प्रेमानंद महाराज ने कहा कि भगवान का नाम जप करके मिथ्या आरोपों को शांत किया जा सकता है। वो कहते हैं कि जैसे हमपर किसी ने आरोप लगाया, तो हमें तुरंत जांच करनी है।
उन्होंने कहा कि यदि आरोप सही हैं और भगवान सामने से संबोधन कर रहे है, तो मुझे सुधार करना चाहिए। वो कहते हैं कि जब मुझे पता चला जांच करने पर कि जो कहा जा रहे है वो मेरे में नहीं है। वो उसकी बुद्धि है हम उसकी बुद्धि को नहीं बदल सकते हैं।
महाराज जी कहते हैं कि वो जो बोल रहा है बोलने दो, मुझे प्रसन्न रहना है। मुझे उसके बोलने से दुखी नहीं होना है। ऐसे ही हम दुखी होने लगेंगे, तो हम कभी सुखी नहीं होने लगेंगे।
प्रेमानंद जी महाराज जी कहते हैं कि यहां किसी को कोई सपोर्ट देने वाला नहीं है। आप अच्छे मार्ग पर चलना चाहो, तो आपको मार्ग से गिराने के लिए हैं, लेकिन सपोर्ट करने के लिए कोई नहीं।
महाराज जी ने कहा कि आप धर्म से चलो, दूसरों का उपकार करो। जिसका उपकार करोगे, वही आपको गिराने में की कोशिश करेगा। यह संसार है। यहां बहुत छल, कपट, नाटक ये सब बहुत चलते हैं।
वो कहते हैं कि आप हृदय से किसी को प्यार करो, तो वो आपके हृदय को ही काट देगा। इसलिए नेकी कर दरिया में डाल। बुरा जो तुम्हें कोई कह रहा है, तो उसके स्वीकार मत करो। वो उसकी बुद्धि है।