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दिल्ली के स्कूलों में पढ़ाई जाएगी ऑपरेशन सिंदूर की शौर्य गाथा, कब से होगा लागू

दिल्ली सरकार ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) की शौर्य गाथा को जल्द स्कूल के पाठ्यक्रम का हिस्सा बना सकती है। शिक्षाविदों और विषय के विशेषज्ञों से इसके प्रारूप पर विचार-विमर्श किया जा रहा है। साथ ही, उनसे सुझाव मांगे गए हैं।

Praveen Sharma लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली। आशीष सिंहSun, 25 May 2025 06:10 AM
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दिल्ली के स्कूलों में पढ़ाई जाएगी ऑपरेशन सिंदूर की शौर्य गाथा, कब से होगा लागू

दिल्ली सरकार ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) की शौर्य गाथा को जल्द स्कूल के पाठ्यक्रम का हिस्सा बना सकती है। शिक्षाविदों और विषय के विशेषज्ञों से इसके प्रारूप पर विचार-विमर्श किया जा रहा है। साथ ही, उनसे सुझाव मांगे गए हैं। राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) और शिक्षा निदेशालय इसे लागू करने के लिए ड्राफ्ट तैयार करने में जुटा है। 

शिक्षा विभाग के सूत्रों के मुताबिक, इसे लागू करने के लिए डिटेल प्लान बनाया जा रहा है। इसे हाल ही में शामिल किए गए राष्ट्रनीति कार्यक्रम के अंतर्गत सेना की वीरता की गाथा पाठ्यक्रम में पढ़ाने की योजना है। शुरू में पाठ्यक्रम 8वीं से 12वीं क्लास तक के लिए शुरू किया जा सकता है। इसके बाद पाठ्यक्रम को अन्य क्लासों में लागू किया जाएगा। सब कुछ ठीक रहा तो गर्मी की छुट्टियों के बाद छात्रों को क्लासों में इसके बारे में विस्तृत रूप से बताया व पढ़ाया जाएगा।

इस कदम का उद्देश्य ऑपरेशन सिंदूर के बारे में अगली पीढ़ी को जागरूक व सचेत करना है। ऐसे में छात्र पाठ्यक्रम के तहत यह जानेंगे कि सेना ने अपने शौर्य और पराक्रम के बल पर किस तरह पाकिस्तान को सबक सिखाया। शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इसे लेकर बैठक आयोजित की गई है। इसमें सबसे अलग-अलग सुझाव मांगे गए हैं। छात्र इसके अलावा राष्ट्रनीति, उद्यमी पारिस्थितिकी तंत्र और विजन का नया युग नामक कार्यक्रम में शासन, लोकतंत्र, सक्रिय नागरिकता और नीति निर्माण का व्यावहारिक ज्ञान हासिल कर सकेंगे।

शिक्षा विभाग के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि छात्रों में राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया जाएगा। इसमें राष्ट्रनीति पहल के तहत दिल्ली सरकार का लक्ष्य छात्रों में राष्ट्रवाद के मूल्यों को स्थापित करना है।

हर माह में दो से तीन सत्र आयोजित होंगे

प्रत्येक माह में इसके दो से तीन सत्र आयोजित किए जाएंगे। इनके बीच 8 से 10 दिन का अंतराल होगा। प्रत्येक सत्र एक घंटे तक चलेगा। शिक्षक संघ भी ऑपरेशन सिंदूर को स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग कर रहा है। उनका कहना है कि इस अभियान में सेना की बहादुरी की पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है। इस तरह के शौर्य को याद किया जाए इसके लिए जरूरी है कि इसे स्कूली शिक्षा का हिस्सा बनाया जाए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड मदरसा बोर्ड ने पहले ही ऐलान कर दिया है कि वह पाठ्यक्रम में ऑपरेशन सिंदूर को शामिल करेगा। ऐसे में यहां भी यह होना चाहिए। 

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