गहलोत-पायलट मुलाकात से बदलेगा कांग्रेस का सियासी नरेटिव, राजेश पायलट की पुण्यतिथि बनी कड़ी
राजस्थान की राजनीति में लंबे समय से चली आ रही अशोक गहलोत और सचिन पायलट की खींचतान शनिवार को एक अहम पड़ाव पर पहुंची।

राजस्थान की राजनीति में लंबे समय से चली आ रही अशोक गहलोत और सचिन पायलट की खींचतान शनिवार को एक अहम पड़ाव पर पहुंची। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से उनके सरकारी निवास पर मुलाकात कर उन्हें अपने पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. राजेश पायलट की 25वीं पुण्यतिथि के कार्यक्रम का आमंत्रण दिया। यह मुलाकात सिर्फ औपचारिक नहीं, बल्कि कांग्रेस के भीतर सियासी समीकरणों और नरेटिव को नए सिरे से गढ़ने वाली मानी जा रही है।
विपक्ष में आने के बाद यह पहली बार है जब पायलट ने गहलोत से उनके घर जाकर मुलाकात की। यह वही गहलोत हैं, जिनसे 2020 के सियासी संकट के बाद से पायलट की दूरी लगातार बढ़ती रही। आरोप-प्रत्यारोप, नाराजगी और परोक्ष हमलों के दौर के बीच यह मुलाकात पार्टी के लिए बड़ा संकेत है।
अशोक गहलोत ने इस मुलाकात की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर साझा करते हुए लिखा, “एआईसीसी महासचिव सचिन पायलट मेरे निवास पर स्व. राजेश पायलट की 25वीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम के लिए निमंत्रण देने आए। मैं और राजेश पायलट जी 1980 में एक साथ लोकसभा पहुंचे थे और 18 वर्षों तक साथ में काम किया। उनके आकस्मिक निधन से पार्टी को गहरा आघात लगा था।”
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यह मुलाकात कांग्रेस के भीतर जारी खेमेबंदी और अंतर्कलह के दौर में एक ‘पॉजिटिव टर्न’ की शुरुआत हो सकती है। खासतौर से तब, जब पार्टी राजस्थान में हाल ही में सत्ता गंवा चुकी है और संगठन को जमीनी स्तर पर फिर से मजबूत करने की जरूरत है। गहलोत और पायलट की जमीनी पकड़ को अगर एक मंच पर लाया जाता है तो कांग्रेस राज्य में एक बार फिर मजबूती से वापसी की ओर बढ़ सकती है।
सूत्रों के अनुसार, गहलोत और पायलट के बीच बंद कमरे में हुई बातचीत लंबी चली और उसमें सिर्फ आमंत्रण की बात नहीं हुई, बल्कि कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी चर्चा हुई। इससे संकेत मिलते हैं कि आने वाले समय में दोनों नेता एक साथ मंच साझा कर सकते हैं। इससे पहले पायलट जब प्रदेशाध्यक्ष थे, तब उन्होंने डिनर डिप्लोमेसी के जरिए वरिष्ठ नेताओं को जोड़ने की सफल कोशिश की थी। अब एक बार फिर वही शैली कांग्रेस में समन्वय का जरिया बन सकती है।
11 जून को स्व. राजेश पायलट की पुण्यतिथि के मौके पर आयोजित कार्यक्रम पर अब सभी की निगाहें टिक गई हैं। अगर गहलोत इस कार्यक्रम में शामिल होते हैं तो यह दोनों गुटों के समर्थकों को एक मंच पर लाने का रास्ता खोल सकता है। साथ ही यह कांग्रेस के पर्सेप्शन की उस जंग में राहत देगा, जहां उसे भाजपा लगातार गहलोत-पायलट खेमेबाजी को मुद्दा बनाकर घेरती रही है।
यह मुलाकात कांग्रेस में जमी बर्फ को पिघलाने का प्रयास है। अगर यह सिलसिला आगे बढ़ता है तो पार्टी संगठन और विपक्ष की भूमिका में कांग्रेस को ताकत मिल सकती है।
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