Hindi Newsएनसीआर न्यूज़Why is monsoon getting delayed in Delhi when will it rain reason science behind it

बादल भी हैं और हवा भी, हर तरफ जमकर मॉनसून बरस रहा, फिर दिल्ली ही सूखी क्यों? वजह समझ लीजिए

दिल्ली में मॉनसून की देरी और बारिश की कमी ने उमस को बढ़ाया। घने बादल छाए हुए हैं लेकिन बारिश नहीं हो रही। इसके पीछे की वजह समझ लीजिए।

Anubhav Shakya लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 26 June 2025 01:59 PM
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बादल भी हैं और हवा भी, हर तरफ जमकर मॉनसून बरस रहा, फिर दिल्ली ही सूखी क्यों? वजह समझ लीजिए

दिल्ली की गलियों में हर कोई आसमान की ओर टकटकी लगाए बैठा है। बादल घने, हवाएं तेज, मौसम विभाग के अलर्ट की गूंज, फिर भी बारिश की एक बूंद नहीं। दिल्लीवाले उमस के इस चैंबर में फंसे हुए हैं, जहां पसीना और परेशानी दोनों चरम पर हैं। आखिर मॉनसून दिल्ली से रूठा क्यों है? क्या है इसके पीछे की वैज्ञानिक वजह? आइए समझते हैं।

बादल तो हैं, पर बारिश कहां?

पिछले तीन दिनों से दिल्ली के आसमान पर काले-घने बादल मंडरा रहे हैं। हरियाणा, उत्तर प्रदेश, और राजस्थान में मॉनसून की झमाझम बारिश हो रही है, लेकिन दिल्ली सूखी पड़ी है। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, दिल्ली के ठीक ऊपर कन्वेक्टिव एक्टिविटी, यानी बादलों का वह जादू जो बारिश बनाता है, कमजोर पड़ रहा है। इसका कारण है दिल्ली की भौगोलिक स्थिति और हवाओं का खेल। दिल्ली एक लैंडलॉक्ड है, इसके ऊपर चक्रवाती हवाएं (साइक्लोनिक सर्कुलेशन) उत्तर-पश्चिम से आ रही हैं, जो बारिश को दबा रही हैं। बादल तो बन रहे हैं, लेकिन वे बरसने की बजाय बस मंडराने का मूड बना रहे हैं।

मॉनसून की देरी, कौन है असली विलेन?

मौसम विभाग ने 24 जून तक दिल्ली में मॉनसून की दस्तक की भविष्यवाणी की थी, लेकिन यह अनुमान गलत साबित हुआ। अब एक्सपर्ट्स का कहना है कि मॉनसून 27 जून तक दिल्ली पहुंच सकता है। लेकिन इसमें देरी क्यों? इसके पीछे है जलवायु परिवर्तन और वैश्विक मौसमी पैटर्न का असर। ग्रीनहाउस गैसों की बढ़ती मात्रा और मानवजनित एरोसोल में कमी ने मौसम के चक्र को थोड़ा खिसका दिया है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण वायुमंडल की नमी धारण करने की क्षमता बढ़ी है, जिससे चरम मौसमी घटनाएं तो बढ़ रही हैं, लेकिन दिल्ली जैसे कुछ क्षेत्रों में मॉनसून की प्रगति धीमी हो रही है।

क्यों पसीना छुड़ा रही दिल्ली?

दिल्ली में इन दिनों 'फील्स लाइक' तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच रहा है। इसका कारण है उच्च नमी का स्तर, जो 700 hPa दबाव स्तर पर 60% से अधिक है। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से नमी तो आ रही है, लेकिन बारिश न होने से यह नमी हवा में अटकी रहती है, जिससे उमस बढ़ रही है। यह उमस दिल्ली को एक चिपचिपे, गर्म चैंबर में तब्दील कर रही है, जहां पंखे भी बेअसर साबित हो रहे हैं।

क्या है मॉनसून का वैज्ञानिक गणित?

मॉनसून की घोषणा के लिए मौसम विभाग कुछ खास मापदंडों पर नजर रखता है। दिल्ली जैसे प्रमुख मौसम स्टेशनों (सफदरजंग और पालम) पर लगातार दो दिन 2.5 मिमी से अधिक बारिश होनी चाहिए। साथ ही, निचले वायुमंडल में 15-20 नॉट की गति से पूर्वी या दक्षिण-पश्चिमी हवाएं चलनी चाहिए। लेकिन दिल्ली में अभी ये शर्तें पूरी नहीं हो रही हैं। मॉनसून ट्रफ, जो बारिश का मुख्य इंजन है, दिल्ली के आसपास से गुजर तो रहा है, लेकिन इसकी गति और दिशा में स्थिरता की कमी है।

जलवायु परिवर्तन का छुपा हाथ

एक्सपर्ट्स का मानना है कि जलवायु परिवर्तन मॉनसून के पैटर्न को और जटिल बना रहा है। समुद्री सतह का बढ़ता तापमान नमी वाली हवाओं को तो सक्रिय कर रहा है, लेकिन क्षेत्रीय स्तर पर बारिश का वितरण असमान हो रहा है। दिल्ली-एनसीआर में प्री-मॉनसून बारिश ने मई में 125 साल का रिकॉर्ड तोड़ा, लेकिन अब मॉनसून की बारी आने पर यह असमानता साफ दिख रही है।

कब बरसेगा मॉनसून?

मौसम विभाग के ताजा अपडेट के अनुसार, अगले 36 घंटों में दिल्ली में मॉनसून की प्रगति के लिए परिस्थितियां अनुकूल हो रही हैं। 27 जून तक हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है, जो उमस से कुछ राहत दे सकती है। लेकिन भारी बारिश के लिए दिल्लीवालों को अभी थोड़ा और इंतज़ार करना पड़ सकता है।

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