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वास्तु के अनुसार आपकी दुकान में कहां होनी चाहिए सीढ़ियां?

वास्तु शास्त्र में दुकान की सीढ़ियों की दिशा और बनावट व्यापार की समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा को प्रभावित करती है। सही दिशा में सीढ़ियां बनवाने से ग्राहकों का आकर्षण बढ़ता है और व्यवसाय में उन्नति होती है। आइए जानें, अलग-अलग दिशाओं में मुख्य द्वार वाली दुकानों में सीढ़ियां कहां होनी चाहिए।

Navaneet RathaurSat, 21 June 2025 09:59 AM
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पूर्व मुखी दुकान

अगर आपकी दुकान का मुख्य द्वार पूर्व दिशा में है, तो सीढ़ियां ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में बनवाएं। यह वास्तु की सबसे शुभ दिशा है। आप पूरी दुकान की लंबाई में चौड़ी सीढ़ियां बना सकते हैं। वैकल्पिक रूप से, पूर्व-आग्नेय (दक्षिण-पूर्व) से दुकान के बीच तक चबूतरा बनाकर, ईशान में सीढ़ियां बनवाएं। इससे व्यापार में वृद्धि होती है।

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पश्चिम मुखी दुकान

पश्चिम दिशा में मुख्य द्वार वाली दुकान के लिए वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) में सीढ़ियां बनवाना शुभ है। अगर यह संभव ना हो, तो नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) से दुकान के बीच तक चबूतरा बनवाकर, वायव्य में सीढ़ियां बनाएं। अर्धचंद्राकार सीढ़ियां भी एक अच्छा विकल्प हैं, जो सौंदर्य और वास्तु दोनों को बढ़ावा देती हैं।

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उत्तर मुखी दुकान

उत्तर दिशा में मुख्य द्वार वाली दुकान के लिए सीढ़ियां ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में बनवाएं। आप वायव्य (उत्तर-पश्चिम) से ईशान तक पूरी लंबाई में सीढ़ियां बना सकते हैं। वैकल्पिक रूप से, वायव्य से बीच तक चबूतरा बनाकर, ईशान में सीढ़ियां बनवाएं। यह व्यापार में सकारात्मक ऊर्जा और धन प्रवाह को बढ़ाता है।

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दक्षिण मुखी दुकान

दक्षिण दिशा में मुख्य द्वार वाली दुकान के लिए सीढ़ियां आग्नेय (दक्षिण-पूर्व) में बनवाएं। आप दक्षिण-आग्नेय से दक्षिण-नैऋत्य तक पूरी लंबाई में सीढ़ियां बना सकते हैं। बीच में अर्धचंद्राकार सीढ़ियां भी शुभ हैं। वास्तु के अनुसार सही दिशा में सीढ़ियां बनवाने से व्यापार में समृद्धि, ग्राहकों का आकर्षण और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।

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नोट

यह खबर सामान्य जानकारियों, धर्म ग्रंथों और विभिन्न माध्यमों पर आधारित है। किसी भी तरह की विशेष जानकारी के लिए धर्म विशेषज्ञ से उचित सलाह लें।