4 हजार में कैसे जिएं? कैसे लड़ें? बेरोजगारों की सरकार से मार्मिक अपील
राजस्थान की युवा पीढ़ी आज बेरोजगारी के बढ़ते संकट से दोहरी मार झेल रही है—रोजगार की तलाश के साथ-साथ मानसिक तनाव का भार। मुख्यमंत्री युवा संबल योजना के तहत मिलने वाला बेरोजगारी भत्ता इस बोझ को कुछ हद तक हल्का करता है,

राजस्थान की युवा पीढ़ी आज बेरोजगारी के बढ़ते संकट से दोहरी मार झेल रही है—रोजगार की तलाश के साथ-साथ मानसिक तनाव का भार। मुख्यमंत्री युवा संबल योजना के तहत मिलने वाला बेरोजगारी भत्ता इस बोझ को कुछ हद तक हल्का करता है, लेकिन सरकार द्वारा कराए गए आधिकारिक मूल्यांकन की हालिया रिपोर्ट बताती है कि यह सहायता मौजूदा समय में नाकाफी साबित हो रही है।
रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि बेरोजगार छात्र-छात्राएं मानसिक रूप से अधिक तनावग्रस्त रहते हैं। उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी, इंटर्नशिप के लिए आवा-जाही और पुस्तकें खरीदने जैसी जरूरी चीजों पर अधिक खर्च करना पड़ता है, जबकि पुरुषों को 4000 रुपये और महिलाओं को 4500 रुपये प्रति माह की सहायता राशि दी जा रही है। ऐसे में योजना विभाग के मूल्यांकन संगठन ने सुझाव दिया है कि यह भत्ता बढ़ाकर कम से कम 8000 रुपये और महिलाओं के लिए 8500 रुपये किया जाए।
इंटर्नशिप बनी बाधा, विकल्प की मांग
योजना के तहत लाभार्थियों को इंटर्नशिप करना अनिवार्य है, लेकिन रिपोर्ट में यह व्यवस्था भी सवालों के घेरे में है। कहा गया है कि इंटर्नशिप की अनिवार्यता से छात्र अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाते और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी बाधित होती है। नतीजतन, दो साल बाद भी वे बेरोजगार रह जाते हैं। इसीलिए रिपोर्ट में यह सुझाव भी शामिल है कि इंटर्नशिप को वैकल्पिक बनाया जाए।
साथ ही यह भी सिफारिश की गई है कि जो छात्र इंटर्नशिप करते हैं उन्हें अधिक भत्ता दिया जाए और जो सिर्फ पढ़ाई करना चाहते हैं, उन्हें कम राशि दी जाए। इससे योजना अधिक लचीली और उपयोगी हो सकेगी। साथ ही इंटर्नशिप करने वालों को दो साल बाद एक प्रमाण-पत्र भी दिया जाए, जिसे सरकारी और निजी नौकरियों में वरीयता का आधार बनाया जा सके।
पारिवारिक आय सीमा बढ़े, पारदर्शिता आए
मूल्यांकन रिपोर्ट में पारिवारिक आय की सीमा को 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने का सुझाव भी है, ताकि अधिक संख्या में युवा इसका लाभ उठा सकें। इसके साथ ही यह जांच की व्यवस्था भी जरूरी बताई गई है कि लाभार्थी कहीं अन्य किसी योजना से छात्रवृत्ति तो नहीं ले रहा।
भत्ते के वितरण में भी खामियां
योजना के क्रियान्वयन में कई ढांचागत कमजोरियों की भी रिपोर्ट में झलक मिलती है। समय पर भुगतान नहीं होना, जिला कार्यालयों में स्टाफ की भारी कमी, और निरीक्षण की उचित व्यवस्था न होना जैसी समस्याएं योजना को प्रभावित कर रही हैं। विभागीय मॉनिटरिंग की कमी भी योजना के उद्देश्य को पूरा नहीं होने दे रही।
20 लाख पंजीकृत, लेकिन केवल 2 लाख को भत्ता
यह भी ध्यान देने योग्य है कि प्रदेश में 20 लाख से ज्यादा बेरोजगार युवा पंजीकृत हैं, लेकिन हर साल केवल 2 लाख को ही यह सहायता मिल पाती है। पात्रता की जटिल शर्तों और आवेदन प्रक्रिया की बाधाओं के कारण बड़ी संख्या में युवा योजना से वंचित रह जाते हैं। यही वजह है कि बेरोजगारी भत्ता विधानसभा में बार-बार बहस का मुद्दा बनता रहा है।
सरकार के लिए चुनौती और मौका दोनों
यह रिपोर्ट न केवल एक चेतावनी है बल्कि सरकार के लिए एक अवसर भी है—युवाओं की आकांक्षाओं को समझते हुए उन्हें सही दिशा देने का। अगर राज्य सरकार इन सुझावों पर गंभीरता से अमल करती है, तो यह न सिर्फ बेरोजगारों को आर्थिक संबल देगा, बल्कि युवाओं का भरोसा भी सरकार में और मज़बूत होगा।
बेरोजगारी आज का सबसे बड़ा सामाजिक और राजनीतिक मुद्दा बन चुका है। ऐसे में मुख्यमंत्री युवा संबल योजना को प्रभावशाली और समयानुकूल बनाना राज्य सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। यह केवल एक आर्थिक योजना नहीं, बल्कि युवाओं के भविष्य से जुड़ा संवेदनशील सवाल है।
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