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डॉ. अरुण गर्ग बने झुंझुनूं के नए कलेक्टर, सरकार ने सुधारी अपनी गलती, जानें कौन हैं ये अफसर

राजस्थान के झुंझुनूं जिले में एक नाटकीय और फिल्मी घटनाक्रम के बाद आखिरकार जिले को नया कलेक्टर मिल गया है। सवा दो महीने बाद रिटायर होने वाले आईएएस रामावतार मीणा को अचानक हटाकर राज्य सरकार ने आईएएस डॉ. अरुण गर्ग को जिला कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट नियुक्त किया है।

Sachin Sharma लाइव हिन्दुस्तानTue, 24 June 2025 02:15 PM
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डॉ. अरुण गर्ग बने झुंझुनूं के नए कलेक्टर, सरकार ने सुधारी अपनी गलती, जानें कौन हैं ये अफसर

राजस्थान के झुंझुनूं जिले में एक नाटकीय और फिल्मी घटनाक्रम के बाद आखिरकार जिले को नया कलेक्टर मिल गया है। सवा दो महीने बाद रिटायर होने वाले आईएएस रामावतार मीणा को अचानक हटाकर राज्य सरकार ने आईएएस डॉ. अरुण गर्ग को जिला कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट नियुक्त किया है। लेकिन इस पूरी नियुक्ति के पीछे की कहानी किसी प्रशासनिक प्रक्रिया से ज्यादा एक स्क्रिप्टेड ड्रामे जैसी लगती है।

दरअसल, रविवार रात को राज्य सरकार द्वारा जारी तबादला सूची में झुंझुनूं को लेकर एक गंभीर लापरवाही हो गई। सरकार ने तो कलेक्टर रामावतार मीणा को उनके पद से हटा दिया, लेकिन भूलवश नए कलेक्टर की नियुक्ति करना ही भूल गई। इस प्रशासनिक चूक से जिले की कानून व्यवस्था और प्रशासनिक व्यवस्था कुछ समय के लिए पूरी तरह शून्य पर पहुंच गई।

सोमवार सुबह जब यह चूक सार्वजनिक हुई, तो हड़कंप मच गया। आनन-फानन में एक सिंगल ऑर्डर जारी कर प्रमोटी आईएएस अधिकारी डॉ. अरुण गर्ग को झुंझुनूं का नया कलेक्टर नियुक्त कर दिया गया। यह आदेश राज्य सरकार का ‘डैमेज कंट्रोल’ माना जा रहा है, जिसे सोशल मीडिया पर लोग ‘इमरजेंसी ऑर्डर’ बता रहे हैं।

पहली बार कलेक्टर की कुर्सी पर बैठेंगे डॉ. अरुण गर्ग

डॉ. अरुण गर्ग का यह पहला मौका होगा, जब वे किसी जिले के फुलफ्लेज कलेक्टर बनाए गए हैं। वे 1996 बैच के आरएएस हैं और वर्ष 2023 में आईएएस प्रमोट हुए। अब तक वे जयपुर में बंदोबस्त कमिश्नर के पद पर कार्यरत थे, जो एक कम-चर्चित और लो-प्रोफाइल जिम्मेदारी मानी जाती है।

डॉ. गर्ग मूल रूप से अजमेर के रहने वाले हैं। उन्होंने पीएचडी सहित बीकॉम ऑनर्स, एबीएसटी और एमकॉम जैसे विषयों में शिक्षा हासिल की है। उनके पास अकादमिक और प्रशासनिक दोनों अनुभव हैं, लेकिन कलेक्टरी उनके करियर में नया अध्याय साबित होगी। माना जा रहा है कि वे मंगलवार को अपना पदभार ग्रहण कर लेंगे।

प्रशासनविहीन रहा झुंझुनूं, सोशल मीडिया पर मचा बवाल

रविवार रात से सोमवार सुबह तक झुंझुनूं राज्य का इकलौता ऐसा जिला बन गया, जहां न कलेक्टर था, न एसपी। गौरतलब है कि जिले में पिछले 40 दिनों से पुलिस अधीक्षक का पद भी खाली है। ऐसे में जब रातोंरात कलेक्टर को हटा दिया गया और नए की नियुक्ति नहीं हुई, तो पूरा जिला कुछ समय के लिए ‘प्रशासनविहीन’ बन गया।

इस घटनाक्रम के बाद सोशल मीडिया पर मीम्स और व्यंग्य की बाढ़ आ गई। लोग लिखने लगे—“झुंझुनूं: जहां न कलेक्टर है, न एसपी, बस भगवान भरोसे।” कांग्रेस के कार्यकारी जिलाध्यक्ष खलील बुडाना ने भी सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार झुंझुनूं को प्रशासनिक प्रयोगशाला बना रही है। हर बार प्रमोटी अधिकारियों को ही यहां भेजा जाता है, जिससे जिले की प्रशासनिक गुणवत्ता पर सवाल उठते हैं।

सरकारी सिस्टम की चूक या नियति का खेल?

यह पूरा घटनाक्रम यह सवाल छोड़ता है कि क्या यह सिर्फ एक लापरवाही थी या फिर सिस्टम की जटिलताओं का नतीजा? हालांकि जो भी हो, इस प्रकरण ने एक बार फिर प्रशासनिक व्यवस्था की गंभीरता और संवेदनशीलता को उजागर कर दिया है।

अब सभी की निगाहें डॉ. अरुण गर्ग पर हैं कि वे अपने पहले जिले में बतौर कलेक्टर कैसे परफॉर्म करते हैं और क्या वे झुंझुनूं की इस ‘गफलत’ भरी नियुक्ति को एक सफल जिम्मेदारी में तब्दील कर पाएंगे।

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