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'यह पूरी तरह से गलत है', MP में कानून के छात्र पर रासुका लगाने को लेकर भड़का सुप्रीम कोर्ट

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने छात्र के पिता द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को 25 फरवरी को इस आधार पर खारिज कर दिया था, कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आपराधिक मामलों का लंबा इतिहास रहा है और वह एक आदतन अपराधी है।

Sourabh Jain पीटीआई, नई दिल्लीSat, 28 June 2025 05:11 PM
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'यह पूरी तरह से गलत है', MP में कानून के छात्र पर रासुका लगाने को लेकर भड़का सुप्रीम कोर्ट

उच्चतम न्यायालय ने मध्य प्रदेश में कानून के एक छात्र को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत प्रिवेंटिव डिटेंशन (हिरासत) में रखने को पूरी तरह अस्वीकार्य बताते हुए तुरंत उसकी रिहाई का आदेश दिया है। ऐसे में करीब सालभर बाद अब उसकी रिहाई का रास्ता साफ हो गया है। छात्र को बैतूल के एक कॉलेज में हुए विवाद के बाद प्रोफेसर से उलझने और उन्हें धमकाने के मामले में गिरफ्तार करने के बाद प्रिवेंटिव डिटेंशन में लिया गया था। प्रिवेंटिव डिटेंशन का मतलब होता है किसी शख्स को कोई अपराध किए बिना, भविष्य में अपराध करने से रोकने के लिए हिरासत में लेना। यह कार्रवाई तब की जाती है, जब सरकार को लगता है कि वह व्यक्ति भविष्य में कानून और व्यवस्था के लिए खतरा बन सकता है।

मामले के अनुसार जुलाई 2024 में बैतूल के एक विश्वविद्यालय परिसर में हुए विवाद के बाद पुलिस ने याचिकाकर्ता अनिकेत उर्फ अन्नू पर मामला दर्ज किया था। उस पर एक प्रोफेसर से झगड़ा करने और उन्हें धमकाने का आरोप लगा। जिसके बाद उसके खिलाफ हत्या की कोशिश और अन्य संबंधित अपराधों के लिए FIR दर्ज करते हुए उसे गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि जेल में रहते हुए उसके खिलाफ रासुका के प्रावधानों के तहत हिरासत आदेश जारी कर दिया गया। बाद में इस आदेश को हर तीन महीने में बढ़ाया जाता रहा।

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने शुक्रवार को पारित अपने आदेश में कहा, '11 जुलाई, 2024 को जारी पहले हिरासत आदेश को देखने के बाद, हमने पाया कि अपीलकर्ता को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 की धारा 3(2) के तहत निवारक हिरासत में लिया गया है। हालांकि, हमारा मानना ​​है कि जिन कारणों से उसे निवारक हिरासत में लिया गया है, वे राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 की धारा 3 की उपधारा (2) की आवश्यकता को पूरा नहीं करते हैं। इसलिए, अपीलकर्ता की निवारक हिरासत (प्रिवेंटिव डिटेंशन) पूरी तरह से अस्थिर हो जाती है।'

पीठ ने दिया तुरंत रिहाई का आदेश

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि कानून के छात्र अनिकेत उर्फ अन्नू को पहली बार 11 जुलाई, 2024 के आदेश द्वारा प्रिवेंटिव डिटेंशन में लिया गया था और इस हिरासत आदेश को चार बार बढ़ाया गया तथा आखिरी आदेश के अनुसार उसकी प्रिवेंटिव डिटेंशन 12 जुलाई, 2025 तक की है। आगे पीठ ने कहा, 'इस प्रकार मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखने का बाद हम निर्देश देते हैं कि वर्तमान में भोपाल की केंद्रीय जेल में बंद अपीलकर्ता को किसी अन्य आपराधिक मामले में जरूरी ना होने पर हिरासत से तुरंत रिहा किया जाएगा। उपरोक्त के मद्देनजर, आपराधिक अपील का निपटारा किया जाता है। तर्कसंगत आदेश का पालन किया जाएगा।'

HC ने पाया आदतन अपराधी है छात्र

इससे पहले मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने अन्नू के पिता द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को 25 फरवरी को इस आधार पर खारिज कर दिया था, कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आपराधिक मामलों का लंबा इतिहास रहा है और वह एक आदतन अपराधी है, जिसकी उपस्थिति सार्वजनिक शांति के लिए खतरा है।

जस्टिस उज्ज्वल भुइयां और के.विनोद चंद्रन की पीठ ने मध्य प्रदेश में बैतूल के जिला मजिस्ट्रेट द्वारा 11 जुलाई, 2024 को पारित निरोध आदेश में कई खामियां निकालते हुए कहा कि वह इस मामले में विस्तृत और तर्कसंगत आदेश पारित करेंगे।

पीठ ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा रिकॉर्ड पर लाई गई सामग्री के अनुसार, अदालत को पता चलता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 के प्रावधानों के तहत प्रिवेंटिव डिटेंशन को उचित ठहराने के लिए कानून के छात्र के खिलाफ वर्तमान आपराधिक मामले सहित नौ आपराधिक पृष्ठभूमि का हवाला दिया गया है। हालांकि, उनके वकील ने दलील दी कि पिछले आठ में से पांच मामलों में अन्नू को बरी कर दिया गया है और एक मामले में उसे दोषी ठहराया गया है, लेकिन सजा केवल जुर्माना लगाने की हुई है।

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