आप मुझ पर केस दर्ज कैसे कर सकते हैं, जबकि मैं तो..; ACB की FIR पर सौरभ भारद्वाज का पलटवार
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि 'सभी जानते हैं कि जब मैं 2023 में मंत्री बना, तो 2018-19 में सैंक्शन हुए हॉस्पिटल प्रोजेक्ट के मामले में मुझे कैसे आरोपी बनाया? 2016-17 में HIMS की घोषणा से मैं कैसे आरोपी बना?'

दिल्ली की पिछली आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के दौरान स्वास्थ्य से जुड़े प्रोजेक्ट्स में हुए कथित भ्रष्टाचार के संबंध में ACB (भ्रष्टाचार निरोधक शाखा) ने पूर्व स्वास्थ्य मंत्रियों सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन के खिलाफ मामला दर्ज किया है। जिसके बाद AAP दिल्ली के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज ने इस मामले में एक वीडियो जारी करते हुए अपना पक्ष रखा। वीडियो में उन्होंने कहा कि मैं मार्च 2023 में मंत्री बना था, ऐसे में आप मेरा नाम साल 2018-19 और साल 2021 में मंजूर हुए प्रोजेक्ट्स में कैसे दे सकते हैं? उन्होंने कहा कि दिल्ली की भाजपा सरकार और एलजी ने एसीबी का मजाक बना दिया है और उनके इस खेल का पर्दाफाश जरूर होगा।
वीडियो में भारद्वाज ने एक प्रेसनोट दिखाते हुए कहा, '24 जून को उपराज्यपाल विनय सक्सेना जी ने यह प्रेसनोट तमाम मीडिया के साथियों को ये कहते हुए दिया था कि सक्षम अधिकारियों द्वारा दिल्ली के दो पूर्व स्वास्थ्य मंत्रियों के खिलाफ जांच करने की इजाजत दे दी गई है। इसके बाद यह खबर सभी जगह खूब चली। इसके बाद आज 26 जून को एक और प्रेस नोट दिल्ली के एसीबी के प्रमुख मधु वर्मा द्वारा अलग-अलग मीडिया हाउस को दिया गया, जिसमें बताया गया है कि दोनों पूर्व स्वास्थ्य मंत्रियों के खिलाफ एसीबी ने मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच शुरू कर दी गई है। उस जांच किन अफसरों पर मुकदमा है, किन लोगों पर मुकदमा है वह भी नहीं है, लेकिन दो मंत्रियों के नाम उस मुकदमे में लिख दिए गए हैं।'
आगे सौरभ ने कहा, 'इन दोनों ही प्रेस नोट्स में लिखा गया है कि ये 24 अस्पतालों से संबंधित जो प्रोजेक्ट्स थे ये 2018-19 में मंजूर किए गए थे, और एक हॉस्पिटल प्रोजेक्ट जो कि 7 ICU हॉस्पिटल्स से संबंधित था, वह 2021 में सैंक्शन किया गया था, जबकि मैं तो मार्च 2023 में मंत्री बना हूं। वो हॉस्पिटल प्रोजेक्ट्स जो साल 2018-19 में और 2021 में सैंक्शन हुए हैं, उसमें आप मुझे कैसे नामजद कर सकते हैं, पूरी की पूरी एसीबी, पूरी की पूरी दिल्ली की भाजपा सरकार और एलजी साहब ने इसे एक मजाक का विषय बना दिया है।'
भारद्वाज ने आगे कहा, 'इसके अलावा एक अन्य पॉइंट जिसमे लिखा गया है कि एक हॉस्पिटल इंफोर्मेशन मैनेजमेंट सिस्टम बनना था कि जिसकी घोषणा साल 2016-17 में दिल्ली सरकार ने की थी, वह भी नहीं बना। लेकिन जो घोषणा 2016-17 में हुई थी, उसके लिए आप ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कैसे एंटी करप्शन ब्रांच में मामला दर्ज कर सकते हैं, जो कि मार्च 2023 में मंत्री बना, यह मेरी समझ से बाहर है।'
पूर्व स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा, 'पहली बात तो उस वक्त जो मंजूरी दी गई, उसमें भ्रष्टाचार हुआ भी या नहीं, इसके बारे में आपने कुछ नहीं बताया और आप FIR की कॉपी भी छुपा रहे हैं। क्योंकि आपको लगता है कि आप अगर FIR बता देंगे तो आपका ये जो पूरा खेल है, वह खुल जाएगा। इसलिए कभी एलजी साहब प्रेसनोट दे रहे हैं, कभी एसीबी के चीफ प्रेसनोट रहे हैं। मगर एफआईआर नहीं दी जा रही और इस तरह की मनगढ़ंत चीजें बनाकर बताई जा रही हैं, जिससे इन एजेंसीज को मजाक का पात्र बना दिया है।'
आगे भारद्वाज ने सवाल उठाते हुए कहा, ‘अगर देरी के लिए भी जिम्मेदारी तय की जा रही है तो बहुत अच्छी बात है, लेकिन प्रोजेक्ट में देरी होना तो बिल्कुल आम है। खुद केंद्र सरकार की 2023 की रिपोर्ट कहती है कि उनके 53 प्रतिशत प्रोजेक्ट ( 850 प्रोजेक्ट) में देरी हुई है। उसमें करीब साढ़े चार लाख करोड़ रुपए की लागत भी बढ़ गई। अहमदाबाद से मुंबई की बुलेट ट्रेन जो प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट है, वह 2015 में शुरू हुआ था और उसे 2023 में पूरा होना था, वो प्रोजेक्ट कहां है, किसी को पता ही नहीं है, बताया जा रहा है कि वो 2033 में शायद शुरू हो पाएगा, मतलब उसमें 10 साल की देरी होगी। ऐसे में प्रोजेक्ट कॉस्ट भी लगभग 100 प्रतिशत बढ़ जाएगी, तो क्या इस देरी को लेकर आप प्रधानमंत्री या उनके मंत्रियों के खिलाफ मामला दर्ज करेंगे।’