Hindi Newsएनसीआर न्यूज़why Arvind Kejriwal not going to rajya sabha aap divided over RS seat after Sanjeev arora win in Ludhiana Paschim seat

अरविंद केजरीवाल क्यों नहीं; राज्यसभा सीट को लेकर AAP में अंदरखाने क्या चल रहा?

प्रेस कॉन्फ्रेंस से दूरी बना चुके केजरीवाल खुद कल कैमरे के सामने आए और इस जीत पर उम्मीदवारों को बधाई दी,लेकिन इस जीत के बीच एक पेच है जो फंसा है और वह है राज्यसभा की सीट। अरविंद केजरीवाल ने सभी अटकलों को विराम देते हुए राज्यसभा जाने से मना कर दिया है तो अब 'आप' के अंजर ही इसे लेकर कई मत हैं।

Utkarsh Gaharwar लाइव हिन्दुस्तान, दिल्लीTue, 24 June 2025 06:12 PM
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अरविंद केजरीवाल क्यों नहीं; राज्यसभा सीट को लेकर AAP में अंदरखाने क्या चल रहा?

दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद आम आदमी पार्टी के भविष्य पर भी सवाल उठने लगे थे। खुद पार्टी के सर्वेसर्वा अरविंद केजरीवाल के लिए नई दिल्ली सीट बचाना मुश्किल हो गया। इस हार ने केजरीवाल के साथ उनके साथी दिग्गज नेताओं का चुनावी भविष्य भी संकट में डाल दिया था। जिस दिल्ली से केजरीवाल और उनकी पार्टी ने अपने राजनीतिक युग की शुरुआत की,उसे वहीं ऐसी हार देखनी पड़ी। अब साढ़े 4 महीने के सूखे के बाद 23 जून का दिन आम आदमी पार्टी के लिए मॉनसूनी फुहार से कम नहीं है। पंजाब के लुधियाना पश्चिम और गुजरात की विसावदर सीट पर जीत ने पार्टी के अंदर उत्साह का संचार कर दिया है। प्रेस कॉन्फ्रेंस से दूरी बना चुके केजरीवाल खुद कल कैमरे के सामने आए और इस जीत पर उम्मीदवारों को बधाई दी,लेकिन इस जीत के बीच एक पेच है जो फंस गया है और वह है राज्यसभा की सीट। अरविंद केजरीवाल ने सभी अटकलों को विराम देते हुए राज्यसभा जाने से मना कर दिया है तो अब 'आप' के अंदर ही इसे लेकर कई मत हैं। केजरीवाल की साफ ना के बाद लोग दिल्ली के पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया पर भी एकमत दिखे। कुछ पंजाब चुनाव के मद्देनजर राज्यसभा के लिए किसी पंजाबी उम्मीदवार को उपयुक्त बता रहे हैं। आइए आपको बताते हैं कि राज्यसभा सीट को लेकर आम आदमी पार्टी के अंदरखाने क्या चल रहा है।

पहले मामला समझिए

दरअसल लुधियाना पश्चिम सीट से उपचुनाव में आप की तरफ से संजीव अरोड़ा खड़े थे। पंजाब में आप को सत्ता लाभ मिला और संजीव अरोड़ा विजयी साबित हुए। इससे पेच यह फंस गया कि आप की एक राज्यसभा सीट खाली हो गई। संजीव अरोड़ा चूंकि अब सांसद नहीं बल्कि विधायक के पद पर हो जाएंगे तो ऐसे में अटकलों का बाजार गर्म हुआ और लगा कि अरविंद केजरीवाल के नाम का ऐलान प्रेस कॉन्फ्रेंस में हो जाएगा,लेकिन केजरीवाल ने तो कैमरे के सामने साफ मना कर दिया। इससे मामला उल्टा पड़ गया। यह भी कहना गलत नहीं है कि शराब नीति मामले में जमानत पर रिहा होने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से हटने और राजधानी में 10 साल के शासन के बाद दिल्ली विधानसभा चुनावों में भाजपा से हारने के बाद केजरीवाल की साख में कमी आई थी। फिर एक और नाम सामने आया। केजरीवाल के राइट हैंड,दिल्ली के पूर्व शिक्षा मंत्री और मौजूदा समय में पंजाब प्रभारी मनीष सिसोदिया का। हालांकि मनीष ने इसपर कुछ कहा नहीं है।

केजरीवाल पर बंट गई राय

आप प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने तब कहा था,"जहां तक अरविंद केजरीवाल का सवाल है,पहले मीडिया ने कहा कि वह पंजाब के मुख्यमंत्री बनेंगे। अब वे कह रहे हैं कि वह पंजाब से राज्यसभा जाएंगे। मीडिया के सूत्र बिल्कुल गलत हैं।"केजरीवाल के राज्यसभा में जाने को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) के भीतर अलग-अलग विचार सामने आए हैं। एक वर्ग का मानना है कि केजरीवाल की जनता के बीच लोकप्रियता और मतदाताओं से जुड़ाव उन्हें लोकसभा के लिए एक अच्छा उम्मीदवार बनाता है और पंजाब के आप प्रभारी मनीष सिसोदिया ऊपरी सदन (राज्यसभा) के लिए अधिक उपयुक्त विकल्प होंगे। हालांकि,दूसरा वर्ग राष्ट्रीय मंच पर पार्टी की दृश्यता और प्रासंगिकता के लिए संसद में केजरीवाल की उपस्थिति को महत्वपूर्ण मानता है।

एक वरिष्ठ आप नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि केजरीवाल एक ऐसे नेता हैं जिनकी राष्ट्रीय प्रासंगिकता और राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाएं हैं। पार्टी की सफलता के लिए उन्हें दृश्यमान और प्रासंगिक बने रहना चाहिए। उनके राज्यसभा जाने का मतलब विपक्षी नेताओं के साथ बेहतर तालमेल और दृश्यमान सद्भाव होगा,जिससे इंडिया ब्लॉक में उनकी स्थिति मजबूत होगी। इस नेता ने आप प्रमुख के राज्यसभा जाने का समर्थन किया।

सिसोदिया क्यों फिट बैठ रहे?

एक अन्य नेता ने कहा कि केजरीवाल जैसे कद के नेता के लिए राज्यसभा सीट उपयुक्त नहीं होगी। आप के एक पदाधिकारी ने कहा,"वह चुनावी अपील वाले जनता के नेता हैं। अगर उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर जाना है,तो यह लोकसभा के माध्यम से होना चाहिए। पार्टी ने अतीत में भी स्पष्ट किया है कि वह यह कदम नहीं उठाएंगे।" उन्होंने यह भी जोड़ा कि मनीष सिसोदिया अधिक स्पष्ट विकल्प होंगे।

कई अन्य आप नेताओं का भी मानना है कि सिसोदिया को राज्यसभा भेजना लोगों को सही संदेश देगा,खासकर विपक्ष द्वारा पंजाब में दिल्ली के नेतृत्व की भारी उपस्थिति की बार-बार ओर इशारा करने के मद्देनजर। सिसोदिया आप के पंजाब प्रभारी के रूप में कार्य कर रहे हैं और उनका राज्यसभा के लिए नामांकन उतनी विवाद पैदा नहीं करेगा।

पंजाब से क्यों नहीं?

आम आदमी पार्टी (आप) के भीतर एक और विचार यह है कि पार्टी को 2027 में होने वाले पंजाब चुनावों को प्राथमिकता देनी चाहिए और इसलिए राज्यसभा में भेजने के लिए पंजाब से एक नेता चुनना चाहिए। एक आप नेता ने कहा,"पार्टी के लिए अभी सबसे बड़ी प्राथमिकता राज्य में (2027 की शुरुआत में) विधानसभा चुनावों तक सुचारु कार्यकाल है;यह देखते हुए कि 'आप दिल्ली से नेताओं का आयात कर रही है' का मुद्दा विपक्ष लगातार उठा रहा है,दिल्ली-आधारित नेता को भेजना नुकसानदेह होगा। पंजाब से एक नेता चुना जा सकता है।"

नेता ने कहा कि केजरीवाल,सिसोदिया और सत्येन्द्र जैन जैसे पार्टी नेताओं को अपनी राय व्यक्त करने के लिए किसी मंच की आवश्यकता नहीं है। नेता ने आगे कहा,"उन्हें बस जब जरूरत हो तब सोशल मीडिया का सहारा लेना है। आप अन्य राजनीतिक दलों के विपरीत किसी नेता को केवल इसलिए ऊपर उठाने की जरूरत नहीं है ताकि उन्हें सरकारी आवास जैसी सुविधाएं मिल सकें या विधायी विशेषाधिकार के माध्यम से किसी भी तरह की 'सुरक्षा' मिल सके।

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