSC को इस पर संवेदनशीलता दिखानी चाहिए।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि एकजुट और गंभीर तैयारी करने वाले युवाओं को दो में से एक परीक्षा छोड़ने पर मजबूर करना अन्याय है।

राजनीतिक मायने क्या हैं?

गहलोत का यह बयान केवल छात्रों की चिंता तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका सीधा निशाना वर्तमान भाजपा सरकार की नीतियों और संवेदनहीनता पर है। विपक्ष इसे युवाओं के मुद्दे को भुनाने का सुनहरा मौका मान रहा है। बेरोजगारी पहले ही राज्य की प्रमुख चुनावी चिंता रही है, और अब जब सरकार छात्रों की सुविधा की अनदेखी कर रही है, तो कांग्रेस इसे मुद्दा बनाकर सरकार को घेरने की पूरी तैयारी में है।

विशेषज्ञों का मानना है कि युवाओं के मुद्दों पर यह टकराव भाजपा के लिए आगामी निकाय और पंचायत चुनावों में नुकसानदायक हो सकता है।

क्या करेगा RPSC?

अब सबकी निगाहें RPSC और राज्य सरकार पर टिकी हैं कि वे गहलोत के सुझाव को मानते हैं या नहीं। हालांकि अब तक RPSC की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन दबाव तेजी से बढ़ रहा है।

राजनीति में युवाओं की भूमिका और उनका समर्थन निर्णायक होता है। ऐसे में अगर सरकार परीक्षा तिथियों को लेकर लचीलापन नहीं दिखाती, तो विपक्ष इसे बड़ा जनमुद्दा बनाकर सरकार की घेराबंदी कर सकता है।

यह सिर्फ परीक्षा की तारीखों की बात नहीं है, यह आने वाले चुनावों में युवाओं की नब्ज़ पकड़ने का मौका है। गहलोत ने गेंद सरकार के पाले में फेंक दी है — अब देखना है कि सरकार उसे खेलती है या आउट होती है।

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